भारत में महिलाओं के सशक्तिकरण की प्रक्रिया में ‘गिग इकोनॉमी’ की भूमिका का परीक्षण कीजिए । (150 words)[UPSC 2021]
भारत में जनजातियों को 'अनुसूचित जनजातियाँ' क्यों कहा जाता है? अनुसूचित जनजातियाँ की परिभाषा भारत में जनजातियों को 'अनुसूचित जनजातियाँ' कहा जाता है क्योंकि वे भारतीय संविधान की अनुसूचित जनजातियों की सूची में विशेष रूप से उल्लिखित हैं। इस सूची में शामिल करना यह दर्शाता है कि ये समुदाय सामाजिक और आर्थिRead more
भारत में जनजातियों को ‘अनुसूचित जनजातियाँ’ क्यों कहा जाता है?
अनुसूचित जनजातियाँ की परिभाषा
भारत में जनजातियों को ‘अनुसूचित जनजातियाँ’ कहा जाता है क्योंकि वे भारतीय संविधान की अनुसूचित जनजातियों की सूची में विशेष रूप से उल्लिखित हैं। इस सूची में शामिल करना यह दर्शाता है कि ये समुदाय सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से पिछड़े हुए हैं और इनकी विशिष्ट सांस्कृतिक पहचान है। ‘अनुसूचित’ शब्द यह संकेत करता है कि ये समुदाय संविधान द्वारा निर्धारित विशेष प्रावधानों के तहत आते हैं।
संविधान में प्रमुख प्रावधान
- धारा 15(4) और 46: ये धाराएँ राज्य को अनुसूचित जनजातियों के उत्थान के लिए विशेष प्रावधान करने की अनुमति देती हैं और उनके शैक्षिक और आर्थिक हितों को बढ़ावा देने के लिए निर्देशित करती हैं। धारा 46 विशेष रूप से सामाजिक अन्याय और शोषण के खिलाफ उनकी सुरक्षा की बात करती है।
- धारा 330 और 332: ये प्रावधान अनुसूचित जनजातियों के लिए विधानसभा और संसद में आरक्षित सीटों की व्यवस्था करते हैं, जिससे उन्हें राजनीतिक प्रतिनिधित्व मिलता है।
- पाँचवीं और छठी अनुसूची: ये अनुसूचियाँ जनजातीय परामर्श परिषदों की स्थापना और कुछ राज्यों में स्वायत्त जिलों की व्यवस्था करती हैं। उदाहरण के लिए, छठी अनुसूची असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम में लागू होती है और इन क्षेत्रों में स्वायत्त शासन की व्यवस्था करती है।
- पंचायती राज (अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार) अधिनियम, 1996 (PESA): यह अधिनियम अनुसूचित क्षेत्रों में पंचायतों की प्रावधानों को लागू करता है और स्थानीय स्वायत्तता सुनिश्चित करता है।
हालिया उदाहरण
वन अधिकार अधिनियम (2006) ने जनजातीय समुदायों को वन भूमि और संसाधनों पर अधिकार प्रदान किया है, जिससे उनके पारंपरिक अधिकारों को मान्यता मिली और ऐतिहासिक अन्याय को ठीक किया गया।
ये संवैधानिक प्रावधान और कानून सुनिश्चित करते हैं कि अनुसूचित जनजातियाँ उचित प्रतिनिधित्व, सुरक्षा और विकास के अवसर प्राप्त कर सकें, जिससे उनका समग्र उत्थान संभव हो सके।
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भारत में महिलाओं के सशक्तिकरण में 'गिग इकोनॉमी' की भूमिका आर्थिक स्वतंत्रता और रोजगार के अवसर: स्वतंत्र रोजगार: गिग इकोनॉमी ने महिलाओं को पारंपरिक नौकरियों से अलग होकर स्वतंत्र रूप से काम करने का अवसर प्रदान किया है। उदाहरण के लिए, फ्रीलांसिंग, वेब डेवलपमेंट, और ग्राफिक डिजाइनिंग जैसी सेवाओं में महिRead more
भारत में महिलाओं के सशक्तिकरण में ‘गिग इकोनॉमी’ की भूमिका
आर्थिक स्वतंत्रता और रोजगार के अवसर:
सामाजिक और वित्तीय सशक्तिकरण:
सुरक्षा और कानूनी मुद्दे:
इस प्रकार, गिग इकोनॉमी ने भारत में महिलाओं के सशक्तिकरण की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, लेकिन इसके साथ-साथ कई चुनौतियाँ भी हैं, जिन्हें समर्पित नीतियों और समर्थन से संबोधित करने की आवश्यकता है।
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