“शरणार्थियों को उस देश में वापस नहीं लौटाया जाना चाहिए जहाँ उन्हें उत्पीड़न अथवा मानवाधिकारों के उल्लंघन का सामना करना पड़ेगा।” खुले समाज और लोकतांत्रिक होने का दावा करने वाले किसी राष्ट्र के द्वारा नैतिक आयाम के उल्लंघन के संदर्भ ...
विभाजन के प्रमुख बिंदु 1. विधि और नैतिकता विधि: यह सरकारी नियमों और कानूनों का सेट है जो समाज में व्यवस्था और न्याय बनाए रखने के लिए लागू किया जाता है। कानूनों का उल्लंघन होने पर कानूनी कार्रवाई होती है। उदाहरण के लिए, भारत का संविधान और भारतीय दंड संहिता (IPC) नागरिकों के अधिकार और दायित्वों को परिRead more
विभाजन के प्रमुख बिंदु
1. विधि और नैतिकता
- विधि: यह सरकारी नियमों और कानूनों का सेट है जो समाज में व्यवस्था और न्याय बनाए रखने के लिए लागू किया जाता है। कानूनों का उल्लंघन होने पर कानूनी कार्रवाई होती है। उदाहरण के लिए, भारत का संविधान और भारतीय दंड संहिता (IPC) नागरिकों के अधिकार और दायित्वों को परिभाषित करते हैं।
- नैतिकता: यह उन व्यक्तिगत और सामाजिक मानदंडों का समूह है जो यह निर्धारित करते हैं कि क्या सही है और क्या गलत। नैतिकता कानूनी दायरे में नहीं आती, लेकिन व्यक्तिगत और सामाजिक आदर्शों के पालन के लिए महत्वपूर्ण है। उदाहरण के लिए, नैतिक व्यापार प्रथाएँ, जैसे कि कर्ज लेने के बाद उसकी समय पर चुकौती करना, व्यक्तिगत नैतिकता का हिस्सा हैं।
2. नैतिक प्रबंधन और नैतिकता का प्रबंधन
- नैतिक प्रबंधन: यह प्रबंधन की प्रक्रिया है जिसमें नैतिक सिद्धांतों को निर्णय लेने और प्रबंधन की प्रक्रियाओं में शामिल किया जाता है। इसका उद्देश्य एक नैतिक कार्यस्थल बनाना है। उदाहरण के लिए, Tata Group के नैतिक प्रबंधन में ईमानदारी और पारदर्शिता को प्राथमिकता दी जाती है।
- नैतिकता का प्रबंधन: इसमें एक संगठन के नैतिक मानकों और नीतियों का निर्माण, कार्यान्वयन और निगरानी शामिल है। यह प्रक्रिया नैतिक कोड की स्थापना और अनुपालन की निगरानी सुनिश्चित करती है। उदाहरण के लिए, Infosys ने नैतिकता का प्रबंधन करने के लिए एक सशक्त आचार संहिता और शिकायत निवारण तंत्र स्थापित किया है।
3. भेदभाव और अधिमानी बरताव
- भेदभाव: यह किसी व्यक्ति या समूह के साथ असमान व्यवहार करने की प्रक्रिया है, जो उनकी जाति, लिंग, धर्म आदि के आधार पर होता है। उदाहरण के लिए, नियोक्ता द्वारा लिंग आधारित भेदभाव जहां महिलाओं को पुरुषों की तुलना में कम वेतन मिलता है।
- अधिमानी बरताव: इसमें किसी विशेष व्यक्ति या समूह को लाभ देना या प्रोत्साहित करना शामिल है, खासकर जब यह पिछली असमानताओं को सुधारने के उद्देश्य से किया जाता है। उदाहरण के लिए, आफीर्मेटिव एक्शन पॉलिसी के तहत शिक्षा और रोजगार में पिछड़े वर्गों को अतिरिक्त अवसर प्रदान किए जाते हैं।
4. वैयक्तिक नैतिकता और संव्यावसायिक नैतिकता
- वैयक्तिक नैतिकता: यह उन नैतिक सिद्धांतों और मानकों को संदर्भित करती है जो एक व्यक्ति की निजी जीवन में मार्गदर्शक होती हैं। ये व्यक्तिगत मान्यताओं, सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं पर आधारित होती हैं। उदाहरण के लिए, ईमानदारी और सच्चाई व्यक्तिगत नैतिकता के महत्वपूर्ण हिस्से हैं।
- संव्यावसायिक नैतिकता: यह उन नैतिक मानदंडों और आदर्शों से संबंधित है जो व्यवसायिक संदर्भ में लागू होते हैं। यह पेशेवर जिम्मेदारियों, व्यापारिक व्यवहार और प्रबंधन से जुड़ी होती है। उदाहरण के लिए, चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के लिए पेशेवर नैतिकता का पालन, जैसे कि गोपनीयता और निष्पक्षता, अनिवार्य होता है।
निष्कर्ष:
विधि और नैतिकता में अंतर कानूनी और नैतिक मार्गदर्शनों के बीच का भेद स्पष्ट करता है। नैतिक प्रबंधन और नैतिकता का प्रबंधन, प्रबंधन प्रक्रियाओं और नीति निर्माण में नैतिकता की भूमिका को दर्शाते हैं। भेदभाव और अधिमानी बरताव सामाजिक समानता और विशेष प्रोत्साहनों के बीच का अंतर बताते हैं। वैयक्तिक और संव्यावसायिक नैतिकता व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन के नैतिक मानदंडों को परिभाषित करती हैं।
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शरणार्थियों के अधिकार और नैतिक दायित्व 1. मानवाधिकारों की सुरक्षा मानवाधिकारों की सुरक्षा प्रत्येक देश की जिम्मेदारी है, विशेष रूप से उन देशों की जो लोकतांत्रिक और खुले समाज का दावा करते हैं। शरणार्थियों को उत्पीड़न और मानवाधिकार उल्लंघन के खतरे में वापस भेजना, मानवाधिकारों का उल्लंघन है। उदाहरण केRead more
शरणार्थियों के अधिकार और नैतिक दायित्व
1. मानवाधिकारों की सुरक्षा
मानवाधिकारों की सुरक्षा प्रत्येक देश की जिम्मेदारी है, विशेष रूप से उन देशों की जो लोकतांत्रिक और खुले समाज का दावा करते हैं। शरणार्थियों को उत्पीड़न और मानवाधिकार उल्लंघन के खतरे में वापस भेजना, मानवाधिकारों का उल्लंघन है। उदाहरण के लिए, भारत और नेपाल के बीच शरणार्थियों के मुद्दे पर चर्चा हुई है, जिसमें यह चिंता जताई गई है कि कुछ शरणार्थी जिनके जीवन को खतरा हो सकता है, उन्हें सुरक्षित स्थान नहीं मिल पा रहा है।
2. अंतरराष्ट्रीय मानदंड
1951 के शरणार्थी संधि और 1950 के मानवाधिकार घोषणापत्र के तहत, शरणार्थियों को उत्पीड़न के खतरे से बचाना अनिवार्य है। तुर्की और यूरोपीय संघ के बीच समझौतों में देखा गया है कि शरणार्थियों को सही सुरक्षा देने के प्रयास किए गए हैं, जो अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के अनुरूप है।
3. नैतिक जिम्मेदारी
एक लोकतांत्रिक और खुले समाज के तहत, नैतिक जिम्मेदारी यह है कि किसी भी व्यक्ति को उत्पीड़न या मानवाधिकार उल्लंघन के खतरे में नहीं डाला जाए। जर्मनी ने सीरियाई शरणार्थियों को सुरक्षा प्रदान कर, यह जिम्मेदारी निभाई है, जो नैतिक और मानवतावादी दृष्टिकोण का उदाहरण है।
निष्कर्षतः, लोकतांत्रिक और खुले समाजों को शरणार्थियों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए और उन्हें उत्पीड़न से बचाने के लिए नैतिक रूप से जिम्मेदार रहना चाहिए।
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