राज्यों एवं प्रदेशों का राजनीतिक और प्रशासनिक पुनर्गठन उन्नीसवीं शताब्दी के मध्य से निरंतर चल रही एक प्रक्रिया है। उदाहरण सहित विचार करें। (250 words) [UPSC 2022]
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राज्यों और प्रदेशों का राजनीतिक और प्रशासनिक पुनर्गठन उन्नीसवीं शताब्दी के मध्य से एक निरंतर प्रक्रिया रही है, जिसने भारत के राजनीतिक और प्रशासनिक ढांचे को कई बार बदल दिया है।
उन्नीसवीं शताब्दी का पुनर्गठन: उन्नीसवीं सदी में, ब्रिटिश शासन के तहत भारत में प्रशासनिक पुनर्गठन की कई घटनाएँ हुईं। 1857 के विद्रोह के बाद, ब्रिटिश सरकार ने प्रशासनिक नियंत्रण को मजबूत किया और विभिन्न प्रांतों में बदलाव किए। 1861 में, भारतीय परिषद अधिनियम ने प्रांतों के प्रशासन को अधिक स्वायत्तता दी और प्रांतीय विधान परिषदों का गठन किया।
बीसवीं सदी का पुनर्गठन: स्वतंत्रता के बाद, भारत में कई महत्वपूर्ण पुनर्गठन किए गए। 1956 में, भारतीय राज्य पुनर्गठन आयोग की सिफारिशों पर राज्यों की सीमाओं को भाषाई आधार पर पुनर्व्यवस्थित किया गया। इस प्रक्रिया के तहत, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, और गुजरात जैसे नए राज्यों का निर्माण हुआ, जिससे राज्यों का आकार और प्रशासनिक संरचना अधिक सुसंगठित और स्थानीय भाषाओं के अनुरूप हो गई।
वर्तमान समय का पुनर्गठन: हाल ही में, 2000 में झारखंड, उत्तराखंड और छत्तीसगढ़ का गठन हुआ, जो पहले बड़े राज्यों के हिस्से थे। यह पुनर्गठन स्थानीय प्रशासन को बेहतर ढंग से प्रबंधित करने और क्षेत्रीय असंतोष को कम करने के उद्देश्य से किया गया।
ये सभी परिवर्तन भारत की विविधताओं और प्रशासनिक आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए किए गए हैं। इन पुनर्गठनों ने स्थानीय प्रशासन को अधिक प्रभावी और जन-संवेदनशील बनाने में मदद की है, जिससे क्षेत्रीय विकास और प्रशासनिक दक्षता में सुधार हुआ है।