“प्रतिकूल पर्यावरणीय प्रभाव के बावजूद, कोयला खनन विकास के लिए अभी भी अपरिहार्य है ।” विवेचना कीजिए । (150 words) [UPSC 2017]
Lost your password? Please enter your email address. You will receive a link and will create a new password via email.
Please briefly explain why you feel this question should be reported.
Please briefly explain why you feel this answer should be reported.
Please briefly explain why you feel this user should be reported.
कोयला खनन: विकास और पर्यावरणीय प्रभाव
परिचय: कोयला खनन भारत की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, लेकिन इसके प्रतिकूल पर्यावरणीय प्रभाव भी हैं। इसके बावजूद, यह विकास के लिए अपरिहार्य बना हुआ है।
कोयला खनन की अपरिहार्यता:
पर्यावरणीय प्रतिकूल प्रभाव:
निष्कर्ष: कोयला खनन विकास के लिए अपरिहार्य है क्योंकि यह ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हालांकि, इसके पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के लिए “सतत खनन प्रथाएँ” और “वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों” पर जोर देना आवश्यक है।