राष्ट्रपति द्वारा हाल में प्रख्यापित अध्यादेश के द्वारा माध्यस्थम् और सुलह अधिनियम, 1996 में क्या प्रमुख परिवर्तन किए गए हैं? यह भारत के विवाद समाधान यांत्रिकत्व को किस सीमा तक सुधारेगा? चर्चा कीजिए। (200 words) [UPSC 2015]
अधिकरणों की सामान्य न्यायालयों की अधिकारिता पर प्रभाव और संवैधानिक वैधता अधिकरणों और सामान्य न्यायालयों की अधिकारिता: अधिकरण, विशेष रूप से प्रशासनिक न्यायालय, विवादों का समाधान त्वरित और विशेषज्ञ तरीके से करने के लिए स्थापित किए जाते हैं। ये विशेष क्षेत्रीय या विषयगत मामलों पर विचार करते हैं और उनकाRead more
अधिकरणों की सामान्य न्यायालयों की अधिकारिता पर प्रभाव और संवैधानिक वैधता
अधिकरणों और सामान्य न्यायालयों की अधिकारिता:
अधिकरण, विशेष रूप से प्रशासनिक न्यायालय, विवादों का समाधान त्वरित और विशेषज्ञ तरीके से करने के लिए स्थापित किए जाते हैं। ये विशेष क्षेत्रीय या विषयगत मामलों पर विचार करते हैं और उनका उद्देश्य प्रक्रिया की दक्षता और विशेषज्ञता प्रदान करना है। हालांकि, इस व्यवस्था से यह भी चिंताएं उठी हैं कि अधिकरण सामान्य न्यायालयों की अधिकारिता को कम कर सकते हैं।
1. अधिकारिता में कमी: अधिकरण विशेष मामलों पर निर्णय लेते हैं, जो कभी-कभी सामान्य न्यायालयों के लिए शेष मुद्दों को प्रभावित कर सकते हैं। जब अधिकरण का निर्णय अंतिम होता है, तो यह सामान्य न्यायालयों की न्यायिक समीक्षा की प्रक्रिया को सीमित कर सकता है, जिससे सामान्य न्यायालयों की अधिकारिता में कमी हो सकती है।
2. विशेषज्ञता का लाभ: अधिकरण विशेष मुद्दों पर विशेषज्ञता प्रदान करते हैं, जिससे जटिल मामलों का निपटारा जल्दी और अधिक प्रभावी ढंग से किया जा सकता है। इस दृष्टिकोण से, अधिकरण सामान्य न्यायालयों की भूमिका को समर्थन प्रदान करते हैं, बजाय कि उसकी अधिकारिता को कम करते हैं।
संविधानिक वैधता और सक्षमता:
1. संवैधानिक वैधता: भारतीय संविधान की धारा 323A और 323B के तहत अधिकरणों की स्थापना की गई है, जो प्रशासनिक सुधारों के तहत विशेष न्यायिक निकायों को मान्यता देती है। ये अधिकरण संविधानिक रूप से मान्यता प्राप्त हैं और केंद्रीय तथा राज्य सरकारों द्वारा स्थापित किए जा सकते हैं।
2. सक्षमता: अधिकरणों की सक्षमता उस क्षेत्र में विशेषज्ञता पर आधारित होती है, जिस पर वे विचार करते हैं। उदाहरण के लिए, आयकर अपीलीय अधिकरण (ITAT) या केंद्रीय शासित विवाद समाधान अधिकरण (CAT) विशेष विषयों पर निर्णय लेते हैं। ये अधिकरण अपनी सक्षमता और विशेषज्ञता के लिए जाने जाते हैं, जिससे न्यायिक प्रक्रियाओं को सरल और अधिक प्रभावी बनाया जा सके।
3. न्यायिक समीक्षा: हालांकि अधिकरणों का निर्णय सामान्य न्यायालयों की पूर्ण समीक्षा से परे हो सकता है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालयों को संविधान और कानून के अनुसार न्यायिक समीक्षा का अधिकार प्राप्त है। इस प्रकार, अधिकरणों के निर्णयों की अंतिम जांच की जाती है और यह सुनिश्चित किया जाता है कि वे संविधानिक और कानूनी मानदंडों के अनुरूप हों।
उपसंहार:
अधिकरण सामान्य न्यायालयों की अधिकारिता को कम करने की बजाय, उन्हें विशेष मामलों में विशेषज्ञता और दक्षता प्रदान करते हैं। भारतीय संविधान के तहत इनकी संवैधानिक वैधता सुनिश्चित की गई है और उनकी सक्षमता विशिष्ट मामलों पर निर्णय लेने में विशेष होती है। यद्यपि अधिकरणों के निर्णयों की अंतिम न्यायिक समीक्षा की प्रक्रिया बनी रहती है, परंतु वे प्रशासनिक न्याय प्रणाली में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
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माध्यस्थम् और सुलह अधिनियम, 1996 में राष्ट्रपति द्वारा किए गए प्रमुख परिवर्तन और भारत के विवाद समाधान यांत्रिकत्व पर प्रभाव परिचय हाल ही में राष्ट्रपति द्वारा प्रख्यापित अध्यादेश ने माध्यस्थम् और सुलह अधिनियम, 1996 में महत्वपूर्ण परिवर्तन किए हैं, जिनका उद्देश्य भारत के विवाद समाधान यांत्रिकत्व को सRead more
माध्यस्थम् और सुलह अधिनियम, 1996 में राष्ट्रपति द्वारा किए गए प्रमुख परिवर्तन और भारत के विवाद समाधान यांत्रिकत्व पर प्रभाव
परिचय हाल ही में राष्ट्रपति द्वारा प्रख्यापित अध्यादेश ने माध्यस्थम् और सुलह अधिनियम, 1996 में महत्वपूर्ण परिवर्तन किए हैं, जिनका उद्देश्य भारत के विवाद समाधान यांत्रिकत्व को सुधारना है।
प्रमुख परिवर्तन
भारत के विवाद समाधान यांत्रिकत्व पर प्रभाव ये परिवर्तन भारत के विवाद समाधान यांत्रिकत्व को सुधारने में सहायक होंगे। त्वरित और पारदर्शी प्रक्रिया, साथ ही संस्थागत माध्यस्थता के बढ़ावे से भारत को अंतर्राष्ट्रीय माध्यस्थता के लिए एक आकर्षक गंतव्य बनाया जा सकेगा। इससे व्यापार और कानूनी प्रक्रिया में स्पष्टता और विश्वास बढ़ेगा।
निष्कर्ष राष्ट्रपति द्वारा प्रख्यापित अध्यादेश के माध्यम से किए गए परिवर्तन भारत के विवाद समाधान यांत्रिकत्व को अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे, जो आर्थिक वातावरण और कानूनी निश्चितता को सकारात्मक रूप से प्रभावित करेंगे।
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