उन्नीसवीं शताब्दी के ‘भारतीय पुनर्जागरण’ और राष्ट्रीय पहचान के उद्भव के मध्य सहलग्नताओं का परीक्षण कीजिए । (250 words) [UPSC 2019]
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उन्नीसवीं शताब्दी का भारतीय पुनर्जागरण और राष्ट्रीय पहचान
परिचय: उन्नीसवीं शताब्दी के भारतीय पुनर्जागरण ने भारतीय समाज में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन की शुरुआत की, जिसमें सामाजिक, सांस्कृतिक, और राजनीतिक तत्वों ने मिलकर एक नई राष्ट्रीय पहचान को आकार दिया। यह युग भारतीय समाज की एक नई दिशा और पहचान की खोज का दौर था, जिसमें भारतीय पुनर्जागरण और राष्ट्रीय पहचान के उद्भव के बीच कई सहलग्नताएँ देखी गईं।
भारतीय पुनर्जागरण: भारतीय पुनर्जागरण ने भारतीय समाज को नई दृष्टि और विचारधारा की ओर अग्रसर किया। इसके प्रमुख तत्वों में शामिल हैं:
राष्ट्रीय पहचान का उद्भव: भारतीय पुनर्जागरण ने राष्ट्रीय पहचान के उद्भव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई:
हाल की घटनाएँ: आज के समय में, भारतीय पुनर्जागरण के तत्वों का पुनरावलोकन हो रहा है, जैसे कि पुनर्जागरण नेताओं के योगदान की पुनर्समीक्षा और उनके विचारों का आधुनिक समाज पर प्रभाव। स्वतंत्रता संग्राम के शहीदों की नयी पीढ़ी को पहचान और राष्ट्रीयता की नई परिभाषा भी इस संदर्भ में महत्वपूर्ण हैं।
निष्कर्ष: उन्नीसवीं शताब्दी का भारतीय पुनर्जागरण और राष्ट्रीय पहचान के उद्भव के बीच सहलग्नताएँ दर्शाती हैं कि कैसे सांस्कृतिक और सामाजिक परिवर्तन ने राजनीतिक जागरूकता को बढ़ावा दिया। यह युग एक सशक्त भारतीय पहचान की नींव रखता है, जो आज भी भारतीय समाज की सामाजिक और राष्ट्रीय भावनाओं को प्रेरित करती है।