लेनिन की नव आर्थिक नीति 1921 ने स्वतंत्रता के शीघ्र पश्चात् भारत द्वारा अपनाई गई नीतियों को प्रभावित किया था । मूल्यांकन कीजिए । (150 words) [UPSC 2014]
1917 की रूसी क्रांति को प्रेरित करने वाले मुख्य कारक निम्नलिखित थे: राजनीतिक अस्थिरता: तंत्रिक शासन, युद्ध, और अर्थव्यवस्था में गिरावट ने लोगों के विश्वास को हिला दिया। सामाजिक असमानता: उच्च और निम्न वर्गों के बीच सामाजिक और आर्थिक असमानता ने प्रगति की रोकथाम की भावना को बढ़ाया। प्रगतिवादी विचारधाराRead more
1917 की रूसी क्रांति को प्रेरित करने वाले मुख्य कारक निम्नलिखित थे:
- राजनीतिक अस्थिरता: तंत्रिक शासन, युद्ध, और अर्थव्यवस्था में गिरावट ने लोगों के विश्वास को हिला दिया।
- सामाजिक असमानता: उच्च और निम्न वर्गों के बीच सामाजिक और आर्थिक असमानता ने प्रगति की रोकथाम की भावना को बढ़ाया।
- प्रगतिवादी विचारधारा: लोगों में विश्वास का कमी, जनसामर्थ्य और स्वतंत्रता की भावना ने क्रांति की उत्पत्ति को बढ़ाया।
रूसी क्रांति के परिणामों में निम्नलिखित शामिल थे:
- कम्युनिस्ट पार्टी का उदय: रूसी सोवियत समाजवादी फेडरेशन की स्थापना हुई, जो बाद में कम्युनिस्ट पार्टी बन गई।
- रूसी सोवियत सोशलिस्ट रिपब्लिक की स्थापना: यह क्रांति ने रूसी सोवियत सोशलिस्ट रिपब्लिक की स्थापना की, जो बाद में सोवियत संघ का आधार बना।
- अंतर्राष्ट्रीय प्रभाव: रूसी क्रांति ने विश्व के राजनीतिक और सामाजिक परिवर्तनों पर भी गहरा प्रभाव डाला।
इन परिणामों ने रूसी समाज को गहरी रूप से परिवर्तित कर दिया और विश्व के राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में भी महत्वपूर्ण बदलाव लाए।
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लेनिन की नव आर्थिक नीति (1921) और स्वतंत्रता के बाद भारत की नीतियों पर इसका प्रभाव नव आर्थिक नीति (NEP) 1921 का अवलोकन लेनिन की नव आर्थिक नीति (NEP) 1921 ने सोवियत संघ की अर्थव्यवस्था को स्थिर करने के लिए राज्य नियंत्रण और सीमित बाजार तंत्र का संयोजन पेश किया। इसमें छोटे व्यवसायों की निजी स्वामित्वRead more
लेनिन की नव आर्थिक नीति (1921) और स्वतंत्रता के बाद भारत की नीतियों पर इसका प्रभाव
नव आर्थिक नीति (NEP) 1921 का अवलोकन
लेनिन की नव आर्थिक नीति (NEP) 1921 ने सोवियत संघ की अर्थव्यवस्था को स्थिर करने के लिए राज्य नियंत्रण और सीमित बाजार तंत्र का संयोजन पेश किया। इसमें छोटे व्यवसायों की निजी स्वामित्व की अनुमति दी गई और कृषि उत्पादन को प्रोत्साहित किया गया, जिससे आर्थिक स्थिरता और साम्यवादी संक्रमण को सुगम बनाया गया।
भारत की स्वतंत्रता के बाद की नीतियों पर प्रभाव
भारत ने स्वतंत्रता के बाद कुछ नीतिगत तत्व अपनाए जो NEP के सिद्धांतों से प्रेरित थे:
हाल के उदाहरण
भारत की 1991 की आर्थिक उदारीकरण नीतियाँ और इसके बाद के सुधार, NEP की राज्य नियंत्रण और बाजार तंत्र के संयोजन की दिशा में एक व्यावहारिक दृष्टिकोण को दर्शाते हैं।
निष्कर्ष
See lessलेनिन की नव आर्थिक नीति ने भारत की प्रारंभिक स्वतंत्रता के बाद की आर्थिक रणनीतियों को प्रभावित किया, जिसमें राज्य हस्तक्षेप और बाजार तंत्र का संतुलित दृष्टिकोण अपनाया गया।