भारत में एक मध्यम-वर्गीय कामकाजी महिला की अवस्थिति को पितृतंत्र (पेट्रिआर्की) किस प्रकार प्रभावित करता है ? (150 words) [UPSC 2014]
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भारत में एक मध्यम-वर्गीय कामकाजी महिला की अवस्थिति को पितृतंत्र (पेट्रिआर्की) कई तरीकों से प्रभावित करता है:
सामाजिक संरचना:
पारंपरिक भूमिकाएँ: पितृतंत्र में महिलाओं की भूमिकाएँ पारंपरिक होती हैं, जैसे घरेलू जिम्मेदारियाँ और परिवार की देखभाल। कामकाजी महिलाओं को अक्सर नौकरी और घर के काम के बीच संतुलन बनाने में कठिनाई होती है, जिससे उनकी पेशेवर उन्नति प्रभावित होती है।
सामाजिक मानदंड: पितृतंत्र समाज में महिलाओं की स्वतंत्रता और करियर विकास पर सामाजिक मानदंडों का दबाव रहता है। कार्यस्थल पर भेदभाव और घरेलू दबाव उनकी आत्म-संप्रभुता को सीमित कर सकते हैं।
आर्थिक प्रभाव:
वेतन अंतर: पितृतंत्र के कारण कामकाजी महिलाओं को समान कार्य के लिए पुरुषों के मुकाबले कम वेतन मिल सकता है।
उन्नति के अवसर: करियर में उन्नति के अवसरों पर पितृतंत्र के प्रभाव के कारण कामकाजी महिलाओं को अक्सर बाधाओं का सामना करना पड़ता है, जैसे कि पदोन्नति और नेतृत्व की भूमिकाओं में कमी।
इन पहलुओं के कारण, मध्यम-वर्गीय कामकाजी महिलाओं की अवस्थिति पितृतंत्र के प्रभाव में होती है, जिससे उनके पेशेवर और व्यक्तिगत जीवन में असंतुलन और चुनौतियाँ उत्पन्न होती हैं।