राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं? खाद्य सुरक्षा विधेयक ने भारत में भूख तथा कुपोषण को दूर करने में किस प्रकार सहायता की है ? (250 words) [UPSC 2021]
भारत में कृषि क्षेत्र को प्रदान की जाने वाली प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष सब्सिडी प्रत्यक्ष सब्सिडी: न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP): MSP एक महत्वपूर्ण प्रत्यक्ष सब्सिडी है जिसमें सरकार कुछ फसलों के लिए न्यूनतम मूल्य की गारंटी देती है। उदाहरण के लिए, 2023 में गेहूं का MSP ₹2,125 प्रति क्विंटल था। सब्सिडी वालRead more
भारत में कृषि क्षेत्र को प्रदान की जाने वाली प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष सब्सिडी
प्रत्यक्ष सब्सिडी:
- न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP): MSP एक महत्वपूर्ण प्रत्यक्ष सब्सिडी है जिसमें सरकार कुछ फसलों के लिए न्यूनतम मूल्य की गारंटी देती है। उदाहरण के लिए, 2023 में गेहूं का MSP ₹2,125 प्रति क्विंटल था।
- सब्सिडी वाले उर्वरक: सरकार उर्वरकों को सब्सिडी दरों पर उपलब्ध कराती है। उर्वरक सब्सिडी योजना, जिसमें यूरिया और डीएपी (डायमोनियम फास्फेट) शामिल हैं, किसानों की लागत को कम करने और कृषि उत्पादन को बढ़ाने में मदद करती है।
- ऋण पर ब्याज सब्सिडी: प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत किसानों को ऋण पर सब्सिडी प्राप्त होती है, जो विपरीत परिस्थितियों में वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
अप्रत्यक्ष सब्सिडी:
- विद्युत सब्सिडी: किसानों को सिंचाई के लिए सब्सिडी पर बिजली मिलती है। यह अप्रत्यक्ष सब्सिडी कृषि उत्पादन की लागत को कम करती है लेकिन संसाधनों के अत्यधिक उपयोग का कारण बनती है।
- जल सब्सिडी: सिंचाई के लिए जल उपयोग पर सब्सिडी प्रदान की जाती है, जिसमें सिंचाई अवसंरचना जैसे नहरों और चेक डैम्स में निवेश शामिल है।
- बीज सब्सिडी: उच्च उपज देने वाले और हाइब्रिड बीजों के लिए सब्सिडी प्रदान की जाती है, जिससे उत्पादन क्षमता बढ़ती है।
विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यू० टी० ओ०) द्वारा उठाए गए मुद्दे:
- व्यापार में विकृति: डब्ल्यू० टी० ओ० का तर्क है कि ये सब्सिडी अंतरराष्ट्रीय व्यापार में विकृति उत्पन्न करती हैं और भारतीय किसानों को वैश्विक बाजारों में अनुचित लाभ देती हैं। उदाहरण के लिए, MSP के कारण अधिशेष उत्पादन और वैश्विक वस्तु मूल्य पर प्रभाव पड़ सकता है।
- डब्ल्यू० टी० ओ० समझौतों का पालन न करना: डब्ल्यू० टी० ओ० ने चिंता व्यक्त की है कि कुछ सब्सिडी कृषि परिदृश्य के समझौते (AoA) का उल्लंघन कर सकती हैं। उदाहरण के लिए, यदि सब्सिडी अनुमेय सीमा से अधिक हो जाती है, तो विवाद उत्पन्न हो सकते हैं।
- पर्यावरणीय प्रभाव: अप्रत्यक्ष सब्सिडी, विशेषकर जल और बिजली पर, अस्थिर कृषि प्रथाओं में योगदान करती हैं, जिससे संसाधनों का अत्यधिक दोहन और पर्यावरणीय क्षति होती है।
- समानता की समस्याएँ: सब्सिडी का लाभ बड़े किसानों को अधिक होता है, जो छोटे किसानों की तुलना में असमानता को बढ़ा सकता है।
संक्षेप में, जबकि सब्सिडी भारतीय कृषि क्षेत्र को समर्थन प्रदान करती हैं, ये डब्ल्यू० टी० ओ० के नियमों के तहत महत्वपूर्ण समस्याएँ भी उत्पन्न करती हैं, विशेषकर व्यापार विकृति और स्थिरता के मुद्दों के संदर्भ में।
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राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 की मुख्य विशेषताएँ 1. कवरेज और अधिकार: राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA), 2013, का उद्देश्य लगभग 75% ग्रामीण जनसंख्या और 50% शहरी जनसंख्या को खाद्य सुरक्षा प्रदान करना है। अधिनियम पात्र घरों को प्रति व्यक्ति प्रति माह 5 किलोग्राम सब्सिडी वाले खाद्य अनाज कीRead more
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 की मुख्य विशेषताएँ
1. कवरेज और अधिकार: राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA), 2013, का उद्देश्य लगभग 75% ग्रामीण जनसंख्या और 50% शहरी जनसंख्या को खाद्य सुरक्षा प्रदान करना है। अधिनियम पात्र घरों को प्रति व्यक्ति प्रति माह 5 किलोग्राम सब्सिडी वाले खाद्य अनाज की आपूर्ति करता है, जिसमें चावल ₹3/kg, गेहूं ₹2/kg, और मोटे अनाज ₹1/kg की दर पर उपलब्ध हैं।
2. प्राथमिक और अंत्योदय अन्न योजना: यह अधिनियम दो श्रेणियों के लाभार्थियों को निर्दिष्ट करता है:
3. पोषण सहायता: अधिनियम गर्भवती महिलाओं, दूध पिलाने वाली माताओं और बच्चों को पोषण सहायता प्रदान करने की व्यवस्था करता है। मिड-डे मील योजना और एकीकृत बाल विकास सेवा (ICDS) के तहत मुफ्त भोजन और पोषणयुक्त भोजन प्रदान किया जाता है।
4. शिकायत निवारण तंत्र: खाद्य वितरण और अधिकारों से संबंधित समस्याओं के समाधान के लिए राज्य खाद्य आयोग जैसे शिकायत निवारण तंत्र की स्थापना की गई है।
5. कानूनी अधिकार: यह अधिनियम खाद्य अधिकार को एक कानूनी अधिकार बनाता है, जिसे कानूनी ढांचे के माध्यम से लागू किया जा सकता है।
भूख और कुपोषण को दूर करने में खाद्य सुरक्षा विधेयक की सहायता
1. भूख में कमी: NFSA ने भूख को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। NFHS-5 के आंकड़े यह दर्शाते हैं कि निम्न-आय वाले घरानों के लिए खाद्य सुरक्षा में सुधार हुआ है।
2. पोषण सुधार: मिड-डे मील योजना और ICDS के अंतर्गत पोषणयुक्त भोजन देने से बच्चों और महिलाओं के पोषण में सुधार हुआ है। हाल की रिपोर्टों के अनुसार, कुपोषण दरें कम हुई हैं।
3. खाद्य वितरण में सुधार: NFSA ने खाद्य वितरण तंत्र को सुव्यवस्थित किया है, जिससे अनाज की चोरी और गड़बड़ी कम हुई है। कई राज्यों में आधार आधारित बायोमैट्रिक सिस्टम का उपयोग करके पारदर्शिता सुनिश्चित की गई है।
चुनौतियाँ और सुधार की दिशा: फिर भी, कार्यांवयन की समस्याएँ, अपर्याप्त भंडारण सुविधाएँ, और खाद्य अपव्यय जैसी चुनौतियाँ बनी हुई हैं। सरकार इन समस्याओं को बेहतर प्रबंधन प्रथाओं और सुधारित लॉजिस्टिक्स के माध्यम से संबोधित कर रही है।
निष्कर्ष: राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 ने भारत में भूख और कुपोषण को दूर करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, लेकिन कार्यांवयन की समस्याओं को दूर करने और अधिनियम की प्रभावशीलता सुनिश्चित करने के लिए निरंतर प्रयास आवश्यक हैं।
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