एक समावेशी, निम्न-उत्सर्जन वाली और जलवायु अनुकूल विकास एजेंडा को अपनाने से भारत के घरेलू सार्वजनिक व्यय की प्रभावशीलता में काफी वृद्धि होगी। भारत में जलवायु परिवर्तन अनुकूल बजटिंग के संदर्भ में चर्चा कीजिए। (250 शब्दों में उत्तर दीजिए)
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भारत में जलवायु परिवर्तन अनुकूल बजटिंग (Climate-Responsive Budgeting) के माध्यम से घरेलू सार्वजनिक व्यय की प्रभावशीलता में महत्वपूर्ण सुधार संभव है। जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणामों को देखते हुए, एक समावेशी और निम्न-उत्सर्जन वाली विकास रणनीति अपनाना आवश्यक है। इस संदर्भ में, जलवायु परिवर्तन अनुकूल बजटिंग के लाभ निम्नलिखित हैं:
**1. प्रभावी संसाधन आवंटन:** जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में बजट तैयार करते समय, संसाधनों का आवंटन ऐसे क्षेत्रों में किया जा सकता है जो जलवायु लचीलापन और स्थिरता को बढ़ावा दें। इससे बुनियादी ढांचे, कृषि, और ऊर्जा क्षेत्र में टिकाऊ प्रथाओं को बढ़ावा मिल सकता है, जैसे कि नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों में निवेश और जलवायु अनुकूल कृषि तकनीकों का समर्थन।
**2. जोखिम प्रबंधन:** जलवायु परिवर्तन के जोखिमों, जैसे कि बाढ़ और सूखा, को ध्यान में रखते हुए बजट तैयार करना, सार्वजनिक निवेश को उन क्षेत्रों में केंद्रित करता है जो इन जोखिमों को कम कर सकते हैं। इससे आपदा प्रबंधन और पुनर्निर्माण कार्यों की लागत में कमी आ सकती है।
**3. समावेशिता:** जलवायु अनुकूल बजटिंग नीति को सभी सामाजिक और आर्थिक समूहों को ध्यान में रखते हुए तैयार किया जा सकता है, जिससे समाज के कमजोर वर्गों को विशेष लाभ मिलेगा और उनकी जलवायु संबंधी चुनौतियों का सामना करने में सहायता होगी।
**4. दीर्घकालिक लाभ:** जलवायु अनुकूल बजटिंग दीर्घकालिक विकास लक्ष्यों को साधने में मदद करती है, जैसे कि सतत विकास लक्ष्य (SDGs) को प्राप्त करने में योगदान देना। इससे न केवल जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम किया जा सकता है, बल्कि आर्थिक और सामाजिक स्थिरता भी प्राप्त की जा सकती है।
**5. पारदर्शिता और उत्तरदायित्व:** जलवायु बजटिंग से संबंधित डेटा और रिपोर्टिंग के माध्यम से पारदर्शिता बढ़ती है, जो नीति निर्माताओं और नागरिकों को बजट की प्रभावशीलता की निगरानी करने में सक्षम बनाती है।
**चुनौतियाँ और समाधान:**
हालांकि, जलवायु परिवर्तन अनुकूल बजटिंग के लाभ स्पष्ट हैं, इसके कार्यान्वयन में चुनौतियाँ भी हैं, जैसे कि डेटा की कमी, तकनीकी और संस्थागत क्षमताओं की कमी, और राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी। इन समस्याओं का समाधान करने के लिए, भारत को मजबूत नीतिगत ढाँचा, बेहतर डेटा संग्रहण और विश्लेषण क्षमताएँ, और सभी स्तरों पर समन्वय की आवश्यकता है।
इस प्रकार, जलवायु परिवर्तन अनुकूल बजटिंग भारत के घरेलू सार्वजनिक व्यय की प्रभावशीलता को बढ़ाने और दीर्घकालिक विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
भारत में जलवायु परिवर्तन अनुकूल बजटिंग (Climate-Resilient Budgeting) को अपनाने से घरेलू सार्वजनिक व्यय की प्रभावशीलता में महत्वपूर्ण सुधार हो सकता है। इस संदर्भ में भारत ने कई महत्वपूर्ण पहल की हैं:
इन पहलुओं के माध्यम से भारत ने एक समावेशी, निम्न-उत्सर्जन वाली और जलवायु अनुकूल विकास एजेंडा को अपनाने में सफलता प्राप्त की है, जिससे सार्वजनिक व्यय की प्रभावशीलता और जलवायु परिवर्तन के प्रति देश की संवेदनशीलता में वृद्धि हुई है।