दिव्यांगता के संदर्भ में सरकारी पदाधिकारियों और नागरिकों की गहन संवेदनशीलता के बिना दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 केवल विधिक दस्तावेज़ बनकर रह जाता है। टिप्पणी कीजिए । (150 words)[UPSC 2022]
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दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 एक महत्वपूर्ण विधिक ढांचा है जो दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकारों की सुरक्षा और उनके कल्याण को बढ़ावा देने के लिए बनाया गया है। हालांकि, इस अधिनियम की प्रभावशीलता गहराई से संवेदनशीलता और समझ पर निर्भर करती है।
सरकारी पदाधिकारियों को अधिनियम के प्रावधानों को सही तरीके से लागू करने के लिए उचित प्रशिक्षण और जागरूकता की आवश्यकता है। इसके बिना, नीतियां केवल कागज तक सीमित रह जाती हैं और उनका वास्तविक प्रभाव सीमित होता है।
सार्वजनिक जागरूकता और शिक्षा के अभाव में, समाज में पूर्वाग्रह और भेदभाव की स्थिति बनी रहती है। नागरिकों की समझ और संवेदनशीलता का अभाव अधिनियम की प्रभावशीलता को कम कर सकता है। इसलिए, अधिनियम के उद्देश्यों को साकार करने के लिए गहरी संवेदनशीलता और समग्र शिक्षा आवश्यक है।