भारत में राज्य विधायिकाओं में महिलाओं की प्रभावी एवं सार्थक भागीदारी और प्रतिनिधित्व के लिये नागरिक समाज समूहों के योगदान पर विचार कीजिए । (250 words) [UPSC 2023]
आत्मनिर्भर समूह (एस.एच.जी.) बैंक अनुबंधन कार्यक्रम (एस.बी.एल.पी.) भारत का एक महत्वपूर्ण नवाचार है, जिसने निर्धनता न्यूनीकरण और महिला सशक्तीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 1990 के दशक की शुरुआत में शुरू किया गया यह कार्यक्रम गरीब और पिछड़े समुदायों को वित्तीय सेवाओं से जोड़ता है और व्यापक सामाजिकRead more
आत्मनिर्भर समूह (एस.एच.जी.) बैंक अनुबंधन कार्यक्रम (एस.बी.एल.पी.) भारत का एक महत्वपूर्ण नवाचार है, जिसने निर्धनता न्यूनीकरण और महिला सशक्तीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 1990 के दशक की शुरुआत में शुरू किया गया यह कार्यक्रम गरीब और पिछड़े समुदायों को वित्तीय सेवाओं से जोड़ता है और व्यापक सामाजिक एवं आर्थिक लाभ प्रदान करता है।
प्रमुख विशेषताएँ और प्रभाव:
वित्तीय समावेशन: एस.बी.एल.पी. कार्यक्रम के तहत, आत्मनिर्भर समूहों, जो मुख्यतः महिलाओं का समूह होते हैं, को औपचारिक बैंकों से जोड़ा जाता है। इससे उन्हें क्रेडिट, बचत और अन्य वित्तीय सेवाओं की सुविधा मिलती है जो पहले अनुपलब्ध थी। यह वित्तीय समावेशन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो गरीबों को बैंकिंग प्रणाली से जोड़ता है।
महिला सशक्तीकरण: इस कार्यक्रम का मुख्य ध्यान महिलाओं पर है। आत्मनिर्भर समूहों में महिलाओं को शामिल करके, उन्हें वित्तीय संसाधनों तक पहुँच प्रदान की जाती है, जिससे वे आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त होती हैं। महिलाओं की भागीदारी से उनकी परिवार और समुदाय में निर्णय लेने की शक्ति बढ़ती है, और वे स्वावलंबी बनती हैं।
निर्धनता न्यूनीकरण: आत्मनिर्भर समूहों को प्रदान किए गए छोटे-मोटे ऋण उन्हें व्यापार शुरू करने या विस्तार करने में मदद करते हैं। इससे उनकी आय में वृद्धि होती है और जीवन स्तर सुधारता है। समूहों का सामूहिक स्वरूप आपसी समर्थन और सहयोग को बढ़ावा देता है, जो आर्थिक जोखिमों और वित्तीय आपात स्थितियों से निपटने में सहायक होता है।
क्षमता निर्माण और सामाजिक पूंजी: इस कार्यक्रम के माध्यम से वित्तीय साक्षरता, बचत की आदतें, और समूह आधारित चर्चा को बढ़ावा मिलता है। इससे सदस्यों के वित्तीय प्रबंधन कौशल में सुधार होता है और सामाजिक पूंजी में वृद्धि होती है।
निष्कर्ष:
आत्मनिर्भर समूह बैंक अनुबंधन कार्यक्रम निर्धनता न्यूनीकरण और महिला सशक्तीकरण में अत्यधिक प्रभावी साबित हुआ है। यह गरीब समुदायों को औपचारिक वित्तीय प्रणाली से जोड़ता है, उनके आर्थिक अवसरों को बढ़ाता है, और सामाजिक एकता को प्रोत्साहित करता है। इसके सफल कार्यान्वयन ने इसे भारत के विकास प्रयासों में एक प्रमुख नवाचार बना दिया है।
भारत में राज्य विधायिकाओं में महिलाओं की प्रभावी और सार्थक भागीदारी तथा प्रतिनिधित्व को बढ़ाने में नागरिक समाज समूहों (सीएसओ) का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उनके योगदान को निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से समझा जा सकता है: साधन और समर्थन विधायी सुधारों के लिए अभियान: नागरिक समाज समूह महिलाओं की राजनीतिकRead more
भारत में राज्य विधायिकाओं में महिलाओं की प्रभावी और सार्थक भागीदारी तथा प्रतिनिधित्व को बढ़ाने में नागरिक समाज समूहों (सीएसओ) का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उनके योगदान को निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से समझा जा सकता है:
साधन और समर्थन
साक्षरता और जागरूकता
निगरानी और पारदर्शिता
ग्रासरूट्स गतिविधियाँ
इन प्रयासों के माध्यम से, नागरिक समाज समूह महिलाओं की राज्य विधायिकाओं में भागीदारी को बढ़ावा देने और एक अधिक समावेशी और प्रतिनिधित्वपूर्ण राजनीतिक परिदृश्य को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
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