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फलों, सब्ज़ियों और खाद्य पदार्थों के आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन में सुपरबाज़ारों की भूमिका की जाँच कीजिए। वे बिचौलियों की संख्या को किस प्रकार खत्म कर देते हैं? (150 words) [UPSC 2018]
प्रस्तावना सुपरबाज़ारों का आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन में महत्वपूर्ण योगदान है, विशेषकर फलों, सब्जियों और खाद्य पदार्थों के मामले में। सुपरबाज़ारों की भूमिका प्रत्यक्ष सोर्सिंग: सुपरबाज़ार अक्सर किसानों से प्रत्यक्ष सोर्सिंग करते हैं, जिससे बिचौलियों की संख्या कम होती है। उदाहरण के लिए, BigBasket ने कRead more
प्रस्तावना
सुपरबाज़ारों का आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन में महत्वपूर्ण योगदान है, विशेषकर फलों, सब्जियों और खाद्य पदार्थों के मामले में।
सुपरबाज़ारों की भूमिका
बिचौलियों की संख्या में कमी
प्रत्यक्ष संबंधों और तकनीकी उपयोग के माध्यम से, सुपरबाज़ार बिचौलियों की संख्या को कम करते हैं, जो उपभोक्ताओं के लिए कम लागत और किसानों के लिए अधिक लाभ सुनिश्चित करता है।
निष्कर्ष
See lessइस प्रकार, सुपरबाज़ार आपूर्ति श्रृंखला में दक्षता बढ़ाते हैं, जिससे दोनों पक्षों को लाभ होता है और खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता सुनिश्चित होती है।
भारत में कृषि उत्पादों के परिवहन एवं विपणन में मुख्य बाधाएँ क्या हैं? (150 words) [UPSC 2020]
भारत में कृषि उत्पादों के परिवहन एवं विपणन की मुख्य बाधाएँ अवसंरचनात्मक समस्याएँ: उदाहरण: "कृषि उपज के लिए सड़क और परिवहन नेटवर्क की कमी" - खराब सड़कें और कम कोल्ड स्टोरेज सुविधाएँ उत्पाद की गुणवत्ता और मूल्य को प्रभावित करती हैं। विपणन प्रणाली की जटिलताएँ: उदाहरण: "कृषि मंडियों में बिचौलियों की अधिRead more
भारत में कृषि उत्पादों के परिवहन एवं विपणन की मुख्य बाधाएँ
समाधान:
इन उपायों से भारत में कृषि उत्पादों के परिवहन और विपणन में सुधार किया जा सकता है।
See lessभारत में कृषि उत्पादों के विपणन की ऊर्ध्वमुखी और अधोमुखी प्रक्रिया में मुख्य बाधाएँ क्या हैं ? (250 words) [UPSC 2022]
भारत में कृषि उत्पादों के विपणन में बाधाएँ **1. ऊर्ध्वमुखी प्रक्रिया की बाधाएँ: **a. गुणवत्ता युक्त इनपुट्स की सीमित पहुँच: किसान अक्सर उच्च गुणवत्ता वाले बीज, उर्वरक और कीटनाशकों तक सीमित पहुँच का सामना करते हैं। उदाहरण के लिए, बिहार में छोटे और सीमांत किसान प्रमाणित बीजों की कमी से प्रभावित होते हRead more
भारत में कृषि उत्पादों के विपणन में बाधाएँ
**1. ऊर्ध्वमुखी प्रक्रिया की बाधाएँ:
**a. गुणवत्ता युक्त इनपुट्स की सीमित पहुँच:
**b. अपर्याप्त बुनियादी ढाँचा:
**c. असंगठित विस्तार सेवाएँ:
**2. अधोमुखी प्रक्रिया की बाधाएँ:
**a. टुकड़ों में आपूर्ति श्रृंखला:
**b. बाजार पहुँच की समस्याएँ:
**c. मूल्य अस्थिरता:
**3. हाल की पहलें और समाधान:
**a. डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म:
**b. कोल्ड स्टोरेज निवेश:
**c. विस्तार सेवाओं में सुधार:
निष्कर्ष: इन बाधाओं को दूर करने के लिए एक बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जिसमें बुनियादी ढाँचा विकास, बेहतर बाजार पहुँच, प्रभावी विस्तार सेवाएँ, और प्रौद्योगिकी का उपयोग शामिल है। eNAM जैसी पहलें और कोल्ड स्टोरेज सुविधाओं में सुधार सही दिशा में कदम हैं, लेकिन उपयुक्त और स्थायी प्रयासों की आवश्यकता है।
See lessसार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPPs) भारत में कृषि उपज के भंडारण, परिवहन और विपणन को बेहतर बनाने में कितनी सहायक हो सकती है?(250 शब्दों में उत्तर दें)
सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPPs) भारत में कृषि उपज के भंडारण, परिवहन, और विपणन को बेहतर बनाने में अत्यधिक सहायक हो सकती है। यह साझेदारी सार्वजनिक क्षेत्र की नीति निर्माण और आधारभूत ढांचा विकास के साथ निजी क्षेत्र की दक्षता, निवेश और नवाचार को जोड़ती है, जिससे कृषि क्षेत्र को कई लाभ प्राप्त होते हैं। 1Read more
सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPPs) भारत में कृषि उपज के भंडारण, परिवहन, और विपणन को बेहतर बनाने में अत्यधिक सहायक हो सकती है। यह साझेदारी सार्वजनिक क्षेत्र की नीति निर्माण और आधारभूत ढांचा विकास के साथ निजी क्षेत्र की दक्षता, निवेश और नवाचार को जोड़ती है, जिससे कृषि क्षेत्र को कई लाभ प्राप्त होते हैं।
1. भंडारण क्षमता और प्रबंधन: PPPs के माध्यम से निजी कंपनियों को भंडारण अवसंरचना, जैसे कि कोल्ड स्टोरेज और साइलो निर्माण में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है। यह सार्वजनिक क्षेत्र के संसाधनों और निजी क्षेत्र की विशेषज्ञता का संगम है, जो भंडारण क्षमता को बढ़ाता है और भंडारण की गुणवत्ता में सुधार करता है। इससे कृषि उपज की बर्बादी में कमी आती है और किसानों को उच्च मूल्य प्राप्त करने में मदद मिलती है।
2. परिवहन नेटवर्क: निजी क्षेत्र की भागीदारी से परिवहन नेटवर्क में सुधार हो सकता है, जैसे कि बेहतर सड़कों, कंटेनर ट्रांसपोर्ट और लॉजिस्टिक सेवाओं के माध्यम से। सार्वजनिक-निजी साझेदारी के तहत, आधुनिक ट्रांसपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण और संचालन में निवेश किया जा सकता है, जिससे कृषि उपज की डिलीवरी समय पर और सुरक्षित रूप से की जा सके।
3. विपणन और वितरण: PPPs विपणन चैनलों के विकास में भी योगदान कर सकते हैं। निजी क्षेत्र के खिलाड़ी एग्री-मार्केटिंग प्लेटफॉर्म और ई-मार्केटिंग चैनल्स को स्थापित और संचालित कर सकते हैं, जो किसानों को सीधे बाजार से जोड़ते हैं। इससे बिचौलियों की भूमिका कम होती है और किसानों को उनके उत्पाद के लिए बेहतर मूल्य प्राप्त होता है।
4. नवाचार और तकनीकी सुधार: निजी क्षेत्र की सहभागिता नई तकनीकों और इनोवेटिव समाधानों के लागू करने में सहायक होती है। इससे कृषि क्षेत्र में स्मार्ट एग्रीकल्चर तकनीकों, डेटा एनालिटिक्स और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स का उपयोग बढ़ता है, जो भंडारण, परिवहन, और विपणन की प्रक्रियाओं को और अधिक कुशल बनाता है।
5. जोखिम प्रबंधन और वित्तीय प्रबंधन: PPPs की सहायता से वित्तीय प्रबंधन और जोखिम प्रबंधन तंत्र भी मजबूत किए जा सकते हैं। निजी क्षेत्र के अनुभव और संसाधनों का उपयोग कर सार्वजनिक परियोजनाओं को लागत-कुशल और जोखिम-प्रबंधित बनाया जा सकता है।
इस प्रकार, सार्वजनिक-निजी भागीदारी भारत में कृषि उपज के भंडारण, परिवहन, और विपणन में सुधार करने के लिए एक प्रभावी मॉडल प्रदान करती है, जिससे कृषि क्षेत्र को अधिक समृद्ध और स्थिर बनाया जा सकता है।
See lessभारत में अनाज और दालों की खरीद एवं विपणन से जुड़ी वर्तमान समस्याओं को दुग्ध क्षेत्रक के सफल मॉडल के माध्यम से हल किया जा सकता है। चर्चा कीजिए। (250 शब्दों में उत्तर दें)
भारत में अनाज और दालों की खरीद एवं विपणन से जुड़ी कई समस्याएँ हैं, जैसे कि कम न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की प्राप्ति, विपणन चैनलों की कमी, मध्यस्थों की भूमिका और भंडारण की कमी। ये समस्याएँ किसानों की आय को प्रभावित करती हैं और खाद्य सुरक्षा को भी चुनौती देती हैं। इन समस्याओं का समाधान दुग्ध क्षेत्रकRead more
भारत में अनाज और दालों की खरीद एवं विपणन से जुड़ी कई समस्याएँ हैं, जैसे कि कम न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की प्राप्ति, विपणन चैनलों की कमी, मध्यस्थों की भूमिका और भंडारण की कमी। ये समस्याएँ किसानों की आय को प्रभावित करती हैं और खाद्य सुरक्षा को भी चुनौती देती हैं। इन समस्याओं का समाधान दुग्ध क्षेत्रक के सफल मॉडल के माध्यम से किया जा सकता है।
1. दुग्ध क्षेत्रक का सफल मॉडल: दुग्ध क्षेत्र में अमूल और मेडा जैसे सहकारी संघों ने किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार किया है। इन मॉडलों ने सीधे किसानों से उत्पाद की खरीद, सहकारी समितियों के माध्यम से प्रबंधन, और स्थानीय स्तर पर मूल्य वर्धन को अपनाया है।
2. एकीकृत विपणन चैनल: दुग्ध क्षेत्र के सफल मॉडलों में एकीकृत विपणन चैनल शामिल हैं। किसानों को सीधे संघों के माध्यम से सही मूल्य मिलता है, जिससे वे मध्यस्थों से बचते हैं। इसी तरह, अनाज और दालों के लिए किसान सहकारी समितियों और विपणन संघों की स्थापना से किसानों को उचित मूल्य और भंडारण की सुविधा मिल सकती है।
3. भंडारण और लॉजिस्टिक्स: दुग्ध क्षेत्र के मॉडल में भंडारण और लॉजिस्टिक्स का महत्व है। फ्रिजर वैन और ठंडे गोदाम के उपयोग ने दूध के वितरण को सुव्यवस्थित किया है। इसी तरह, अनाज और दालों के लिए ठंडे गोदाम और संगठित भंडारण की व्यवस्था करने से नुकसान कम हो सकता है और कृषि उत्पादों की गुणवत्ता बनाए रखी जा सकती है।
4. कृषि उत्पाद बाजार समितियाँ (APMC): दुग्ध क्षेत्र की तरह, APMC के सुधार से भी स्थानीय बाजारों में किसानों की सीधी पहुंच सुनिश्चित की जा सकती है। यह विपणन लागत को कम करेगा और किसानों की आय को बढ़ाएगा।
निष्कर्ष: भारत में अनाज और दालों के विपणन से जुड़ी समस्याओं का समाधान दुग्ध क्षेत्रक के सफल मॉडल को अपनाकर किया जा सकता है। इस मॉडल से किसानों के लिए बेहतर मूल्य और सही विपणन चैनल सुनिश्चित किए जा सकते हैं, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा और खाद्य सुरक्षा को भी समर्थन मिलेगा।
See lessफसल कटाई के बाद की मूल्य श्रृंखला में अक्षमता के कारण लघु और सीमांत किसानों की आजीविका पर अत्यधिक प्रतिकूल प्रभाव पड़ने के साथ-साथ फसल की हानि हो रही है। भारत के संदर्भ में चर्चा कीजिए। इन चिंताओं को दूर करने के लिए सरकार ने क्या कदम उठाए हैं? (250 शब्दों में उत्तर दें)
फसल कटाई के बाद की मूल्य श्रृंखला में अक्षमता और इसके प्रभाव: फसल कटाई के बाद की मूल्य श्रृंखला में अक्षमता, जैसे कि अपारदर्शी आपूर्ति श्रृंखलाएँ, भंडारण की कमी, और परिवहन की समस्याएँ, भारतीय लघु और सीमांत किसानों की आजीविका पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं। इस स्थिति के कारण फसलों की गुणवत्ता में गिरावRead more
फसल कटाई के बाद की मूल्य श्रृंखला में अक्षमता और इसके प्रभाव:
फसल कटाई के बाद की मूल्य श्रृंखला में अक्षमता, जैसे कि अपारदर्शी आपूर्ति श्रृंखलाएँ, भंडारण की कमी, और परिवहन की समस्याएँ, भारतीय लघु और सीमांत किसानों की आजीविका पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं। इस स्थिति के कारण फसलों की गुणवत्ता में गिरावट आती है, नुकसान बढ़ता है, और मूल्य में कमी होती है, जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान होता है और फसल की हानि होती है। इन समस्याओं के कारण किसानों को उचित मूल्य नहीं मिल पाता, जिससे उनकी आजीविका प्रभावित होती है।
सरकारी कदम:
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY): यह योजना फसल कटाई के बाद के नुकसान को कम करने के लिए एकीकृत सिंचाई प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करती है, जिससे फसलों की सिंचाई और भंडारण के लिए आवश्यक संसाधन उपलब्ध हो सकें।
कृषि उत्पाद बाजार समिति (APMC) सुधार: सरकार ने APMC एक्ट में सुधार की दिशा में कदम बढ़ाया है ताकि किसानों को अधिक प्रतिस्पर्धी और पारदर्शी बाजार मूल्य प्राप्त हो सके और बिचौलियों की भूमिका कम हो सके।
फसल कटाई के बाद प्रबंधन की योजना: ‘फसल कटाई के बाद प्रबंधन’ पर ध्यान केंद्रित करने के लिए विभिन्न योजनाएँ चलायी जा रही हैं, जैसे कि कोल्ड स्टोरेज और प्रसेसिंग यूनिट्स की स्थापना, जिससे फसल की गुणवत्ता बनाए रखी जा सके और भंडारण की समस्याओं को सुलझाया जा सके।
कृषि-प्रोसेसिंग इंफ्रास्ट्रक्चर: सरकार ने कृषि-प्रोसेसिंग और इनक्लूसिव फार्मिंग पर ध्यान देने के लिए कई योजनाएँ शुरू की हैं, जैसे कि ‘प्रसंस्करण और संरक्षण’ परियोजनाएँ। इन परियोजनाओं का उद्देश्य किसानों को बेहतर मूल्य श्रृंखला और मूल्य वर्धन के अवसर प्रदान करना है।
ई-नम (E-NAM): ई-नम एक ऑनलाइन मार्केटिंग प्लेटफॉर्म है जो किसानों को राष्ट्रीय स्तर पर अपनी फसलें बेचने की सुविधा प्रदान करता है, जिससे उन्हें बेहतर कीमत मिल सके और बाजार की विसंगतियों को दूर किया जा सके।
इन प्रयासों से सरकार का उद्देश्य फसल कटाई के बाद के नुकसान को कम करना, किसानों को उचित मूल्य प्राप्त करना, और समग्र कृषि उत्पादन को स्थिर और सशक्त बनाना है। यह रणनीतियाँ किसानों की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करने और फसल की हानि को कम करने में सहायक हो रही हैं।
See lessचर्चा कीजिए कि किस प्रकार अनाज की वास्तविक कमी की तुलना में खराब खाद्यान्न प्रबंधन भारत में खाद्य सुरक्षा के समक्ष एक बड़ी चुनौती रहा है। (150 शब्दों में उत्तर दें)
भारत में खाद्य सुरक्षा को लेकर वास्तविक अनाज कमी की तुलना में खराब खाद्यान्न प्रबंधन एक बड़ी चुनौती रही है। भंडारण और वितरण में अक्षम नीतियों के कारण, अनाज की एक बड़ी मात्रा अक्सर बर्बाद हो जाती है। फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (FCI) जैसे संगठनों द्वारा संचालित गोदामों में खराब भंडारण सुविधाएं और कुप्रबंRead more
भारत में खाद्य सुरक्षा को लेकर वास्तविक अनाज कमी की तुलना में खराब खाद्यान्न प्रबंधन एक बड़ी चुनौती रही है। भंडारण और वितरण में अक्षम नीतियों के कारण, अनाज की एक बड़ी मात्रा अक्सर बर्बाद हो जाती है। फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (FCI) जैसे संगठनों द्वारा संचालित गोदामों में खराब भंडारण सुविधाएं और कुप्रबंधन के कारण अनाज सड़ जाता है या कीटों द्वारा प्रभावित हो जाता है।
इसके अलावा, वितरण प्रणाली में भी गड़बड़ियां हैं, जिससे अनाज उन क्षेत्रों तक नहीं पहुँच पाता जहां इसकी सबसे ज्यादा जरूरत होती है। इन समस्याओं के कारण, जबकि अनाज की कमी का कोई तात्कालिक संकट नहीं होता, खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में बड़ी कठिनाइयाँ आती हैं।
अतः, भारत में खाद्य सुरक्षा को सुदृढ़ करने के लिए खाद्यान्न प्रबंधन सुधार और वितरण प्रणाली की दक्षता में सुधार अत्यंत आवश्यक है।
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