दुनिया के सबसे बड़े रेलवे नेटवकों में से एक होने के बावजूद, भारतीय ट्रेनों की गति विकसित देशों की तुलना में कम है। इसके लिए उत्तरदायी कारणों को स्पष्ट कीजिए तथा इस संबंध में सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों का उल्लेख कीजिए। (250 शब्दों में उत्तर दें)
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भारतीय ट्रेनों की धीमी गति के कारण:
पुराना इंफ्रास्ट्रक्चर: भारतीय रेलवे का इन्फ्रास्ट्रक्चर, जिसमें पटरियाँ, सिग्नलिंग सिस्टम और ट्रेनों के कोच शामिल हैं, कई दशकों पुराना है। इसे आधुनिक मानकों के अनुरूप अपडेट करने में समय और धन की आवश्यकता होती है।
सिग्नलिंग और ट्रैक की स्थिति: सिग्नलिंग सिस्टम पुराना और ट्रैक की स्थिति कई स्थानों पर असमर्थनीय है, जिससे ट्रेनों की गति को नियंत्रित करना पड़ता है। पुराने सिग्नलिंग सिस्टम और ट्रैक की मरम्मत की कमी ट्रेनों की गति को प्रभावित करती है।
रेलवे क्रॉसिंग: रेलवे क्रॉसिंग और अतिक्रमणों की समस्या ट्रेनों की गति में बाधक बनती है। ये समस्याएं सुरक्षा के लिहाज से भी चुनौतीपूर्ण होती हैं।
सुरक्षा और यातायात प्रबंधन: उच्च गति ट्रेनों के लिए सख्त सुरक्षा मानकों और सुव्यवस्थित यातायात प्रबंधन की आवश्यकता होती है, जिसे वर्तमान प्रणाली पूरी तरह से संभाल नहीं पाती।
सरकारी कदम:
डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर: भारत सरकार ने पूर्वी और पश्चिमी डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर का निर्माण शुरू किया है। ये कॉरिडोर विशेष रूप से माल ढुलाई के लिए डिज़ाइन किए गए हैं, जिससे यात्री ट्रेनों की गति बढ़ सके।
उच्च गति रेल परियोजनाएँ: ‘बुलेट ट्रेन’ परियोजना, जैसे कि मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर, भारत में उच्च गति रेल नेटवर्क का निर्माण कर रही है। यह परियोजना भारतीय रेलवे को नई गति मानकों के साथ जोड़ने का प्रयास है।
सिग्नलिंग और ट्रैक उन्नयन: भारतीय रेलवे ने सिग्नलिंग सिस्टम को आधुनिक बनाने और ट्रैक को अपग्रेड करने के लिए कई योजनाएँ शुरू की हैं। इसमें इलेक्ट्रॉनिक सिग्नलिंग और उच्च गुणवत्ता वाले ट्रैक निर्माण शामिल है।
फास्ट ट्रैक मरम्मत और मेंटेनेंस: ट्रैक और इंफ्रास्ट्रक्चर की नियमित मरम्मत और रखरखाव के लिए फास्ट ट्रैक प्रक्रियाओं को लागू किया जा रहा है, जिससे दुर्घटनाओं और रुकावटों की संभावना कम हो सके।
ये उपाय भारतीय रेलवे की गति और दक्षता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, और विकसित देशों के मानकों के साथ सामंजस्य स्थापित करने में सहायक हो सकते हैं।