जी० डी० पी० में विनिर्माण क्षेत्र विशेषकर एम० एस० एम० ई० की बढ़ी हुई हिस्सेदारी तेज आर्थिक संवृद्धि के लिए आवश्यक है। इस संबंध में सरकार की वर्तमान नीतियों पर टिप्पणी कीजिए। (150 words)[UPSC 2023]
डिजाइन संबद्ध प्रोत्साहन (DLI) योजना भारत सरकार द्वारा शुरू की गई एक पहल है जिसका उद्देश्य देश में अर्धचालक (सेमीकंडक्टर) डिज़ाइन उद्योग को बढ़ावा देना है। यह योजना विशेष रूप से अर्धचालक डिजाइन और संबंधित तकनीकी क्षमताओं में निवेश को प्रोत्साहित करती है, ताकि भारत में उच्च गुणवत्ता वाले अर्धचालक डिजRead more
डिजाइन संबद्ध प्रोत्साहन (DLI) योजना भारत सरकार द्वारा शुरू की गई एक पहल है जिसका उद्देश्य देश में अर्धचालक (सेमीकंडक्टर) डिज़ाइन उद्योग को बढ़ावा देना है। यह योजना विशेष रूप से अर्धचालक डिजाइन और संबंधित तकनीकी क्षमताओं में निवेश को प्रोत्साहित करती है, ताकि भारत में उच्च गुणवत्ता वाले अर्धचालक डिज़ाइन तैयार किए जा सकें और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा को बढ़ाया जा सके।
DLI योजना के तहत, कंपनियों को अर्धचालक डिज़ाइन के लिए अनुसंधान और विकास (R&D), उपकरणों की खरीद, और अन्य आवश्यक संसाधनों के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। इससे उद्योग को तकनीकी उन्नति के लिए आवश्यक प्रोत्साहन मिलता है और देश में अर्धचालक डिजाइन क्षमताओं को सशक्त बनाने में मदद मिलती है।
इस योजना से भारत में अर्धचालक विनिर्माण उद्योग में महत्वपूर्ण परिवर्तन आ सकते हैं:
- स्वदेशी क्षमताओं का विकास: यह योजना भारतीय कंपनियों को उच्च गुणवत्ता वाले अर्धचालक डिज़ाइन तैयार करने में सक्षम बनाएगी, जिससे स्वदेशी अर्धचालक उत्पादन बढ़ेगा।
- निवेश आकर्षण: अनुसंधान और विकास के लिए वित्तीय प्रोत्साहन से निवेशकों को भारत में अर्धचालक क्षेत्र में निवेश करने की प्रेरणा मिलेगी।
- आत्मनिर्भरता: देश में अर्धचालक डिजाइन की मजबूती से भारत की वैश्विक प्रतिस्पर्धा में वृद्धि होगी और विदेशी आयात पर निर्भरता कम होगी।
समग्र रूप से, DLI योजना से भारत का अर्धचालक विनिर्माण क्षेत्र तकनीकी रूप से उन्नत और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में सक्षम बन सकता है, जिससे आर्थिक विकास को भी प्रोत्साहन मिलेगा।
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परिचय भारत में तेज आर्थिक संवृद्धि के लिए विनिर्माण क्षेत्र, विशेषकर सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (MSMEs) की जीडीपी में हिस्सेदारी को बढ़ाना आवश्यक है। वर्तमान में भारत के GDP में विनिर्माण का योगदान लगभग 17% है। इसे बढ़ाकर 25% तक ले जाने का लक्ष्य है, जो रोजगार सृजन और समावेशी विकास में सहायक होगा।Read more
परिचय
भारत में तेज आर्थिक संवृद्धि के लिए विनिर्माण क्षेत्र, विशेषकर सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (MSMEs) की जीडीपी में हिस्सेदारी को बढ़ाना आवश्यक है। वर्तमान में भारत के GDP में विनिर्माण का योगदान लगभग 17% है। इसे बढ़ाकर 25% तक ले जाने का लक्ष्य है, जो रोजगार सृजन और समावेशी विकास में सहायक होगा।
सरकार की नीतियाँ
सरकार ने PLI योजना के तहत इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मास्यूटिकल्स, ऑटोमोबाइल और कपड़ा जैसे क्षेत्रों में विनिर्माण को प्रोत्साहन देने के लिए वित्तीय सहायता दी है। यह MSMEs को आपूर्ति श्रृंखला का हिस्सा बनाकर उनके विकास में मदद करता है।
मेक इन इंडिया अभियान का उद्देश्य घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देना और एफ़डीआई को आकर्षित करना है। इसके तहत एमएसएमई के लिए नियमों का सरलीकरण और बुनियादी ढांचे में सुधार किए गए हैं, जिससे विनिर्माण क्षेत्र का विस्तार हो सके।
आत्मनिर्भर भारत पहल का मुख्य उद्देश्य भारत को स्वावलंबी बनाना है। इसके तहत स्थानीय विनिर्माण को बढ़ावा देने और MSMEs को डिजिटल प्रौद्योगिकियों के साथ सशक्त बनाने के लिए सहायता दी जा रही है।
MSMEs को संकट से उबारने और उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए आपातकालीन क्रेडिट गारंटी योजना (ECLGS) और मुद्रा योजना के तहत वित्तीय सहायता दी जा रही है।
निष्कर्ष
See lessPLI, मेक इन इंडिया, और आत्मनिर्भर भारत जैसी योजनाओं के माध्यम से MSMEs को बढ़ावा दिया जा रहा है, जो GDP में विनिर्माण की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण हैं। हालांकि, बुनियादी ढाँचे और नवाचार में और सुधार की आवश्यकता है।