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भारत के पास 1,80,000 मेगावाट महासागरीय तापीय ऊर्जा उत्पादित करने की क्षमता है, हालांकि, इस दिशा में प्रगति धीमी रही है। इस संदर्भ में, संबंधित चुनौतियों को रेखांकित कीजिए और सुधारात्मक उपायों का सुझाव दीजिए। (250 शब्दों में उत्तर दीजिए)
भारत में महासागरीय तापीय ऊर्जा (ओशेन थर्मल एनर्जी) की विशाल क्षमता के बावजूद, इसके विकास में कई चुनौतियाँ सामने आई हैं। चुनौतियाँ: तकनीकी और वैज्ञानिक चुनौतियाँ: महासागरीय तापीय ऊर्जा प्रणाली की डिजाइन और संचालन जटिल होते हैं, जिसमें गहरे समुद्र में उपकरणों को स्थापित करना और उनकी दीर्घकालिक स्थिरताRead more
भारत में महासागरीय तापीय ऊर्जा (ओशेन थर्मल एनर्जी) की विशाल क्षमता के बावजूद, इसके विकास में कई चुनौतियाँ सामने आई हैं।
चुनौतियाँ:
सुधारात्मक उपाय:
इन उपायों को अपनाकर, भारत महासागरीय तापीय ऊर्जा के क्षेत्र में अपनी क्षमता को पूरी तरह से उपयोग कर सकता है और सतत ऊर्जा उत्पादन की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति कर सकता है।
See lessभारत में उपलब्ध विभिन्न गैर-पारंपरिक ऊर्जा स्रोत कौन से हैं? पर्यावरण के अनुकूल ऊर्जा प्रदान करने में उनके महत्व को रेखांकित कीजिए।(उत्तर 200 शब्दों में दें)
भारत में गैर-पारंपरिक ऊर्जा स्रोत: सौर ऊर्जा: विवरण: सूरज की किरणों को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करने के लिए सौर पैनल और सौर ताप प्रणाली का उपयोग किया जाता है। महत्व: सौर ऊर्जा अत्यधिक पर्यावरण के अनुकूल है क्योंकि यह नवीकरणीय है और इससे ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन नहीं होता। पवन ऊर्जा: विवरण: पवनRead more
भारत में गैर-पारंपरिक ऊर्जा स्रोत:
पर्यावरण के अनुकूल ऊर्जा प्रदान करने में इन स्रोतों का महत्व यह है कि ये कार्बन उत्सर्जन को कम करने, प्राकृतिक संसाधनों को संरक्षित करने और दीर्घकालिक ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने में सहायक हैं।
See lessभारत में सौर ऊर्जा की प्रचुर संभावनाएँ हैं हालाँकि इसके विकास में क्षेत्रीय भिन्नताएँ हैं। विस्तृत वर्णन कीजिए । (250 words) [UPSC 2020]
भारत में सौर ऊर्जा की संभावनाएँ और क्षेत्रीय भिन्नताएँ परिचय भारत सौर ऊर्जा के क्षेत्र में विशाल संभावनाओं से संपन्न है, लेकिन इसके विकास में विभिन्न क्षेत्रों में भिन्नताएँ देखने को मिलती हैं। ये भिन्नताएँ क्षेत्रीय संसाधनों, जलवायु परिस्थितियों, और नीतिगत पहलुओं से जुड़ी हुई हैं। सौर ऊर्जा की संभाRead more
भारत में सौर ऊर्जा की संभावनाएँ और क्षेत्रीय भिन्नताएँ
परिचय
भारत सौर ऊर्जा के क्षेत्र में विशाल संभावनाओं से संपन्न है, लेकिन इसके विकास में विभिन्न क्षेत्रों में भिन्नताएँ देखने को मिलती हैं। ये भिन्नताएँ क्षेत्रीय संसाधनों, जलवायु परिस्थितियों, और नीतिगत पहलुओं से जुड़ी हुई हैं।
सौर ऊर्जा की संभावनाएँ
क्षेत्रीय भिन्नताएँ
निष्कर्ष
भारत में सौर ऊर्जा की प्रचुर संभावनाएँ हैं, लेकिन इसके विकास में क्षेत्रीय भिन्नताएँ साफ तौर पर देखने को मिलती हैं। जलवायु, भूमि, नीतिगत समर्थन, और तकनीकी बुनियादी ढांचे के आधार पर इन भिन्नताओं को समझना और समाधान करना आवश्यक है ताकि सौर ऊर्जा के संभावनाओं का पूरा लाभ उठाया जा सके।
See lessभारत में पवन ऊर्जा की संभावना का परीक्षण कीजिए एवं उनके सीमित क्षेत्रीय विस्तार के कारणों को समझाइए । (150 words)[UPSC 2022]
भारत में पवन ऊर्जा की संभावना संभावना: भारत में पवन ऊर्जा की व्यापक संभावनाएं हैं। भारतीय उपमहाद्वीप के तटीय क्षेत्रों और पहाड़ी क्षेत्रों में अच्छा पवन ऊर्जा पोटेंशियल मौजूद है। तमिलनाडु, गुजरात, और कर्नाटका में पवन ऊर्जा परियोजनाएं सफल रही हैं। तमिलनाडु में, मरीना के पास पवन फार्म से पर्याप्त ऊर्जRead more
भारत में पवन ऊर्जा की संभावना
संभावना: भारत में पवन ऊर्जा की व्यापक संभावनाएं हैं। भारतीय उपमहाद्वीप के तटीय क्षेत्रों और पहाड़ी क्षेत्रों में अच्छा पवन ऊर्जा पोटेंशियल मौजूद है। तमिलनाडु, गुजरात, और कर्नाटका में पवन ऊर्जा परियोजनाएं सफल रही हैं। तमिलनाडु में, मरीना के पास पवन फार्म से पर्याप्त ऊर्जा प्राप्त होती है, जबकि गुजरात और कर्नाटका में भी कई प्रमुख परियोजनाएं संचालित हैं।
सीमित क्षेत्रीय विस्तार के कारण:
निष्कर्ष: हालांकि भारत में पवन ऊर्जा की संभावनाएँ उच्च हैं, लेकिन पवन ऊर्जा का क्षेत्रीय विस्तार भौगोलिक और नीतिगत कारणों से सीमित है। बेहतर नीतिगत समर्थन और तकनीकी नवाचार इस क्षेत्र की वृद्धि में सहायक हो सकते हैं।
See lessभारत में प्राकृतिक गैस हाइड्रेट्स की उपलब्धता का वर्णन करते हुए, उनके महत्व के साथ-साथ उनके अन्वेषण से जुड़ी चुनौतियों पर चर्चा कीजिए। (250 शब्दों में उत्तर दीजिए)
भारत में प्राकृतिक गैस हाइड्रेट्स एक महत्वपूर्ण ऊर्जा संसाधन के रूप में उभर रहे हैं। ये हाइड्रेट्स मुख्यतः समुद्री तल पर ठंडे और उच्च दबाव वाले क्षेत्रों में पाए जाते हैं, जहां मेथेन गैस और पानी क्रिस्टलीय संरचना में बंधे होते हैं। भारत के पूर्वी और पश्चिमी समुद्री तटों के साथ-साथ अंडमान और निकोबारRead more
भारत में प्राकृतिक गैस हाइड्रेट्स एक महत्वपूर्ण ऊर्जा संसाधन के रूप में उभर रहे हैं। ये हाइड्रेट्स मुख्यतः समुद्री तल पर ठंडे और उच्च दबाव वाले क्षेत्रों में पाए जाते हैं, जहां मेथेन गैस और पानी क्रिस्टलीय संरचना में बंधे होते हैं। भारत के पूर्वी और पश्चिमी समुद्री तटों के साथ-साथ अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह में प्राकृतिक गैस हाइड्रेट्स की मौजूदगी के प्रमाण मिले हैं।
**महत्व:**
1. **ऊर्जा सुरक्षा**: प्राकृतिक गैस हाइड्रेट्स विशाल ऊर्जा स्रोत प्रदान करते हैं, जो भारत की ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ा सकते हैं। यह पारंपरिक तेल और गैस स्रोतों की कमी को पूरा करने में सहायक हो सकता है।
2. **आर्थिक लाभ**: गैस हाइड्रेट्स का सफल अन्वेषण और दोहन आर्थिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हो सकता है, जिससे ऊर्जा की आपूर्ति में स्वदेशी संसाधनों का योगदान बढ़ेगा।
3. **पर्यावरणीय लाभ**: प्राकृतिक गैस, जब इसे कोयले के मुकाबले जलाया जाता है, तो इसमें कम कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन होता है, जिससे जलवायु परिवर्तन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
**चुनौतियाँ:**
1. **तकनीकी कठिनाइयाँ**: गैस हाइड्रेट्स की खोज और दोहन के लिए अत्याधुनिक तकनीक की आवश्यकता होती है, जो उच्च लागत और जटिलता के साथ आती है। समुद्री तलों पर गहराई और ठंडे तापमान के कारण यह कार्य कठिन होता है।
2. **पर्यावरणीय चिंताएँ**: हाइड्रेट्स के अन्वेषण और दोहन से समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, जैसे कि बर्फ की परतों का नुकसान और समुद्री जीवन के लिए खतरा।
3. **अन्वेषण और अनुसंधान की कमी**: भारत में गैस हाइड्रेट्स पर पर्याप्त अनुसंधान और अन्वेषण की कमी है, जिससे उनकी संभावनाओं का पूर्ण आकलन करना मुश्किल होता है।
4. **वित्तीय बाधाएँ**: गैस हाइड्रेट्स के अन्वेषण और दोहन में उच्च लागत शामिल होती है, जिससे निजी और सरकारी क्षेत्र के लिए इसे व्यावसायिक दृष्टिकोण से लाभकारी बनाना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
इन चुनौतियों के बावजूद, यदि भारत इन समस्याओं को हल करने में सफल होता है, तो प्राकृतिक गैस हाइड्रेट्स ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक समृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
See less.भारत विभिन्न कारणों से अपनी पवन ऊर्जा की उच्च क्षमता का दोहन नहीं कर पाया है। चर्चा कीजिए और आगे की राह सुनाइए। (150 शब्दों में उत्तर दीजिए)
भारत की पवन ऊर्जा की उच्च क्षमता का पूर्ण रूप से दोहन न कर पाने के पीछे कई कारण हैं। प्रमुख कारणों में निम्नलिखित शामिल हैं: स्थानीय चुनौतियाँ: पवन ऊर्जा परियोजनाएँ अक्सर उन क्षेत्रों में स्थापित की जाती हैं जहां हवा की गति उच्च होती है, लेकिन ये क्षेत्र ग्रामीण और दूरस्थ होते हैं, जिससे निर्माण औरRead more
भारत की पवन ऊर्जा की उच्च क्षमता का पूर्ण रूप से दोहन न कर पाने के पीछे कई कारण हैं। प्रमुख कारणों में निम्नलिखित शामिल हैं:
आगे की राह में निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:
इन प्रयासों से भारत पवन ऊर्जा की अपार संभावनाओं का पूरा लाभ उठा सकता है।
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