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अपर्याप्त संसाधनों की दुनिया में भूमंडलीकरण एवं नए तकनीक के रिश्ते को भारत के विशेष सन्दर्भ में स्पष्ट करें। (250 words) [UPSC 2022]
परिचय अपर्याप्त संसाधनों की दुनिया में भूमंडलीकरण और नई तकनीक एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। भूमंडलीकरण से विचारों, वस्तुओं और सेवाओं का आदान-प्रदान होता है, जबकि नई तकनीक संसाधनों के बेहतर प्रबंधन और नवाचार में सहायक होती है। भारत जैसे विकासशील देशों में, जहां संसाधनों की कमी एक बड़ी चुनौती है, इRead more
परिचय
अपर्याप्त संसाधनों की दुनिया में भूमंडलीकरण और नई तकनीक एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। भूमंडलीकरण से विचारों, वस्तुओं और सेवाओं का आदान-प्रदान होता है, जबकि नई तकनीक संसाधनों के बेहतर प्रबंधन और नवाचार में सहायक होती है। भारत जैसे विकासशील देशों में, जहां संसाधनों की कमी एक बड़ी चुनौती है, इन दोनों का संबंध विशेष रूप से प्रासंगिक है।
अपर्याप्त संसाधनों पर भूमंडलीकरण का प्रभाव
भूमंडलीकरण ने औद्योगिकीकरण और शहरीकरण के कारण संसाधनों की मांग को बढ़ाया है। इससे संसाधनों का असमान वितरण हुआ है, जहां विकसित देशों को अधिक संसाधन मिलते हैं, जबकि विकासशील देशों को कमी का सामना करना पड़ता है। उदाहरण के लिए, 2022 की वैश्विक ऊर्जा संकट ने भारत जैसे देशों को प्रभावित किया, जिसके परिणामस्वरूप भारत को सौर और पवन ऊर्जा जैसे वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों की ओर रुख करना पड़ा।
संसाधन प्रबंधन में नई तकनीक की भूमिका
नई तकनीकें अपर्याप्त संसाधनों के कुशल उपयोग में अहम योगदान देती हैं। नवीकरणीय ऊर्जा तकनीकें जैसे सोलर पैनल और पवन टरबाइन ने भारत में ऊर्जा की कमी को दूर करने में मदद की है। भारत अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन के माध्यम से सौर ऊर्जा में वैश्विक नेतृत्व कर रहा है। इसके साथ ही, सटीक कृषि में ड्रोन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी तकनीकों का उपयोग पानी और उर्वरकों के कुशल उपयोग में हो रहा है।
भारत में भूमंडलीकरण और तकनीक
भारत की वैश्विक अर्थव्यवस्था में भागीदारी ने विभिन्न क्षेत्रों में नई तकनीकों को अपनाने में मदद की है। उदाहरण के लिए, डिजिटल इंडिया पहल ने डिजिटल सेवाओं की पहुँच को बढ़ाया और संसाधनों के प्रबंधन में सुधार किया। ब्लॉकचेन जैसी तकनीकों का उपयोग सब्सिडी और संसाधनों के वितरण में पारदर्शिता और कुशलता लाने के लिए किया जा रहा है।
निष्कर्ष
See lessअपर्याप्त संसाधनों की दुनिया में भूमंडलीकरण और नई तकनीक के बीच का संबंध महत्वपूर्ण है। भारत के संदर्भ में, नई तकनीकों को अपनाना और भूमंडलीकरण का लाभ उठाना सतत विकास की दिशा में सहायक है। हालांकि, दीर्घकालिक समृद्धि के लिए विकास और संसाधन संरक्षण के बीच संतुलन बनाए रखना आवश्यक है।
भारत में महिलाओं पर वैश्वीकरण के सकारात्मक और नकारात्मक प्रभावों पर चर्चा कीजिये। (200 words) [UPSC 2015]
भारत में वैश्वीकरण ने महिलाओं पर कई सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव डाले हैं। वैश्वीकरण का आर्थिक, सामाजिक, और सांस्कृतिक पहलुओं पर गहरा असर पड़ा है, जिससे महिलाओं की स्थिति में सुधार हुआ है, लेकिन इसके साथ ही कई चुनौतियाँ भी आई हैं। सकारात्मक प्रभाव: आर्थिक अवसर: रोजगार के अवसर: वैश्वीकरण ने महिलाओंRead more
भारत में वैश्वीकरण ने महिलाओं पर कई सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव डाले हैं। वैश्वीकरण का आर्थिक, सामाजिक, और सांस्कृतिक पहलुओं पर गहरा असर पड़ा है, जिससे महिलाओं की स्थिति में सुधार हुआ है, लेकिन इसके साथ ही कई चुनौतियाँ भी आई हैं।
सकारात्मक प्रभाव:
आर्थिक अवसर:
रोजगार के अवसर: वैश्वीकरण ने महिलाओं के लिए नए रोजगार के अवसर उत्पन्न किए हैं, विशेषकर सेवाक्षेत्र और आईटी उद्योग में। इससे महिलाओं की आर्थिक स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता में वृद्धि हुई है।
उद्यमिता: वैश्वीकरण ने महिलाओं को उद्यमिता के अवसर प्रदान किए हैं। वे छोटे व्यवसाय और स्टार्टअप्स चला रही हैं, जो उनकी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर रहे हैं।
शिक्षा और जागरूकता:
शिक्षा में सुधार: वैश्वीकरण के कारण शिक्षा के क्षेत्र में सुधार हुआ है, जिससे महिलाओं की शिक्षा और पेशेवर कौशल में वृद्धि हुई है। ऑनलाइन शिक्षा और संसाधनों की उपलब्धता ने इस सुधार को बढ़ावा दिया है।
समानता की जागरूकता: वैश्वीकरण ने महिलाओं के अधिकारों और समानता के प्रति जागरूकता बढ़ाई है, जिससे समाज में बदलाव आ रहे हैं।
सामाजिक सशक्तिकरण:
सांस्कृतिक आदान-प्रदान: वैश्वीकरण ने विभिन्न संस्कृतियों के आदान-प्रदान को बढ़ावा दिया, जिससे महिलाओं को विभिन्न सामाजिक सुधारों और आंदोलनों का हिस्सा बनने का अवसर मिला है।
नकारात्मक प्रभाव:
सामाजिक असमानता:
असमानता में वृद्धि: वैश्वीकरण ने कुछ क्षेत्रों में असमानता को बढ़ावा दिया है। उच्च शिक्षा प्राप्त महिलाओं और गरीब क्षेत्रों की महिलाओं के बीच अंतर गहरा हो गया है।
तनाव और प्रतिस्पर्धा: वैश्वीकरण के कारण बढ़ती प्रतिस्पर्धा ने महिलाओं पर मानसिक और शारीरिक तनाव को बढ़ाया है।
संस्कृतिक मान्यताओं का प्रभाव:
संस्कृतिक विसंगतियाँ: वैश्वीकरण के चलते कुछ पारंपरिक मान्यताएँ और सांस्कृतिक पहचान खतरे में पड़ सकती हैं, जिससे महिलाओं को पारंपरिक भूमिकाओं और मान्यताओं से जूझना पड़ सकता है।
कामकाजी परिस्थितियाँ:
कम वेतन और असुरक्षित कार्यस्थल: वैश्वीकरण के कारण कुछ उद्योगों में महिलाओं को कम वेतन और असुरक्षित कार्यस्थलों का सामना करना पड़ सकता है। यह विशेष रूप से असंगठित क्षेत्र में देखा जाता है।
See lessइस प्रकार, भारत में वैश्वीकरण ने महिलाओं के जीवन पर दोनों सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव डाले हैं। एक संतुलित दृष्टिकोण और नीति निर्माण के माध्यम से, इन प्रभावों को प्रबंधित किया जा सकता है ताकि महिलाओं के लिए सकारात्मक बदलाव सुनिश्चित किए जा सकें।
वैश्वीकरण ने भारत में सांस्कृतिक विविधता के आंतरक (कोर) को किस सीमा तक प्रभावित किया है? स्पष्ट कीजिए। (200 words) [UPSC 2016]
वैश्वीकरण ने भारत में सांस्कृतिक विविधता के आंतरक (कोर) को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित किया है, लेकिन इसके प्रभाव द्विमुखी रहे हैं। एक ओर, वैश्वीकरण ने सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा दिया, जिससे भारतीय समाज में नई विचारधाराएं, जीवनशैली, और सांस्कृतिक प्रथाएं प्रवेश कर गईं। पश्चिमी संस्कृति का प्रभाRead more
वैश्वीकरण ने भारत में सांस्कृतिक विविधता के आंतरक (कोर) को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित किया है, लेकिन इसके प्रभाव द्विमुखी रहे हैं। एक ओर, वैश्वीकरण ने सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा दिया, जिससे भारतीय समाज में नई विचारधाराएं, जीवनशैली, और सांस्कृतिक प्रथाएं प्रवेश कर गईं। पश्चिमी संस्कृति का प्रभाव, विशेषकर युवाओं के बीच, स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है—जैसे कि भोजन की आदतों, फैशन, मनोरंजन, और भाषा में।
दूसरी ओर, वैश्वीकरण ने भारत की पारंपरिक सांस्कृतिक विविधता को भी संरक्षित और पुनर्जीवित करने में मदद की है। भारतीय सिनेमा, संगीत, योग, और खानपान जैसी सांस्कृतिक धरोहरें वैश्विक मंच पर प्रसिद्ध हो गई हैं, जिससे भारतीय संस्कृति की वैश्विक पहचान मजबूत हुई है। इसके अलावा, इंटरनेट और सोशल मीडिया ने क्षेत्रीय भाषाओं, लोक कलाओं, और पारंपरिक प्रथाओं को पुनर्जीवित करने और व्यापक दर्शकों तक पहुँचाने का अवसर प्रदान किया है।
हालांकि, वैश्वीकरण के कारण कुछ हद तक सांस्कृतिक समरूपता (homogenization) का खतरा उत्पन्न हुआ है, लेकिन भारतीय समाज ने अपनी बहुलता और विविधता को कायम रखा है। समग्र रूप से, वैश्वीकरण ने भारत की सांस्कृतिक विविधता के आंतरक को प्रभावित किया है, लेकिन यह प्रभाव संतुलित रहा है, जिसमें भारतीय समाज ने अपनी सांस्कृतिक जड़ों को बनाए रखते हुए नई सांस्कृतिक धाराओं को भी आत्मसात किया है।
See lessआधुनिक भारतीय समाज में परिवार के आकार, संरचना और संबंधों की गतिशीलता को आकार देने में वैश्वीकरण के प्रभाव को उजागर कीजिए।(250 शब्दों में उत्तर दें)
वैश्वीकरण ने आधुनिक भारतीय समाज में परिवार के आकार, संरचना और संबंधों की गतिशीलता पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाला है। यह प्रभाव विभिन्न स्तरों पर देखा जा सकता है, जिसमें परिवार की संरचना, पारिवारिक संबंध, और सामाजिक आदतें शामिल हैं। परिवार के आकार और संरचना: वैश्वीकरण के परिणामस्वरूप भारतीय परिवारों में पRead more
वैश्वीकरण ने आधुनिक भारतीय समाज में परिवार के आकार, संरचना और संबंधों की गतिशीलता पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाला है। यह प्रभाव विभिन्न स्तरों पर देखा जा सकता है, जिसमें परिवार की संरचना, पारिवारिक संबंध, और सामाजिक आदतें शामिल हैं।
परिवार के आकार और संरचना: वैश्वीकरण के परिणामस्वरूप भारतीय परिवारों में पारंपरिक संयुक्त परिवार की बजाय न्यूक्लियर (परमाणु) परिवारों की प्रवृत्ति बढ़ी है। आर्थिक अवसरों और रोजगार के लिए लोग शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं, जिससे परिवार छोटे और अधिक स्वतंत्र बन रहे हैं। यह बदलाव परिवार की परंपरागत संरचना को चुनौती देता है और परिवारों को अधिक व्यक्तिगत स्वतंत्रता प्रदान करता है।
पारिवारिक संबंध: वैश्वीकरण ने पारिवारिक संबंधों में भी परिवर्तन लाया है। पश्चिमी जीवनशैली, जिसमें व्यक्तिगत स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता को महत्व दिया जाता है, ने पारंपरिक भारतीय परिवारों में बदलाव किया है। पारिवारिक संरचनाओं में अधिक लचीलापन और आधुनिक दृष्टिकोण देखने को मिलते हैं। इससे संयुक्त परिवारों की परंपरा में कमी आई है और परिवार के सदस्यों के बीच रिश्ते अधिक व्यक्तिगत और स्वतंत्र हो गए हैं।
सामाजिक आदतें: वैश्वीकरण ने भी पारिवारिक सामाजिक आदतों में परिवर्तन किया है। पश्चिमी संस्कृति के प्रभाव से परिवारों में आधुनिक शिक्षा, जीवनशैली, और उपभोक्तावाद का प्रचलन बढ़ा है। शादी के प्रथाओं, परिवार के भूमिकाओं और कर्तव्यों में बदलाव देखने को मिल रहे हैं, जो वैश्वीकरण के प्रभाव को दर्शाते हैं।
समग्र रूप से, वैश्वीकरण ने भारतीय परिवारों में संरचनात्मक और सामाजिक परिवर्तन को प्रेरित किया है, जिससे परिवार के आकार, रिश्ते, और आदतों में व्यापक परिवर्तन हुए हैं। इन बदलावों ने भारतीय समाज की पारंपरिक धारा को नई दिशा दी है, जिसमें व्यक्तिगत स्वतंत्रता और आधुनिक जीवनशैली के तत्व प्रमुख हैं।
See lessवैश्वीकरण और धर्म के बीच का संबंध जटिल रहा है, साथ ही दोनों के बीच की अंतः क्रिया के परिणामस्वरूप नई संभावनाएं और चुनौतियां उभर रही हैं। चर्चा कीजिए। (250 शब्दों में उत्तर दीजिए)
वैश्वीकरण और धर्म दो महत्वपूर्ण और गहरे विषय हैं जिनके बीच संबंध जटिल हैं। वैश्वीकरण व्यापक रूप से विश्व भर में व्याप्त है और विभिन्न सांस्कृतिक, आर्थिक और सामाजिक परिवर्तनों का कारण बन रहा है। इसके साथ ही, धर्म समाज में मौजूद सिद्धांतों, मान्यताओं और मार्गदर्शन का महत्वपूर्ण हिस्सा है। वैश्वीकरण नेRead more
वैश्वीकरण और धर्म दो महत्वपूर्ण और गहरे विषय हैं जिनके बीच संबंध जटिल हैं। वैश्वीकरण व्यापक रूप से विश्व भर में व्याप्त है और विभिन्न सांस्कृतिक, आर्थिक और सामाजिक परिवर्तनों का कारण बन रहा है। इसके साथ ही, धर्म समाज में मौजूद सिद्धांतों, मान्यताओं और मार्गदर्शन का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
वैश्वीकरण ने धर्मिक परंपराओं और सिद्धांतों को प्रभावित किया है। धर्मों के साथ संघर्ष की स्थितियों ने नए सवाल उठाए हैं, जैसे विभिन्न समुदायों के बीच सहयोग और समझौता। यह भी धर्मिक समुदायों में विवाद और समर्थन दोनों को बढ़ावा दे सकता है।
धर्म और वैश्वीकरण के बीच की अंतः क्रिया से नई संभावनाएं और चुनौतियां उत्पन्न हो रही हैं। सामाजिक मीडिया और अंतर्राष्ट्रीय कनेक्टिविटी धर्मिक मान्यताओं को बहुतायत से परिभाषित कर रही हैं, जिससे धर्म के प्रकार और अनुष्ठान में परिवर्तन आ सकता है।
इस परिस्थिति में समझौता, संवाद और समान्य धारणाओं का समर्थन करना महत्वपूर्ण है ताकि धर्म और वैश्वीकरण के बीच संतुलन बना रहे।
See lessपरस्पर संबद्ध विश्व में मानसिक कल्याण को प्रभावित करने वाले कारकों की बहुलता को ध्यान में रखते हुए, बेहतर मानसिक स्वास्थ्य देखभाल प्राप्त करने में माने वाली विभिन्न चुनौतियों पर चर्चा कीजिए। (150 शब्दों में उत्तर दें)
परस्पर संबद्ध विश्व में मानसिक कल्याण को प्रभावित करने वाले कारकों की बहुलता के कारण मानसिक स्वास्थ्य देखभाल में कई चुनौतियाँ सामने आती हैं। प्रमुख चुनौतियों में से एक सामाजिक कलंक है, जिसके कारण लोग मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को स्वीकारने और सहायता लेने से हिचकिचाते हैं। इसके अलावा, पर्याप्त मानसिकRead more
परस्पर संबद्ध विश्व में मानसिक कल्याण को प्रभावित करने वाले कारकों की बहुलता के कारण मानसिक स्वास्थ्य देखभाल में कई चुनौतियाँ सामने आती हैं। प्रमुख चुनौतियों में से एक सामाजिक कलंक है, जिसके कारण लोग मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को स्वीकारने और सहायता लेने से हिचकिचाते हैं। इसके अलावा, पर्याप्त मानसिक स्वास्थ्य संसाधनों और विशेषज्ञों की कमी, विशेषकर ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में, एक बड़ी बाधा है। आर्थिक असमानताएँ भी महत्वपूर्ण हैं, जिससे मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंचना कई लोगों के लिए कठिन हो जाता है। डिजिटल तकनीक के उपयोग में बढ़ोतरी के बावजूद, डिजिटल विभाजन के कारण कुछ समूहों को इन सेवाओं का लाभ नहीं मिल पाता। साथ ही, मानसिक स्वास्थ्य को समग्र स्वास्थ्य का अभिन्न अंग मानने में जागरूकता की कमी और नीतिगत समर्थन की आवश्यकता भी चुनौतियाँ प्रस्तुत करती हैं। इन सभी कारकों का समग्र समाधान ही बेहतर मानसिक स्वास्थ्य देखभाल सुनिश्चित कर सकता है।
See lessक्या हम वैश्विक पहचान के लिए अपनी स्थानीय पहचान को खोते जा रहे हैं? चर्चा कीजिए । (250 words) [UPSC 2019]
यह एक बहुत महत्वपूर्ण और चर्चित विषय है। कुछ विश्वास हैं कि वैश्विक पहचान के प्रति बढ़ते झुकाव के कारण हम अपनी स्थानीय पहचान को खोते जा रहे हैं, जबकि अन्य मानते हैं कि दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं और एक-दूसरे को मजबूत करते हैं। वैश्विकरण के कारण लोगों को अन्य संस्कृतियों और पहचानों से अधिक जुड़ाव महसूRead more
यह एक बहुत महत्वपूर्ण और चर्चित विषय है। कुछ विश्वास हैं कि वैश्विक पहचान के प्रति बढ़ते झुकाव के कारण हम अपनी स्थानीय पहचान को खोते जा रहे हैं, जबकि अन्य मानते हैं कि दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं और एक-दूसरे को मजबूत करते हैं।
वैश्विकरण के कारण लोगों को अन्य संस्कृतियों और पहचानों से अधिक जुड़ाव महसूस होने लगा है। सोशल मीडिया, इंटरनेट और आधुनिक संचार माध्यमों ने लोगों को एक-दूसरे से जोड़ दिया है, जिसके कारण वे अपने स्थानीय पहचान के अलावा वैश्विक पहचान का भी एहसास करने लगे हैं।
इसके साथ ही, कई लोग अपनी स्थानीय पहचान को बनाए रखने के लिए प्रयासरत हैं। उनका मानना है कि वैश्विक पहचान और स्थानीय पहचान एक-दूसरे का पूरक हैं। वे मानते हैं कि स्थानीय पहचान की पृष्ठभूमि में ही वैश्विक पहचान मजबूत होती है।
समग्र रूप से, यह एक जटिल प्रक्रिया है। वैश्विक एकीकरण के साथ-साथ लोग अपनी स्थानीय पहचान को भी महत्व देते हैं। यह एक संतुलन बनाने की प्रक्रिया है, जिसमें दोनों पहचानों को एक-दूसरे के पूरक के रूप में देखा जाता है। इस प्रक्रिया में हमारी स्थानीय पहचान कभी-कभी कमजोर पड़ सकती है, लेकिन यह पूरी तरह से नहीं खो जाती।
See lessक्या भारत में विविधता एवं बहुलवाद वैश्वीकरण के कारण संकट में हैं ? औचित्यपूर्ण उत्तर दीजिए । (250 words) [UPSC 2020]
भारत में विविधता एवं बहुलवाद वैश्वीकरण के कारण संकट में हैं, लेकिन यह संकट कई पहलुओं पर विचार करने की आवश्यकता है: सांस्कृतिक विविधता का संरक्षण: भारत की विविधता एक महत्वपूर्ण संपदा है, लेकिन वैश्वीकरण के प्रभाव ने कई पारंपरिक और स्थानीय संस्कृतियों को कमजोर कर दिया है। स्थानीय भाषाएं, कला रूप और जीRead more
भारत में विविधता एवं बहुलवाद वैश्वीकरण के कारण संकट में हैं, लेकिन यह संकट कई पहलुओं पर विचार करने की आवश्यकता है:
निष्कर्ष के रूप में, भारत में विविधता और बहुलवाद एक वास्तविकता और ताकत हैं। वैश्वीकरण के संकट का सामना करने के लिए व्यापक रणनीति की जरूरत है जो संस्कृतिक संरक्षण, सामाजिक एकता, आर्थिक न्याय और राजनीतिक जवाबदेही पर ध्यान केंद्रित करे। यह चुनौती है लेकिन साथ ही एक अवसर भी है कि भारत अपनी विविधता और एकता को मजबूत करके एक आदर्श बन सके।
See lessपारिवारिक सम्बन्धों पर 'वर्क फ्रॉम होम' के असर की छानबीन तथा मूल्यांकन करें। (150 words)[UPSC 2022]
'वर्क फ्रॉम होम' (WFH) ने पारिवारिक संबंधों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाला है, जिनका छानबीन और मूल्यांकन इस प्रकार किया जा सकता है: सकारात्मक प्रभाव: परिवार के साथ अधिक समय: WFH से परिवार के साथ अधिक समय बिताने का अवसर मिलता है, जिससे पारिवारिक संबंध मजबूत होते हैं। लचीलापन: घर से काम करने की लचीलापन सेRead more
‘वर्क फ्रॉम होम’ (WFH) ने पारिवारिक संबंधों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाला है, जिनका छानबीन और मूल्यांकन इस प्रकार किया जा सकता है:
इन प्रभावों के साथ, WFH के प्रभावों को समझकर और उचित समय प्रबंधन व सीमाओं का पालन करके पारिवारिक जीवन को बेहतर बनाए रखा जा सकता है।
See lessयद्यपि वैश्वीकरण मानवाधिकारों के उल्लंघन के लिए कथित तौर पर जिम्मेदार है, तथापि यह मानवाधिकार आंदोलनों को इसके अतिक्रमण और नकारात्मक प्रभावों का मुकाबला करने की अनुमति देता है। प्रासंगिक उदाहरणों के साथ सविस्तार वर्णन कीजिए। (150 शब्दों में उत्तर दें)
वैश्वीकरण के प्रभावी और विवादास्पद प्रभावों ने मानवाधिकारों के उल्लंघन के लिए कुछ हद तक जिम्मेदार ठहराया है, लेकिन इसने मानवाधिकार आंदोलनों को इन उल्लंघनों का मुकाबला करने का भी अवसर प्रदान किया है। उदाहरण के लिए: a. श्रम अधिकार: वैश्वीकरण ने वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं के विस्तार के साथ श्रम शोषण कोRead more
वैश्वीकरण के प्रभावी और विवादास्पद प्रभावों ने मानवाधिकारों के उल्लंघन के लिए कुछ हद तक जिम्मेदार ठहराया है, लेकिन इसने मानवाधिकार आंदोलनों को इन उल्लंघनों का मुकाबला करने का भी अवसर प्रदान किया है।
उदाहरण के लिए:
a. श्रम अधिकार: वैश्वीकरण ने वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं के विस्तार के साथ श्रम शोषण को बढ़ावा दिया। इसके बावजूद, अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) और संगठनों जैसे कि यूनियन और गैर-सरकारी संगठनों ने इस पर ध्यान केंद्रित किया और मानक निर्धारित किए, जैसे मूलभूत श्रम अधिकार की रक्षा करना।
b. प्रवासियों के अधिकार: वैश्वीकरण ने प्रवासी श्रमिकों की संख्या में वृद्धि की। एम्नेस्टी इंटरनेशनल और ह्यूमन राइट्स वॉच जैसे संगठनों ने प्रवासियों के खिलाफ होने वाली शोषण और भेदभाव को उजागर किया और नीतिगत सुधार की मांग की।
इन उदाहरणों से स्पष्ट होता है कि वैश्वीकरण ने मानवाधिकार उल्लंघनों को जन्म दिया, लेकिन मानवाधिकार आंदोलनों ने इस चुनौती का सामना करने और सुधार की दिशा में कार्य किया।
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