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प्रासंगिक संवैधानिक प्रावधानों और निर्णय विधियों की मदद से लैंगिक न्याय के संवैधानिक परिप्रेक्ष्य की व्याख्या कीजिए । (250 words) [UPSC 2023]
लैंगिक न्याय के संवैधानिक परिप्रेक्ष्य 1. "संवैधानिक प्रावधान": "अनुच्छेद 15(1)": यह प्रावधान लिंग के आधार पर भेदभाव की मनाही करता है। इसके तहत, राज्य किसी व्यक्ति को धर्म, जाति, नस्ल, लिंग या जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव नहीं कर सकता है, जिससे महिलाओं को समान अवसर प्रदान किया जा सके। "अनुच्छेद 21":Read more
लैंगिक न्याय के संवैधानिक परिप्रेक्ष्य
1. “संवैधानिक प्रावधान”:
2. “प्रासंगिक निर्णय विधियाँ”:
निष्कर्ष:
भारतीय संविधान लैंगिक न्याय की दिशा में महत्वपूर्ण प्रावधान प्रदान करता है। इन संवैधानिक प्रावधानों और निर्णय विधियों के माध्यम से, न्यायपालिका ने लैंगिक समानता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, जिससे समाज में महिलाओं के अधिकारों और सम्मान की सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा सके।
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