प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डी.बी.टी.) के द्वारा कीमत सहायिकी का प्रतिस्थापन भारत में सहायिकियों के परिदृश्य का किस प्रकार परिवर्तन कर सकता है ? चर्चा कीजिए। (200 words) [UPSC 2015]
भारत में भीड़ हिंसा: कारण और परिणाम 1. भीड़ हिंसा के कारण 1.1. सामाजिक और धार्मिक तनाव: उदाहरण: 2020 में दिल्ली में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध प्रदर्शन के दौरान साम्प्रदायिक हिंसा भड़क उठी। सोशल मीडिया और भड़काऊ भाषणों ने धार्मिक तनाव को उत्तेजित किया। स्पष्टीकरण: सामाजिक और धार्मिक विभाजनRead more
भारत में भीड़ हिंसा: कारण और परिणाम
1. भीड़ हिंसा के कारण
1.1. सामाजिक और धार्मिक तनाव:
- उदाहरण: 2020 में दिल्ली में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध प्रदर्शन के दौरान साम्प्रदायिक हिंसा भड़क उठी। सोशल मीडिया और भड़काऊ भाषणों ने धार्मिक तनाव को उत्तेजित किया।
- स्पष्टीकरण: सामाजिक और धार्मिक विभाजन हिंसा को उकसाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। भड़काऊ भाषण और अफवाहें सामाजिक तनाव को बढ़ाती हैं।
1.2. राजनीतिक शोषण:
- उदाहरण: 2018 में महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव में हुई हिंसा। राजनीतिक दलों ने समुदायों को भड़काने और अपने लाभ के लिए हिंसा का प्रयोग किया।
- स्पष्टीकरण: राजनीतिक नेता अक्सर चुनावी लाभ के लिए मौजूदा विवादों का शोषण करते हैं, जिससे भीड़ हिंसा बढ़ जाती है।
1.3. आर्थिक विषमताएँ:
- उदाहरण: 2020 में असम में CAA के खिलाफ हुए प्रदर्शन। आर्थिक असमानता और स्थानीय पहचान की सुरक्षा की चिंता ने हिंसा को जन्म दिया।
- स्पष्टीकरण: आर्थिक विषमताएँ और संसाधनों की असमान वितरण के कारण असंतोष और हिंसा बढ़ सकती है।
2. भीड़ हिंसा के परिणाम
2.1. मानव हानि और चोटें:
- उदाहरण: 2020 दिल्ली दंगों में 50 से अधिक लोग मारे गए और कई लोग घायल हुए। यह हिंसा तत्काल मानव जीवन को प्रभावित करती है।
- स्पष्टीकरण: हिंसा के दौरान मानव जीवन की हानि और गंभीर चोटें होती हैं, जो आपातकालीन सेवाओं पर दबाव डालती हैं।
2.2. संपत्ति का नुकसान और आर्थिक विघटन:
- उदाहरण: 2022 में पश्चिम बंगाल में राम नवमी के जुलूस के दौरान हिंसा। संपत्ति को भारी नुकसान पहुंचा और स्थानीय अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई।
- स्पष्टीकरण: हिंसा के कारण संपत्ति का नुकसान और व्यापारों की बंदी आर्थिक अस्थिरता और नुकसान को जन्म देती है।
2.3. कानून और व्यवस्था पर विश्वास में कमी:
- उदाहरण: 2021 में मध्य प्रदेश में अवैध कब्जे हटाने के दौरान हुई हिंसा। पुलिस की कार्यप्रणाली पर आरोप और विश्वास में कमी आई।
- स्पष्टीकरण: बार-बार होने वाली हिंसा कानून प्रवर्तन और न्याय प्रणाली पर विश्वास को कमजोर करती है।
3. भीड़ हिंसा को रोकने के उपाय
3.1. कानून प्रवर्तन को मजबूत करना:
- स्पष्टीकरण: पुलिस बलों की क्षमता को बढ़ाना, बेहतर प्रशिक्षण और संसाधनों से लैस करना आवश्यक है। भीड़ नियंत्रण और खुफिया निगरानी को सशक्त बनाना भी महत्वपूर्ण है।
3.2. सामाजिक सामंजस्य को बढ़ावा देना:
- स्पष्टीकरण: समुदायों के बीच संवाद और संघर्ष समाधान पहलुओं को लागू करना महत्वपूर्ण है। धार्मिक और जातीय संवाद कार्यक्रम सामाजिक तनाव को कम कर सकते हैं।
3.3. राजनीतिक जवाबदेही सुनिश्चित करना:
- स्पष्टीकरण: भड़काऊ भाषण और राजनीतिक शोषण के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। राजनीतिक नेताओं को कानून के दायरे में लाना जरूरी है।
3.4. आर्थिक और सामाजिक विकास:
- स्पष्टीकरण: आर्थिक विषमताओं को दूर करने के लिए समावेशी नीतियों और विकास कार्यक्रमों को लागू करना आवश्यक है। समान अवसरों की उपलब्धता से असंतोष कम होगा।
निष्कर्ष: भीड़ हिंसा भारत में बढ़ती कानून और व्यवस्था की समस्या है, जो सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक कारणों से उत्पन्न होती है। इसके परिणाम मानव जीवन, संपत्ति और सार्वजनिक विश्वास पर गंभीर प्रभाव डालते हैं। प्रभावी उपायों में कानून प्रवर्तन को मजबूत करना, सामाजिक सामंजस्य को बढ़ावा देना, राजनीतिक जवाबदेही को सुनिश्चित करना और आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करना शामिल हैं। इन उपायों को लागू करने से भीड़ हिंसा को नियंत्रित किया जा सकता है और सामाजिक स्थिरता बनाए रखी जा सकती है।
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प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डी.बी.टी.) द्वारा कीमत सहायिकी का प्रतिस्थापन: भारत में सहायिकियों के परिदृश्य में परिवर्तन परिचय भारत में कीमत सहायिकी के प्रतिस्थापन के रूप में प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डी.बी.टी.) की पहल, सब्सिडी वितरण तंत्र में एक महत्वपूर्ण बदलाव दर्शाती है। इसका उद्देश्य दक्षता बढ़ाना, लीकेज कोRead more
प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डी.बी.टी.) द्वारा कीमत सहायिकी का प्रतिस्थापन: भारत में सहायिकियों के परिदृश्य में परिवर्तन
परिचय
भारत में कीमत सहायिकी के प्रतिस्थापन के रूप में प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डी.बी.टी.) की पहल, सब्सिडी वितरण तंत्र में एक महत्वपूर्ण बदलाव दर्शाती है। इसका उद्देश्य दक्षता बढ़ाना, लीकेज को कम करना और लक्षित लाभार्थियों को बेहतर सेवाएं प्रदान करना है।
लक्ष्यीकरण और दक्षता में सुधार
1. लीकेज में कमी: डी.बी.टी. लाभों को सीधा लाभार्थियों के बैंक खातों में स्थानांतरित करता है, जिससे मध्यस्थों द्वारा होने वाली गड़बड़ी और लीकेज कम होती है। उदाहरण के लिए, एलपीजी सब्सिडी योजना में डी.बी.टी. ने भ्रष्टाचार को काफी हद तक कम किया है और सब्सिडी सीधे उपभोक्ताओं तक पहुंचाई है।
2. पारदर्शिता में वृद्धि: डी.बी.टी. प्रणाली की लेन-देन इलेक्ट्रॉनिक रूप से रिकॉर्ड होती है, जिससे पारदर्शिता और जवाबदेही में सुधार होता है। प्रधानमंत्री जन धन योजना (पी.एम.जेडी.वाई.) ने डी.बी.टी. को एकीकृत कर सब्सिडी वितरण और वित्तीय समावेशन को सरल बनाया है।
व्यय की बचत और राजकोषीय प्रभाव
3. प्रशासनिक लागत में कमी: डी.बी.टी. मध्यस्थों को हटाकर और सीधे लाभार्थियों को संसाधन पहुंचाकर प्रशासनिक लागत को कम करता है। उदाहरण के लिए, राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम (एन.एस.ए.पी.) के तहत डी.बी.टी. के माध्यम से लाभार्थियों को लाभ पहुंचाने में प्रशासनिक लागत कम हुई है।
4. राजकोषीय जिम्मेदारी: सब्सिडी का बेहतर लक्ष्यीकरण डी.बी.टी. के माध्यम से सरकारी खर्च को नियंत्रित करने में मदद करता है। जैसे कि उर्वरक सब्सिडी के स्थान पर डी.बी.टी. ने सब्सिडी खर्च को बेहतर तरीके से प्रबंधित किया है।
निष्कर्ष
कुल मिलाकर, भारत में कीमत सहायिकी के स्थान पर डी.बी.टी. की ओर बदलाव से दक्षता, पारदर्शिता, और राजकोषीय जिम्मेदारी में सुधार होने की उम्मीद है। हाल के उदाहरण बताते हैं कि डी.बी.टी. पारंपरिक सब्सिडी तंत्र से जुड़ी समस्याओं का प्रभावी समाधान प्रदान कर सकता है।
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