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'डिजिटल भारत' कार्यक्रम खेत उत्पादकता और आय को बढ़ाने में किसानों की किस प्रकार सहायता कर सकता है ? सरकार ने इस सम्बन्ध में क्या कदम उठाए हैं? (200 words) [UPSC 2015]
'डिजिटल भारत' कार्यक्रम से किसानों की सहायता परिचय 'डिजिटल भारत' कार्यक्रम का उद्देश्य विभिन्न क्षेत्रों में डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर और सेवाओं को सुधारना है, जिसमें कृषि भी शामिल है। यह कार्यक्रम किसानों की खेत उत्पादकता और आय को डिजिटल साधनों के माध्यम से बेहतर बनाने में सहायक हो सकता है। खेत उत्पादRead more
‘डिजिटल भारत’ कार्यक्रम से किसानों की सहायता
परिचय
‘डिजिटल भारत’ कार्यक्रम का उद्देश्य विभिन्न क्षेत्रों में डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर और सेवाओं को सुधारना है, जिसमें कृषि भी शामिल है। यह कार्यक्रम किसानों की खेत उत्पादकता और आय को डिजिटल साधनों के माध्यम से बेहतर बनाने में सहायक हो सकता है।
खेत उत्पादकता में सुधार
किसानों की आय में वृद्धि
सरकारी पहल
सारांश में, ‘डिजिटल भारत’ कार्यक्रम किसानों को उत्पादकता और आय बढ़ाने के लिए आवश्यक उपकरण और प्लेटफ़ॉर्म प्रदान करता है, और सरकार इन डिजिटल पहलों को विस्तारित और सुधारने के लिए निरंतर प्रयासरत है।
See lessजल-प्रतिबलित क्षेत्रों से कृषि उत्पादन में वृद्धि करने में राष्ट्रीय जल-विभाजक परियोजना के प्रभाव को सविस्तार स्पष्ट कीजिए। (150 words) [UPSC 2019]
राष्ट्रीय जल-विभाजक परियोजना और जल-प्रतिबलित क्षेत्रों से कृषि उत्पादन में वृद्धि 1. जल संरक्षण और प्रबंधन: वृष्टि जल संचयन: राष्ट्रीय जल-विभाजक परियोजना के तहत वृष्टि जल संचयन के उपाय जैसे चेक डैम, तालाब, और वृक्षारोपण से जल की उपलब्धता में सुधार हुआ है। महाराष्ट्र में, वृक्षारोपण और जलाशय निर्माणRead more
राष्ट्रीय जल-विभाजक परियोजना और जल-प्रतिबलित क्षेत्रों से कृषि उत्पादन में वृद्धि
1. जल संरक्षण और प्रबंधन:
2. मृदा स्वास्थ्य में सुधार:
3. कृषि उत्पादन में वृद्धि:
4. समुदाय की भागीदारी:
इन उपायों और सुधारों के माध्यम से, राष्ट्रीय जल-विभाजक परियोजना ने जल-प्रतिबलित क्षेत्रों में कृषि उत्पादन को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाया है और दीर्घकालिक कृषि स्थिरता को सुनिश्चित किया है।
See lessएकीकृत कृषि प्रणाली (आइ० एफ० एस०) किस सीमा तक कृषि उत्पादन को संधारित करने में सहायक है? (150 words) [UPSC 2019]
एकीकृत कृषि प्रणाली (IFS) और कृषि उत्पादन की संधारणीयता 1. विविधीकरण और स्थिरता: विविध फसलों का उत्पादन: IFS विभिन्न कृषि गतिविधियों को एकीकृत करता है, जैसे कि फसल उत्पादन, पशुपालन, और मछली पालन, जिससे किसानों को एकल फसल पर निर्भरता कम होती है। झारखंड में, धान और मछली पालन के संयोजन ने किसानों की आयRead more
एकीकृत कृषि प्रणाली (IFS) और कृषि उत्पादन की संधारणीयता
1. विविधीकरण और स्थिरता:
2. संसाधन प्रबंधन:
3. पर्यावरणीय लाभ:
4. आय स्थिरता:
इस प्रकार, IFS कृषि उत्पादन को संधारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, विभिन्न कृषि गतिविधियों को एकीकृत करके स्थिरता और संसाधन प्रबंधन में सुधार करता है।
See lessविज्ञान हमारे जीवन में गहराई तक कैसे गुथा हुआ है? विज्ञान-आधारित प्रौद्योगिकियों द्वारा कृषि में उत्पन्न हुए महत्त्वपूर्ण परिवर्तन क्या है? (150 words) [UPSC 2020]
विज्ञान हमारे जीवन के हर पहलू में शामिल है, जिससे हमारी दैनिक गतिविधियाँ और सुविधाएँ संभव होती हैं। यह स्वास्थ्य, संचार, परिवहन और आवास जैसी बुनियादी ज़रूरतों से लेकर अत्याधुनिक तकनीकी नवाचार तक में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उदाहरण के लिए, "स्मार्टफोन्स" और "इंटरनेट" विज्ञान की उन्नति से ही संभवRead more
विज्ञान हमारे जीवन के हर पहलू में शामिल है, जिससे हमारी दैनिक गतिविधियाँ और सुविधाएँ संभव होती हैं। यह स्वास्थ्य, संचार, परिवहन और आवास जैसी बुनियादी ज़रूरतों से लेकर अत्याधुनिक तकनीकी नवाचार तक में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उदाहरण के लिए, “स्मार्टफोन्स” और “इंटरनेट” विज्ञान की उन्नति से ही संभव हुए हैं, और “चिकित्सा क्षेत्र में नई उपचार विधियाँ” जैसे कि “सर्जरी” और “दवाओं की खोज” भी विज्ञान पर निर्भर हैं।
विज्ञान-आधारित प्रौद्योगिकियों द्वारा कृषि में परिवर्तन:
ये विज्ञान-आधारित प्रौद्योगिकियाँ कृषि को अधिक उत्पादक, कुशल और पर्यावरण के अनुकूल बना रही हैं।
See lessजलवायु परिवर्तन ने भारत में कृषि उत्पादन और उत्पादकता को कैसे प्रभावित किया है? क्या आपको लगता है कि जलवायु स्मार्ट जल बचत कृषि-प्रौद्योगिकियां समय की मांग बन गई हैं?(150 शब्दों में उत्तर दें)
जलवायु परिवर्तन ने भारत में कृषि उत्पादन और उत्पादकता को कई तरीके से प्रभावित किया है। बढ़ती तापमान, अनियमित मानसून, और अधिक बार की चरम मौसम की घटनाओं ने फसल की पैदावार और गुणवत्ता को घटित किया है। सूखा और बाढ़ जैसी समस्याओं ने मिट्टी की उत्पादकता को प्रभावित किया है, जिससे खाद्य सुरक्षा को खतरा उत्Read more
जलवायु परिवर्तन ने भारत में कृषि उत्पादन और उत्पादकता को कई तरीके से प्रभावित किया है। बढ़ती तापमान, अनियमित मानसून, और अधिक बार की चरम मौसम की घटनाओं ने फसल की पैदावार और गुणवत्ता को घटित किया है। सूखा और बाढ़ जैसी समस्याओं ने मिट्टी की उत्पादकता को प्रभावित किया है, जिससे खाद्य सुरक्षा को खतरा उत्पन्न हुआ है।
जल स्मार्ट जल बचत कृषि-प्रौद्योगिकियां आज के समय की आवश्यकता बन गई हैं। ये प्रौद्योगिकियाँ, जैसे ड्रिप सिंचाई और स्प्रिंकलर सिस्टम, पानी की बचत करते हुए फसलों की सटीक मात्रा में पानी प्रदान करती हैं। यह न केवल जल संसाधनों के संरक्षण में मदद करती है, बल्कि फसल की उत्पादकता को भी बढ़ाती है। जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने और कृषि के स्थायित्व को सुनिश्चित करने के लिए इन प्रौद्योगिकियों का अपनाना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
See lessसंधारणीय फसल उत्पादन के लिए नैनो-उर्वरकों के आर्थिक और पर्यावरणीय लाभ क्या हैं? भारतीय किसानों द्वारा नैनो-उर्वरकों को अपनाने में आने वाली समस्याओं का उल्लेख कीजिए।(150 शब्दों में उत्तर दें)
संधारणीय फसल उत्पादन के लिए नैनो-उर्वरकों के आर्थिक और पर्यावरणीय लाभ अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं। आर्थिक लाभ में, नैनो-उर्वरक फसल की उत्पादकता बढ़ाते हैं, जिससे किसान की उपज बढ़ती है और लागत में कमी आती है क्योंकि इन्हें कम मात्रा में उपयोग किया जाता है। ये उर्वरक फसलों की पोषक तत्वों की उपयोगिता को बढ़Read more
संधारणीय फसल उत्पादन के लिए नैनो-उर्वरकों के आर्थिक और पर्यावरणीय लाभ अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं। आर्थिक लाभ में, नैनो-उर्वरक फसल की उत्पादकता बढ़ाते हैं, जिससे किसान की उपज बढ़ती है और लागत में कमी आती है क्योंकि इन्हें कम मात्रा में उपयोग किया जाता है। ये उर्वरक फसलों की पोषक तत्वों की उपयोगिता को बढ़ाते हैं और रसायनों के उपयोग को कम करते हैं।
पर्यावरणीय लाभ में, नैनो-उर्वरक कम मात्रा में अधिक प्रभावी होते हैं, जिससे मृदा और जल प्रदूषण में कमी आती है। ये उर्वरक मिट्टी के स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाते हैं और प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा में योगदान करते हैं।
भारतीय किसानों द्वारा नैनो-उर्वरकों को अपनाने में प्रमुख समस्याएँ हैं:
उच्च लागत: प्रारंभिक लागत अधिक होने के कारण, छोटे किसानों के लिए इसे अपनाना चुनौतीपूर्ण होता है।
जानकारी की कमी: नैनो-उर्वरकों के लाभ और उपयोग के बारे में किसानों में जागरूकता की कमी है।
प्रौद्योगिकी की पहुँच: ग्रामीण क्षेत्रों में नैनो-उर्वरकों की उपलब्धता और वितरण सीमित है।
इन समस्याओं का समाधान करने के लिए सरकार और संगठनों को किसानों को प्रशिक्षित करने और उचित सब्सिडी प्रदान करने की आवश्यकता है।
See lessभारत में कृषि मशीनीकरण को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई कृषि मशीनीकरण पर उप-मिशन (SMAM)) योजना के प्रदर्शन का विश्लेषण कीजिए। (250 शब्दों में उत्तर दीजिए)
भारत में कृषि मशीनीकरण को बढ़ावा देने के लिए कृषि मशीनीकरण पर उप-मिशन (SMAM) योजना की शुरुआत 2014-15 में की गई थी। इसका उद्देश्य छोटे और सीमांत किसानों के लिए मशीनीकरण की पहुँच को बढ़ाना और कृषि उत्पादन में सुधार करना है। इस योजना के तहत विभिन्न कृषि यंत्रों और मशीनों की खरीदारी, वितरण और उपयोग को पRead more
भारत में कृषि मशीनीकरण को बढ़ावा देने के लिए कृषि मशीनीकरण पर उप-मिशन (SMAM) योजना की शुरुआत 2014-15 में की गई थी। इसका उद्देश्य छोटे और सीमांत किसानों के लिए मशीनीकरण की पहुँच को बढ़ाना और कृषि उत्पादन में सुधार करना है। इस योजना के तहत विभिन्न कृषि यंत्रों और मशीनों की खरीदारी, वितरण और उपयोग को प्रोत्साहित किया जाता है।
SMAM योजना के प्रदर्शन का विश्लेषण निम्नलिखित बिंदुओं पर आधारित है:
यंत्रों की उपलब्धता और उपयोग: SMAM के अंतर्गत किसानों को सब्सिडी के माध्यम से विभिन्न कृषि यंत्र जैसे ट्रैक्टर, हार्वेस्टर, और अन्य कृषि उपकरण उपलब्ध कराए जाते हैं। योजना की सफलता को देखा जाए तो कई राज्यों में इन यंत्रों की उपलब्धता बढ़ी है, जिससे उत्पादन क्षमता में सुधार हुआ है।
सामर्थ्य निर्माण और प्रशिक्षण: योजना के तहत किसानों को मशीनों के उपयोग और मरम्मत के लिए प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। इससे किसानों की तकनीकी दक्षता में वृद्धि हुई है और वे अधिक प्रभावी ढंग से मशीनों का उपयोग कर पा रहे हैं।
छोटे और सीमांत किसानों का लाभ: SMAM योजना का विशेष ध्यान छोटे और सीमांत किसानों पर है। सब्सिडी और वित्तीय सहायता के माध्यम से उन्हें भी आधुनिक कृषि उपकरण मिल सके हैं, जिससे उनकी उत्पादन क्षमता में सुधार हुआ है।
योजना के चुनौतियाँ: योजना के प्रदर्शन में कुछ चुनौतियाँ भी आई हैं। इनमे से प्रमुख हैं मशीनों की रखरखाव की कमी, ग्रामीण क्षेत्रों में तकनीकी सहायता की कमी, और सब्सिडी के वितरण में भ्रष्टाचार। इन समस्याओं ने योजना की प्रभावशीलता को कुछ हद तक प्रभावित किया है।
प्रभाव और परिणाम: कुल मिलाकर, SMAM योजना ने भारतीय कृषि में मशीनीकरण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इसके कारण कृषि उत्पादकता में सुधार हुआ है और खेती की प्रक्रिया में दक्षता बढ़ी है। हालांकि, योजना के पूर्ण लाभ को प्राप्त करने के लिए अभी भी कुछ सुधार और चुनौतियों का समाधान आवश्यक है।
संक्षेप में, SMAM योजना ने कृषि मशीनीकरण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, लेकिन इसके प्रभावी कार्यान्वयन के लिए सुधार और निगरानी की आवश्यकता है।
See lessएकीकृत कीट प्रबंधन (IPM) क्या है? IPM के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए, इसके विभिन्न घटकों पर चर्चा कीजिए। (150 शब्दों में उत्तर दें)
एकीकृत कीट प्रबंधन (IPM) एक प्रणालीगत दृष्टिकोण है जो कीटों के नियंत्रण के लिए विभिन्न विधियों को मिलाकर पर्यावरणीय, आर्थिक, और स्वास्थ्य पर न्यूनतम प्रभाव डालता है। IPM का उद्देश्य कीटों के प्रभावी नियंत्रण के साथ-साथ फसलों की सुरक्षा और पर्यावरण की रक्षा करना है। उद्देश्य: कीट नियंत्रण: कीटों की जRead more
एकीकृत कीट प्रबंधन (IPM) एक प्रणालीगत दृष्टिकोण है जो कीटों के नियंत्रण के लिए विभिन्न विधियों को मिलाकर पर्यावरणीय, आर्थिक, और स्वास्थ्य पर न्यूनतम प्रभाव डालता है। IPM का उद्देश्य कीटों के प्रभावी नियंत्रण के साथ-साथ फसलों की सुरक्षा और पर्यावरण की रक्षा करना है।
उद्देश्य:
घटक:
IPM की विधियाँ एक साथ मिलकर एक संतुलित और प्रभावी कीट प्रबंधन प्रणाली को सुनिश्चित करती हैं।
See lessफर्टिगेशन मौलिक रूप से जल जैसे कीमती संसाधनों के उपयोग और पर्यावरण के पोषक तत्वों की क्षति को कम करते हुए बदलती जलवायु में स्थायी रूप से अधिक खाद्यान्नों के उत्पादन में मदद कर सकता है। चर्चा कीजिए। (150 शब्दों में उत्तर दें)
फर्टिगेशन, जिसमें उर्वरक और जल को संयोजित किया जाता है, जल और पोषक तत्वों के उपयोग को अधिक कुशल बनाता है। इस प्रक्रिया के माध्यम से, उर्वरक सीधे पौधों की जड़ों में पहुंचते हैं, जिससे उनकी अवशोषण दर बढ़ती है और उर्वरक का अधिकतम उपयोग होता है। इससे जल की मात्रा कम होती है और पर्यावरणीय प्रदूषण भी घटताRead more
फर्टिगेशन, जिसमें उर्वरक और जल को संयोजित किया जाता है, जल और पोषक तत्वों के उपयोग को अधिक कुशल बनाता है। इस प्रक्रिया के माध्यम से, उर्वरक सीधे पौधों की जड़ों में पहुंचते हैं, जिससे उनकी अवशोषण दर बढ़ती है और उर्वरक का अधिकतम उपयोग होता है। इससे जल की मात्रा कम होती है और पर्यावरणीय प्रदूषण भी घटता है।
बदलती जलवायु के प्रभाव में, जैसे कि अनियमित वर्षा और सूखा, फर्टिगेशन एक स्थायी समाधान प्रस्तुत करता है। यह न केवल जल का कुशल प्रबंधन सुनिश्चित करता है, बल्कि पौधों को आवश्यक पोषक तत्व समय पर प्रदान करता है, जिससे उत्पादन की मात्रा और गुणवत्ता में सुधार होता है। इस प्रकार, फर्टिगेशन जलवायु परिवर्तन के अनुकूल खेती में एक महत्वपूर्ण उपकरण बन सकता है, जिससे खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा सकता है।
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