फसल कटाई के बाद की मूल्य श्रृंखला में अक्षमता के कारण लघु और सीमांत किसानों की आजीविका पर अत्यधिक प्रतिकूल प्रभाव पड़ने के साथ-साथ फसल की हानि हो रही है। भारत के संदर्भ में चर्चा कीजिए। इन चिंताओं को दूर करने के लिए सरकार ने क्या कदम उठाए हैं? (250 शब्दों में उत्तर दें)
फसल कटाई के बाद की मूल्य श्रृंखला में अक्षमता और इसके प्रभाव:
फसल कटाई के बाद की मूल्य श्रृंखला में अक्षमता, जैसे कि अपारदर्शी आपूर्ति श्रृंखलाएँ, भंडारण की कमी, और परिवहन की समस्याएँ, भारतीय लघु और सीमांत किसानों की आजीविका पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं। इस स्थिति के कारण फसलों की गुणवत्ता में गिरावट आती है, नुकसान बढ़ता है, और मूल्य में कमी होती है, जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान होता है और फसल की हानि होती है। इन समस्याओं के कारण किसानों को उचित मूल्य नहीं मिल पाता, जिससे उनकी आजीविका प्रभावित होती है।
सरकारी कदम:
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY): यह योजना फसल कटाई के बाद के नुकसान को कम करने के लिए एकीकृत सिंचाई प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करती है, जिससे फसलों की सिंचाई और भंडारण के लिए आवश्यक संसाधन उपलब्ध हो सकें।
कृषि उत्पाद बाजार समिति (APMC) सुधार: सरकार ने APMC एक्ट में सुधार की दिशा में कदम बढ़ाया है ताकि किसानों को अधिक प्रतिस्पर्धी और पारदर्शी बाजार मूल्य प्राप्त हो सके और बिचौलियों की भूमिका कम हो सके।
फसल कटाई के बाद प्रबंधन की योजना: ‘फसल कटाई के बाद प्रबंधन’ पर ध्यान केंद्रित करने के लिए विभिन्न योजनाएँ चलायी जा रही हैं, जैसे कि कोल्ड स्टोरेज और प्रसेसिंग यूनिट्स की स्थापना, जिससे फसल की गुणवत्ता बनाए रखी जा सके और भंडारण की समस्याओं को सुलझाया जा सके।
कृषि-प्रोसेसिंग इंफ्रास्ट्रक्चर: सरकार ने कृषि-प्रोसेसिंग और इनक्लूसिव फार्मिंग पर ध्यान देने के लिए कई योजनाएँ शुरू की हैं, जैसे कि ‘प्रसंस्करण और संरक्षण’ परियोजनाएँ। इन परियोजनाओं का उद्देश्य किसानों को बेहतर मूल्य श्रृंखला और मूल्य वर्धन के अवसर प्रदान करना है।
ई-नम (E-NAM): ई-नम एक ऑनलाइन मार्केटिंग प्लेटफॉर्म है जो किसानों को राष्ट्रीय स्तर पर अपनी फसलें बेचने की सुविधा प्रदान करता है, जिससे उन्हें बेहतर कीमत मिल सके और बाजार की विसंगतियों को दूर किया जा सके।
इन प्रयासों से सरकार का उद्देश्य फसल कटाई के बाद के नुकसान को कम करना, किसानों को उचित मूल्य प्राप्त करना, और समग्र कृषि उत्पादन को स्थिर और सशक्त बनाना है। यह रणनीतियाँ किसानों की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करने और फसल की हानि को कम करने में सहायक हो रही हैं।