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वैश्वीकृत संसार में, बौद्धिक सम्पदा अधिकारों का महत्व हो जाता है और वे मुक़दमेबाजी का एक स्रोत हो जाते हैं। कॉपीराइट, पेटेंट और व्यापार गुप्तियों के बीच मोटे तौर पर विभेदन कीजिए। (200 words) [UPSC 2014]
परिचय: वैश्वीकरण की दुनिया में बौद्धिक सम्पदा अधिकार (IPR) महत्वपूर्ण हो जाते हैं और ये मुक़दमेबाजी के प्रमुख स्रोत बन जाते हैं। बौद्धिक सम्पदा अधिकारों के अंतर्गत कॉपीराइट, पेटेंट और व्यापार गुप्तियाँ आते हैं, जो विभिन्न प्रकार की रचनात्मक और नवाचारी संपत्तियों की सुरक्षा प्रदान करते हैं। कॉपीराइट:Read more
परिचय: वैश्वीकरण की दुनिया में बौद्धिक सम्पदा अधिकार (IPR) महत्वपूर्ण हो जाते हैं और ये मुक़दमेबाजी के प्रमुख स्रोत बन जाते हैं। बौद्धिक सम्पदा अधिकारों के अंतर्गत कॉपीराइट, पेटेंट और व्यापार गुप्तियाँ आते हैं, जो विभिन्न प्रकार की रचनात्मक और नवाचारी संपत्तियों की सुरक्षा प्रदान करते हैं।
कॉपीराइट:
पेटेंट:
व्यापार गुप्तियाँ:
निष्कर्ष: कॉपीराइट, पेटेंट और व्यापार गुप्तियाँ प्रत्येक बौद्धिक संपदा के विभिन्न रूपों की सुरक्षा प्रदान करती हैं। कॉपीराइट रचनात्मक अभिव्यक्तियों की सुरक्षा करता है, पेटेंट नवाचारों की रक्षा करता है, और व्यापार गुप्तियाँ गोपनीय व्यापार सूचनाओं की सुरक्षा करती हैं। इन भिन्नताओं को समझना बौद्धिक संपदा अधिकारों के जटिल परिदृश्य में प्रभावी ढंग से नेविगेट करने और मुक़दमेबाजी से बचने के लिए आवश्यक है।
See lessफार्मास्युटिकल्स कंपनियों के द्वारा आयुर्विज्ञान के पारंपरिक ज्ञान को पेटेंट कराने से भारत सरकार किस प्रकार रक्षा कर रही है? (250 words) [UPSC 2019]
भारत सरकार द्वारा पारंपरिक आयुर्विज्ञान ज्ञान की रक्षा के उपाय 1. पेटेंट कानूनों में संशोधन: संविधानिक उपाय: भारत ने पेटेंट अधिनियम, 1970 में संशोधन कर पारंपरिक ज्ञान और सांस्कृतिक वस्त्रों की रक्षा के लिए प्रावधान किए हैं। प्राकृतिक पदार्थों और पारंपरिक ज्ञान को पेटेंट की रक्षा में अधिकार नहीं मिलRead more
भारत सरकार द्वारा पारंपरिक आयुर्विज्ञान ज्ञान की रक्षा के उपाय
1. पेटेंट कानूनों में संशोधन:
2. खगोलिय डेटाबेस और दस्तावेज़ीकरण:
3. अंतरराष्ट्रीय सहयोग और समझौते:
4. आयुष मंत्रालय और अनुसंधान:
5. प्रवर्तन और निगरानी:
निष्कर्ष: भारत सरकार ने पारंपरिक आयुर्विज्ञान के ज्ञान को पेटेंटिंग से बचाने के लिए कानूनी, डॉक्यूमेंटेशन, अंतरराष्ट्रीय सहयोग, और अनुसंधान उपाय अपनाए हैं। ये कदम पारंपरिक ज्ञान की रक्षा सुनिश्चित करने के साथ-साथ वैश्विक स्तर पर इसके प्रवर्तन और सुरक्षा को भी सक्षम बनाते हैं.
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