Home/upsc: samvaidhanik viakas (1858-1947)
- Recent Questions
- Most Answered
- Answers
- No Answers
- Most Visited
- Most Voted
- Random
- Bump Question
- New Questions
- Sticky Questions
- Polls
- Followed Questions
- Favorite Questions
- Recent Questions With Time
- Most Answered With Time
- Answers With Time
- No Answers With Time
- Most Visited With Time
- Most Voted With Time
- Random With Time
- Bump Question With Time
- New Questions With Time
- Sticky Questions With Time
- Polls With Time
- Followed Questions With Time
- Favorite Questions With Time
स्वतंत्र भारत के लिए संविधान का मसौदा केवल तीन साल में तैयार करने के ऐतिहासिक कार्य को पूर्ण करना संविधान सभा के लिए कठिन होता, यदि उनके पास भारत सरकार अधिनियम, 1935 से प्राप्त अनुभव नहीं होता। चर्चा कीजिये। (200 words) [UPSC 2015]
स्वतंत्र भारत के लिए संविधान का मसौदा तैयार करना संविधान सभा के लिए एक ऐतिहासिक और चुनौतीपूर्ण कार्य था, और यह कार्य बिना भारत सरकार अधिनियम, 1935 से प्राप्त अनुभव के बहुत कठिन होता। भारत सरकार अधिनियम, 1935 ने भारतीय संविधान की तैयारियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, और इसके अनुभव ने संविधान सभा कोRead more
स्वतंत्र भारत के लिए संविधान का मसौदा तैयार करना संविधान सभा के लिए एक ऐतिहासिक और चुनौतीपूर्ण कार्य था, और यह कार्य बिना भारत सरकार अधिनियम, 1935 से प्राप्त अनुभव के बहुत कठिन होता। भारत सरकार अधिनियम, 1935 ने भारतीय संविधान की तैयारियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, और इसके अनुभव ने संविधान सभा को कई महत्वपूर्ण लाभ प्रदान किए।
1. प्रशासनिक और संवैधानिक अनुभव:
भारत सरकार अधिनियम, 1935 ने भारत में एक संघीय संरचना और एक स्पष्ट संवैधानिक ढाँचा प्रदान किया। यह अधिनियम भारतीय संघ की संरचना, केंद्रीय और प्रादेशिक अधिकारों का विभाजन, और प्रशासनिक तंत्र को स्पष्ट करता था। संविधान सभा ने इन पहलुओं से महत्वपूर्ण अनुभव प्राप्त किया, जिसने संविधान के मसौदे को आकार देने में मदद की।
2. प्रयोग और परीक्षण:
1935 का अधिनियम एक संवैधानिक प्रयोग था, जिसने संविधान सभा को भारतीय संविधान के विभिन्न पहलुओं की समझ और परीक्षण करने का अवसर प्रदान किया। इससे विधायिका, कार्यपालिका, और न्यायपालिका के बीच संतुलन और कार्यक्षमता पर विचार करने में सहायता मिली।
3. कानूनी और प्रशासनिक दृष्टिकोण:
अधिनियम ने भारतीय राजनीतिक और कानूनी ढांचे को आकार दिया था, और इसका अनुभव संविधान सभा को संविधान की व्यापकता, कानूनी प्रावधानों, और प्रशासनिक प्रभावशीलता को समझने में मददगार रहा।
4. संघीय संरचना का अनुभव:
1935 के अधिनियम ने संघीय संरचना को लागू किया, जिससे संविधान सभा को संघीय शासन की चुनौतियों और समाधान का अनुभव मिला। इस अनुभव ने संविधान के संघीय पहलू को समृद्ध करने में सहायता की।
5. सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव:
अधिनियम ने भारतीय राजनीति और समाज में महत्वपूर्ण प्रभाव डाला, जिससे संविधान सभा को सामाजिक और राजनीतिक प्रभावों को समझने और संविधान में आवश्यक सुधारों को शामिल करने का अवसर मिला।
इन अनुभवों के बिना, संविधान सभा के लिए एक समावेशी और प्रभावी संविधान तैयार करना बहुत कठिन होता। 1935 का अधिनियम संविधान सभा के लिए एक महत्वपूर्ण संदर्भ बिंदु था, जिसने संविधान के निर्माण में मार्गदर्शन और समर्थन प्रदान किया।
See less