जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए, हरित ऊर्जा को सबसे अच्छे समाधानों में से एक माना जाता है। देश अब कोयले की जगह जलविद्युत्, जीवाश्म ईंधन के स्थान पर सौर ऊर्जा, पेट्रोल और डीजल से संचालित कारों की जगह इलेक्ट्रिक वाहनों (EVS) को अपना रहे हैं। EVs को एक स्वच्छ, हरित और टिकाऊ विकल्प के रूप में पेश किया जा रहा है। इलेक्ट्रिक कारें बैटरी का उपयोग करती हैं तथा इन बैटरियों के निर्माण हेतु प्रयुक्त लिथियम और कोबाल्ट दुर्लभ धातुएं हैं। बैटरी में कोबाल्ट इसे स्थिर रखता है और इसके सुरक्षित संचालन में मदद करता है। कोबाल्ट का उपयोग लगभग आधी इलेक्ट्रिक कारों में किया जाता है, जो एक बैटरी में लगभग चार से 30 किलोग्राम तक उपयोग होता है। आप उस जिले के जिलाधिकारी हैं जहां कोबाल्ट प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। ऐसी ही एक कोबाल्ट साइट में जाने पर आपको पता चलता है कि खदानों में बच्चों को काम पर रखा गया है और ये बच्चे रोजाना अपने जीवन को संकट में डालकर कार्य करते हैं। वे ऊर्ध्वाधर सुरंगों में प्रवेश करते हैं जो वयस्कों हेतु प्रवेश करने के लिए बहुत संकीर्ण हैं और भट्टी जैसे वातावरण की अमानवीय परिस्थितियों में कोबाल्ट की खुदाई करते हैं। हालांकि, वे केवल कभी-कभी ही फावड़े का उपयोग करते हैं और सामान्यतः अपने हाथों से ही खुदाई करते हैं। उन्हें मास्क, दस्ताने, कार्य हेतु उचित कपड़े नहीं दिए जाते हैं और एक बार में केवल 20 मिनट तक की ही ऑक्सीजन दी जाती है। फिर भी ये छोटे बच्चे घंटों खुदाई करते हैं। कोबाल्ट के पत्थरों को खोदने के पश्चात्, वे उन्हें तोड़ते हैं, उन्हें धोते हैं और फिर उन्हें बेचने के लिए बाजार में ले जाते हैं। इस संबंध में, निन्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए: (a) उपर्युक्त प्रकरण में शामिल नैतिक मुद्दों पर चर्चा कीजिए। (b) कानूनी और संस्थागत उपायों के बावजूद, भारत में बाल श्रम के जारी रहने के कारणों पर चर्चा कीजिए। (C) दी गई स्थिति के संदर्भ में, जिले में बाल श्रम की समस्या के समाधान के लिए आप क्या कदम उठाएंगे?(250 शब्दों में उत्तर दें)
(a) नैतिक मुद्दे
उपरोक्त प्रकरण में कई गंभीर नैतिक मुद्दे हैं। सबसे प्रमुख मुद्दा बच्चों का श्रम है, विशेषकर उन परिस्थितियों में जहां उनकी सुरक्षा और स्वास्थ्य को पूरी तरह से नजरअंदाज किया जा रहा है। बच्चों को खतरनाक और अमानवीय परिस्थितियों में काम पर रखना, जहाँ वे स्वास्थ्य जोखिम और शारीरिक क्षति का सामना कर रहे हैं, एक गंभीर नैतिक दायित्व का उल्लंघन है। उन्हें सुरक्षा गियर, जैसे मास्क और दस्ताने के बिना काम करने के लिए मजबूर करना, और सीमित ऑक्सीजन की आपूर्ति देना उनकी जीवन की गुणवत्ता और सुरक्षा को खतरे में डालता है। इसके अलावा, इन बच्चों की शिक्षा और विकास के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन भी किया जा रहा है, जो कि उनके भविष्य के लिए हानिकारक है।
(b) कानूनी और संस्थागत उपायों के बावजूद बाल श्रम के जारी रहने के कारण
भारत में बाल श्रम के जारी रहने के पीछे कई कारण हैं। सबसे महत्वपूर्ण कारण गरीबी है, जो परिवारों को अपने बच्चों को काम पर लगाने के लिए मजबूर करती है ताकि वे जीविकोपार्जन कर सकें। समाजिक सुरक्षा नेटवर्क की कमी, जैसे कि सामाजिक कल्याण योजनाओं की अपर्याप्तता, और शिक्षा प्रणाली की अक्षमता भी योगदान करती है। कई बार, कानूनी ढांचे की कमी और स्थानीय प्रशासन की नाकामी भी बाल श्रम के प्रचलन को बढ़ावा देती है। इसके अलावा, बाल श्रमिकों के बारे में जागरूकता की कमी और श्रम प्रवर्तन तंत्र की कमजोरियां भी समस्याओं को बढ़ाती हैं।
(c) समस्या के समाधान के लिए कदम
बाल श्रम की समस्या के समाधान के लिए कई ठोस कदम उठाए जा सकते हैं:
त्वरित निरीक्षण और कानूनी कार्रवाई: खनन स्थलों और अन्य संभावित बाल श्रम के स्थानों पर नियमित निरीक्षण किए जाएं और कानूनी कार्यवाही शुरू की जाए ताकि दोषियों को दंडित किया जा सके।
शिक्षा और पुनर्वास कार्यक्रम: बच्चों को शिक्षा की सुविधा उपलब्ध करवाई जाए और उनके परिवारों को आर्थिक सहायता प्रदान की जाए ताकि वे बच्चों को काम पर लगाने की बजाय स्कूल भेज सकें।
सुरक्षा मानकों का पालन: खनन और अन्य खतरनाक कार्यों के लिए सुरक्षा मानकों को लागू किया जाए और सुनिश्चित किया जाए कि सभी श्रमिकों को आवश्यक सुरक्षा उपकरण प्रदान किए जाएं।
सामाजिक जागरूकता: बाल श्रम के खतरों और इसके खिलाफ कानूनी प्रावधानों के बारे में समाज में जागरूकता फैलानी चाहिए ताकि लोगों को इस मुद्दे के प्रति संवेदनशील बनाया जा सके।
सतत निगरानी और रिपोर्टिंग: स्थानीय गैर-सरकारी संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर एक निगरानी प्रणाली विकसित की जाए, जो बाल श्रम की घटनाओं की रिपोर्टिंग और प्रबंधन में मदद कर सके।
इन कदमों के माध्यम से, हम बच्चों की स्थिति में सुधार कर सकते हैं और बाल श्रम के खिलाफ एक मजबूत लड़ाई लड़ सकते हैं।