क्या हम वैश्विक पहचान के लिए अपनी स्थानीय पहचान को खोते जा रहे हैं? चर्चा कीजिए । (250 words) [UPSC 2019]
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यह एक बहुत महत्वपूर्ण और चर्चित विषय है। कुछ विश्वास हैं कि वैश्विक पहचान के प्रति बढ़ते झुकाव के कारण हम अपनी स्थानीय पहचान को खोते जा रहे हैं, जबकि अन्य मानते हैं कि दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं और एक-दूसरे को मजबूत करते हैं।
वैश्विकरण के कारण लोगों को अन्य संस्कृतियों और पहचानों से अधिक जुड़ाव महसूस होने लगा है। सोशल मीडिया, इंटरनेट और आधुनिक संचार माध्यमों ने लोगों को एक-दूसरे से जोड़ दिया है, जिसके कारण वे अपने स्थानीय पहचान के अलावा वैश्विक पहचान का भी एहसास करने लगे हैं।
इसके साथ ही, कई लोग अपनी स्थानीय पहचान को बनाए रखने के लिए प्रयासरत हैं। उनका मानना है कि वैश्विक पहचान और स्थानीय पहचान एक-दूसरे का पूरक हैं। वे मानते हैं कि स्थानीय पहचान की पृष्ठभूमि में ही वैश्विक पहचान मजबूत होती है।
समग्र रूप से, यह एक जटिल प्रक्रिया है। वैश्विक एकीकरण के साथ-साथ लोग अपनी स्थानीय पहचान को भी महत्व देते हैं। यह एक संतुलन बनाने की प्रक्रिया है, जिसमें दोनों पहचानों को एक-दूसरे के पूरक के रूप में देखा जाता है। इस प्रक्रिया में हमारी स्थानीय पहचान कभी-कभी कमजोर पड़ सकती है, लेकिन यह पूरी तरह से नहीं खो जाती।