देश में आयु संभाविता में आई वृद्धि से समाज में नई स्वास्थ्य चुनौतियाँ खड़ी हो गई हैं। यह नई चुनौतियाँ कौन-कौन सी हैं और उनके समाधान हेतु क्या-क्या कदम उठाए जाने आवश्यक हैं ? (150 words)[UPSC 2022]
घटती प्रजनन दर के संदर्भ में, यह विचार सही है कि भारत को अपने सामाजिक-आर्थिक उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए अपनी जनसांख्यिकी का लाभ उठाने का समय सीमित है। प्रजनन दर में कमी का अर्थ है कि युवा जनसंख्या की वृद्धि धीमी हो रही है और भविष्य में श्रम बल की संख्या में कमी आ सकती है। इस स्थिति का सही ढंग सेRead more
घटती प्रजनन दर के संदर्भ में, यह विचार सही है कि भारत को अपने सामाजिक-आर्थिक उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए अपनी जनसांख्यिकी का लाभ उठाने का समय सीमित है। प्रजनन दर में कमी का अर्थ है कि युवा जनसंख्या की वृद्धि धीमी हो रही है और भविष्य में श्रम बल की संख्या में कमी आ सकती है। इस स्थिति का सही ढंग से सामना करने के लिए भारत को तुरंत और प्रभावी नीतिगत कदम उठाने की आवश्यकता है।
आने वाले वर्षों में बेहतर जनसांख्यिकीय लाभांश प्राप्त करने के लिए नीति निम्नलिखित बिंदुओं पर केंद्रित होनी चाहिए:
- शिक्षा और कौशल विकास: युवाओं के लिए उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा और कौशल विकास कार्यक्रमों का विकास और विस्तार करना आवश्यक है। यह सुनिश्चित करेगा कि श्रम बल की योग्यता उच्च स्तर की हो और वे वैश्विक मानकों से मेल खाते हों।
- स्वास्थ्य और कल्याण: युवा और वृद्ध जनसंख्या की स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं में सुधार करना और जीवन गुणवत्ता को बढ़ाना महत्वपूर्ण है। इसके लिए स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार और सस्ते, सुलभ स्वास्थ्य देखभाल की व्यवस्था की जानी चाहिए।
- आर्थिक अवसर और रोजगार: नीतियों को रोजगार सृजन, स्टार्ट-अप्स को प्रोत्साहन और उद्यमिता को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। इससे रोजगार के नए अवसर उत्पन्न होंगे और आर्थिक विकास को गति मिलेगी।
- आप्रवासन नीति: अगर घरेलू श्रम बल की आपूर्ति अपर्याप्त होती है, तो अधिक कुशल विदेशी श्रमिकों के लिए आकर्षक नीतियाँ तैयार की जानी चाहिए।
- निवेश और अवसंरचना: दीर्घकालिक आर्थिक विकास को सुनिश्चित करने के लिए बुनियादी ढांचे में निवेश और स्मार्ट सिटी परियोजनाओं पर ध्यान देना आवश्यक है।
इन नीतिगत उपायों से भारत अपनी जनसांख्यिकी के लाभांश को अधिकतम कर सकता है और सामाजिक-आर्थिक लक्ष्यों की प्राप्ति में सफलता प्राप्त कर सकता है।
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देश में आयु संभाविता में आई वृद्धि से नई स्वास्थ्य चुनौतियाँ **1. क्रोनिक बीमारियाँ: दीर्घकालिक बीमारियाँ जैसे हृदय रोग, डायबिटीज, और कैंसर बढ़ रही हैं। हाल ही में, भारत में डायबिटीज के मामलों में तेजी से वृद्धि देखी गई है। **2. वरिष्ठ नागरिकों की देखभाल: वृद्ध जनसंख्या की बढ़ती संख्या के साथ गेरियाRead more
देश में आयु संभाविता में आई वृद्धि से नई स्वास्थ्य चुनौतियाँ
**1. क्रोनिक बीमारियाँ:
**2. वरिष्ठ नागरिकों की देखभाल:
**3. मानसिक स्वास्थ्य समस्याएँ:
**4. स्वास्थ्य प्रणाली पर दबाव:
समाधान हेतु आवश्यक कदम
**1. रोकथाम और नियमित जांचें:
**2. गेरियाट्रिक देखभाल में निवेश:
**3. मानसिक स्वास्थ्य समर्थन:
**4. स्वास्थ्य ढांचे का उन्नयन:
इन उपायों के माध्यम से, समाज में बढ़ती आयु संभाविता से संबंधित स्वास्थ्य चुनौतियों का प्रभावी ढंग से सामना किया जा सकता है।
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