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कार्यवाहियों की नैतिकता के संबंध में एक दृष्टिकोण तो यह है, कि साधन सर्वोपरि महत्त्व के होते हैं और दूसरा दृष्टिकोण यह है कि परिणाम साधनों को उचित सिद्ध करते हैं। आपके विचार में इनमें से कौन-सा दृष्टिकोण अपेक्षाकृत अधिक उपयुक्त है? अपने उत्तर के पक्ष में तर्क पेश कीजिए । (150 words) [UPSC 2018]
कार्यवाहियों की नैतिकता: दृष्टिकोण पर विश्लेषण साधन सर्वोपरि हैं दृष्टिकोण: इस दृष्टिकोण के अनुसार, कार्यवाहियों के लिए प्रयुक्त साधन या तरीके अत्यधिक महत्वपूर्ण होते हैं। नैतिकता का मूल्यांकन साधनों की नैतिकता पर आधारित होता है, न कि केवल अंतिम परिणाम पर। तर्क: यह दृष्टिकोण सुनिश्चित करता है कि कारRead more
कार्यवाहियों की नैतिकता: दृष्टिकोण पर विश्लेषण
साधन सर्वोपरि हैं
दृष्टिकोण: इस दृष्टिकोण के अनुसार, कार्यवाहियों के लिए प्रयुक्त साधन या तरीके अत्यधिक महत्वपूर्ण होते हैं। नैतिकता का मूल्यांकन साधनों की नैतिकता पर आधारित होता है, न कि केवल अंतिम परिणाम पर।
तर्क: यह दृष्टिकोण सुनिश्चित करता है कि कार्यवाही के दौरान नैतिक मानक बनाए रखें जाएं, जिससे दीर्घकालिक सकारात्मक प्रभाव और विश्वास बने रहते हैं। उदाहरण: महात्मा गांधी ने सत्याग्रह और अहिंसा के तरीकों से स्वतंत्रता संग्राम लड़ा, जो केवल परिणाम की ओर नहीं, बल्कि साधनों की नैतिकता की ओर भी ध्यान केंद्रित करता था।
परिणाम साधनों को उचित सिद्ध करते हैं
दृष्टिकोण: इस दृष्टिकोण के अनुसार, यदि परिणाम सकारात्मक हैं, तो साधन भले ही अनैतिक क्यों न हों, उन्हें उचित ठहराया जा सकता है।
तर्क: यह दृष्टिकोण कभी-कभी अनुचित साधनों को वैधता प्रदान कर सकता है, जैसे कि एनरॉन स्कैंडल में, जहां अनैतिक तरीके अपनाए गए, लेकिन अंततः इसका परिणाम विनाशकारी रहा।
निष्कर्ष: साधन सर्वोपरि हैं का दृष्टिकोण अधिक उपयुक्त है क्योंकि यह सुनिश्चित करता है कि नैतिकता केवल परिणाम पर निर्भर न होकर, कार्यविधियों के नैतिक आधार पर भी आधारित हो। यह दृष्टिकोण दीर्घकालिक नैतिकता और संगठनात्मक विश्वास को बढ़ावा देता है।
See lessनिम्नलिखित में से प्रत्येक पर 30 शब्दों में संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए : (i) सांविधानिक नैतिकता (ii) हितों का संघर्ष (iii) सार्वजनिक जीवन में सत्यनिष्ठा (iv) डिजिटिकरण की चुनौतियाँ (v) कर्तव्यनिष्ठा
(i) सांविधानिक नैतिकता सांविधानिक नैतिकता का तात्पर्य संविधान के मूलभूत सिद्धांतों, मूल्यों और आदर्शों के प्रति समर्पण से है। यह न्याय, समानता, और विधि के शासन को बनाए रखने में सहायक होती है। (ii) हितों का संघर्ष हितों का संघर्ष तब उत्पन्न होता है जब विभिन्न व्यक्तियों या समूहों के व्यक्तिगत लाभ एक-Read more
(i) सांविधानिक नैतिकता
सांविधानिक नैतिकता का तात्पर्य संविधान के मूलभूत सिद्धांतों, मूल्यों और आदर्शों के प्रति समर्पण से है। यह न्याय, समानता, और विधि के शासन को बनाए रखने में सहायक होती है।
(ii) हितों का संघर्ष
हितों का संघर्ष तब उत्पन्न होता है जब विभिन्न व्यक्तियों या समूहों के व्यक्तिगत लाभ एक-दूसरे से टकराते हैं। इससे समाधान की दिशा में विवाद और निर्णयों में जटिलता पैदा होती है।
(iii) सार्वजनिक जीवन में सत्यनिष्ठा
सार्वजनिक जीवन में सत्यनिष्ठा का अर्थ है ईमानदारी और पारदर्शिता बनाए रखना। यह समाज में विश्वास और भरोसे को बढ़ावा देती है, जिससे सरकारी और सामाजिक संस्थाएँ प्रभावी बनती हैं।
(iv) डिजिटिकरण की चुनौतियाँ
डिजिटिकरण के साथ डेटा सुरक्षा, गोपनीयता, और डिजिटल खतरों जैसी समस्याएँ बढ़ जाती हैं। इसके अतिरिक्त, डिजिटल विषमताएँ और तकनीकी साक्षरता की कमी भी प्रमुख चुनौतियाँ हैं।
(v) कर्तव्यनिष्ठा
See lessकर्तव्यनिष्ठा का मतलब है अपने कार्यों और जिम्मेदारियों के प्रति ईमानदारी और लगन से काम करना। यह व्यक्ति की व्यक्तिगत और पेशेवर सफलता के लिए महत्वपूर्ण होती है।
'नैतिक अंतर्ज्ञान' से 'नैतिक तर्कशक्ति' का अन्तर स्पष्ट करते हुए उचित उदाहरण दीजिए । (150 words)[UPSC 2023]
नैतिक अंतर्ज्ञान और नैतिक तर्कशक्ति में अंतर नैतिक अंतर्ज्ञान: नैतिक अंतर्ज्ञान वह स्वचालित और तात्कालिक नैतिक निर्णय है जो भावनात्मक प्रतिक्रिया या आदतों पर आधारित होता है। उदाहरण के तौर पर, दया और करुणा की भावना से किसी गरीब को मदद करने की तत्परता दिखाना नैतिक अंतर्ज्ञान का एक उदाहरण है। यह भावनाRead more
नैतिक अंतर्ज्ञान और नैतिक तर्कशक्ति में अंतर
नैतिक अंतर्ज्ञान: नैतिक अंतर्ज्ञान वह स्वचालित और तात्कालिक नैतिक निर्णय है जो भावनात्मक प्रतिक्रिया या आदतों पर आधारित होता है। उदाहरण के तौर पर, दया और करुणा की भावना से किसी गरीब को मदद करने की तत्परता दिखाना नैतिक अंतर्ज्ञान का एक उदाहरण है। यह भावना तुरंत उत्पन्न होती है और सोच-विचार की प्रक्रिया के बिना आंतरिक विश्वासों और सांस्कृतिक मान्यताओं पर आधारित होती है।
नैतिक तर्कशक्ति: नैतिक तर्कशक्ति में नैतिक मुद्दों पर सावधानीपूर्वक और तर्कसंगत विचार शामिल होता है, जिसमें तर्क, मूल्य और परिणामों का विश्लेषण किया जाता है। उदाहरण के लिए, वातावरण संरक्षण के लिए सरकारी नीतियों पर चर्चा करते समय, नीति निर्माता तर्कशक्ति का उपयोग करते हैं। वे विभिन्न पर्यावरणीय प्रभावों और भविष्य की पीढ़ियों के प्रति नैतिक जिम्मेदारियों का विश्लेषण करते हैं, न कि केवल भावनात्मक प्रतिक्रियाओं पर निर्भर होते हैं।
इस प्रकार, नैतिक अंतर्ज्ञान तात्कालिक और भावनात्मक निर्णय प्रदान करता है, जबकि नैतिक तर्कशक्ति गहरे विचार और विश्लेषण पर आधारित होता है।
See lessप्रशासकों द्वारा धारित शक्ति, यदि सही तरीके से प्रयोग की जाए तो देश को महान लाभ प्रदान कर सकती है, लेकिन यदि इसका दुरुपयोग किया जाए तो क्षति और अपमान का कारण बन सकती है। सविस्तार वर्णन कीजिए। (150 शब्दों में उत्तर दें)
प्रशासकों द्वारा धारित शक्ति, यदि सही तरीके से प्रयोग की जाए, तो यह देश के विकास और समृद्धि के लिए अत्यंत लाभकारी हो सकती है। जब प्रशासक अपनी शक्ति का प्रयोग पारदर्शिता, न्याय और सतत सुधार के लिए करते हैं, तो वे कानून के शासन को मजबूत करते हैं, प्रशासनिक कुशलता में सुधार करते हैं, और नागरिकों के जीवRead more
प्रशासकों द्वारा धारित शक्ति, यदि सही तरीके से प्रयोग की जाए, तो यह देश के विकास और समृद्धि के लिए अत्यंत लाभकारी हो सकती है। जब प्रशासक अपनी शक्ति का प्रयोग पारदर्शिता, न्याय और सतत सुधार के लिए करते हैं, तो वे कानून के शासन को मजबूत करते हैं, प्रशासनिक कुशलता में सुधार करते हैं, और नागरिकों के जीवनस्तर को बेहतर बनाते हैं। इसके परिणामस्वरूप सामाजिक न्याय, आर्थिक विकास, और समृद्धि को बढ़ावा मिलता है।
इसके विपरीत, यदि शक्ति का दुरुपयोग किया जाए, तो यह भ्रष्टाचार, शोषण, और संस्थागत विफलता का कारण बन सकता है। जब प्रशासक अपने अधिकार का अनुचित लाभ उठाते हैं या निजी स्वार्थ के लिए इसका प्रयोग करते हैं, तो इससे समाज में असमानता, असंतोष, और विश्वास की कमी उत्पन्न होती है। इस प्रकार, शक्ति का दुरुपयोग न केवल प्रशासन की छवि को धूमिल करता है बल्कि देश की सामाजिक और आर्थिक स्थिति को भी नुकसान पहुँचाता है।
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