कोयला निष्कर्षण संबंधी बुनियादी ढांचे को उन्नत बनाने और कोयले की समग्र प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार हेतु माल ढुलाई लागत को कम करने के लिए हस्तक्षेप की आवश्यकता है। भारत के संदर्भ में चर्चा कीजिए। (250 शब्दों में उत्तर दें)
Lost your password? Please enter your email address. You will receive a link and will create a new password via email.
Please briefly explain why you feel this question should be reported.
Please briefly explain why you feel this answer should be reported.
Please briefly explain why you feel this user should be reported.
कोयला निष्कर्षण संबंधी बुनियादी ढांचे को उन्नत बनाने और माल ढुलाई लागत को कम करने के लिए हस्तक्षेप:
भारत में कोयला निष्कर्षण और आपूर्ति श्रृंखला में कई चुनौतियाँ हैं, जो कोयले की समग्र प्रतिस्पर्धात्मकता को प्रभावित करती हैं। कोयला एक प्रमुख ऊर्जा संसाधन है, लेकिन इसके परिवहन और वितरण की लागत को नियंत्रित करने की आवश्यकता है ताकि इसकी प्रतिस्पर्धात्मकता बनी रहे।
बुनियादी ढाँचा और माल ढुलाई लागत की चुनौतियाँ:
ट्रांसपोर्टेशन नेटवर्क: कोयले के बड़े मात्रा में परिवहन के लिए सड़क और रेल नेटवर्क की कमी है। वर्तमान ट्रांसपोर्टेशन नेटवर्क अपर्याप्त और कमजोर है, जिससे माल ढुलाई की लागत बढ़ जाती है।
कोलियरी से रेलवे स्टेशनों तक की कनेक्टिविटी: कोलियरी क्षेत्रों और रेलवे स्टेशनों के बीच कमजोर कनेक्टिविटी के कारण कोयले की परिवहन लागत बढ़ जाती है।
स्टोरेज और लॉजिस्टिक्स: स्टोरेज सुविधाओं की कमी और लॉजिस्टिक्स में inefficiencies भी लागत को प्रभावित करती हैं।
सरकारी हस्तक्षेप और सुधार उपाय:
डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर: भारत सरकार ने पूर्वी और पश्चिमी डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर का निर्माण शुरू किया है। ये कॉरिडोर कोयले जैसे भारी माल के लिए विशिष्ट रूप से डिज़ाइन किए गए हैं, जिससे ट्रांसपोर्टेशन की लागत और समय में कमी आएगी।
इंटरमॉडल लॉजिस्टिक्स हब: सरकार ने इंटरमॉडल लॉजिस्टिक्स हब विकसित करने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं, जो रेलवे, सड़क और जलमार्गों के एकीकृत उपयोग को बढ़ावा देंगे और ढुलाई लागत को कम करेंगे।
कोलियरी रेलवे स्पर लाइन्स: कोलियरी क्षेत्रों से रेलवे स्टेशनों तक बेहतर कनेक्टिविटी के लिए स्पर लाइन्स का निर्माण किया जा रहा है, जिससे कोयले के परिवहन की लागत और समय कम हो सके।
स्मार्ट और इंटेलिजेंट ट्रांसपोर्ट सिस्टम: डिजिटल तकनीक का उपयोग करके ट्रांसपोर्टेशन की योजना और निगरानी में सुधार किया जा रहा है, जिससे बेहतर ट्रैकिंग, रूट ऑप्टिमाइजेशन और लॉजिस्टिक्स की क्षमता बढ़ाई जा सके।
योजना और वित्तीय सहायता: कोयला मंत्रालय ने बुनियादी ढांचे के सुधार के लिए योजना और वित्तीय सहायता के कार्यक्रम शुरू किए हैं, जैसे कि कोल ट्रांसपोर्टेशन इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स (CTIDP)।
इन सुधारों से कोयला निष्कर्षण और परिवहन की लागत में कमी आ सकती है, जो कोयले की समग्र प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ावा देगा और भारतीय ऊर्जा क्षेत्र की दक्षता में सुधार करेगा।