अपर्याप्त संसाधनों की दुनिया में भूमंडलीकरण एवं नए तकनीक के रिश्ते को भारत के विशेष सन्दर्भ में स्पष्ट करें। (250 words) [UPSC 2022]
आधुनिक भारतीय समाज में परिवार के आकार, संरचना और संबंधों पर वैश्वीकरण का गहरा प्रभाव पड़ा है। वैश्वीकरण ने सामाजिक और आर्थिक परिवर्तनों को प्रेरित किया है, जो पारंपरिक परिवारिक ढांचों को चुनौती दे रहे हैं। परिवार का आकार: वैश्वीकरण और शहरीकरण ने एकल परिवारों (nuclear families) के बढ़ते चलन को बढ़ावाRead more
आधुनिक भारतीय समाज में परिवार के आकार, संरचना और संबंधों पर वैश्वीकरण का गहरा प्रभाव पड़ा है। वैश्वीकरण ने सामाजिक और आर्थिक परिवर्तनों को प्रेरित किया है, जो पारंपरिक परिवारिक ढांचों को चुनौती दे रहे हैं।
परिवार का आकार: वैश्वीकरण और शहरीकरण ने एकल परिवारों (nuclear families) के बढ़ते चलन को बढ़ावा दिया है। पारंपरिक संयुक्त परिवारों की जगह छोटे परिवारों ने ले ली है, क्योंकि लोग रोजगार के लिए शहरों की ओर बढ़ रहे हैं और आर्थिक स्वतंत्रता की ओर झुके हैं।
परिवार की संरचना: वैश्वीकरण ने सामाजिक दृष्टिकोण को बदल दिया है, जिससे पारंपरिक भूमिकाओं में बदलाव आया है। महिलाओं की बढ़ती भागीदारी और समानता की मांग ने परिवार के भीतर पारंपरिक भूमिकाओं को चुनौती दी है। इसके अतिरिक्त, अंतरजातीय और अंतरधार्मिक विवाहों में वृद्धि ने परिवार की संरचना को अधिक विविध और लचीला बना दिया है।
संबंधों की गतिशीलता: वैश्वीकरण ने पारिवारिक संबंधों को भी प्रभावित किया है। आधुनिक संचार तकनीकें जैसे कि इंटरनेट और मोबाइल फोन ने पारिवारिक संचार को बढ़ावा दिया है, लेकिन साथ ही इससे पारंपरिक परिवारिक मूल्य और निकटता में कमी भी देखी गई है। परिवार के सदस्यों के बीच शारीरिक दूरी की वजह से भावनात्मक संबंधों में भी बदलाव आया है।
संक्षेप में, वैश्वीकरण ने भारतीय परिवारों को आधुनिक दुनिया के अनुरूप ढालते हुए पारंपरिक ढांचे में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं, जिससे परिवार का आकार, संरचना और संबंधों की गतिशीलता प्रभावित हुई है।
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परिचय अपर्याप्त संसाधनों की दुनिया में भूमंडलीकरण और नई तकनीक एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। भूमंडलीकरण से विचारों, वस्तुओं और सेवाओं का आदान-प्रदान होता है, जबकि नई तकनीक संसाधनों के बेहतर प्रबंधन और नवाचार में सहायक होती है। भारत जैसे विकासशील देशों में, जहां संसाधनों की कमी एक बड़ी चुनौती है, इRead more
परिचय
अपर्याप्त संसाधनों की दुनिया में भूमंडलीकरण और नई तकनीक एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। भूमंडलीकरण से विचारों, वस्तुओं और सेवाओं का आदान-प्रदान होता है, जबकि नई तकनीक संसाधनों के बेहतर प्रबंधन और नवाचार में सहायक होती है। भारत जैसे विकासशील देशों में, जहां संसाधनों की कमी एक बड़ी चुनौती है, इन दोनों का संबंध विशेष रूप से प्रासंगिक है।
अपर्याप्त संसाधनों पर भूमंडलीकरण का प्रभाव
भूमंडलीकरण ने औद्योगिकीकरण और शहरीकरण के कारण संसाधनों की मांग को बढ़ाया है। इससे संसाधनों का असमान वितरण हुआ है, जहां विकसित देशों को अधिक संसाधन मिलते हैं, जबकि विकासशील देशों को कमी का सामना करना पड़ता है। उदाहरण के लिए, 2022 की वैश्विक ऊर्जा संकट ने भारत जैसे देशों को प्रभावित किया, जिसके परिणामस्वरूप भारत को सौर और पवन ऊर्जा जैसे वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों की ओर रुख करना पड़ा।
संसाधन प्रबंधन में नई तकनीक की भूमिका
नई तकनीकें अपर्याप्त संसाधनों के कुशल उपयोग में अहम योगदान देती हैं। नवीकरणीय ऊर्जा तकनीकें जैसे सोलर पैनल और पवन टरबाइन ने भारत में ऊर्जा की कमी को दूर करने में मदद की है। भारत अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन के माध्यम से सौर ऊर्जा में वैश्विक नेतृत्व कर रहा है। इसके साथ ही, सटीक कृषि में ड्रोन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी तकनीकों का उपयोग पानी और उर्वरकों के कुशल उपयोग में हो रहा है।
भारत में भूमंडलीकरण और तकनीक
भारत की वैश्विक अर्थव्यवस्था में भागीदारी ने विभिन्न क्षेत्रों में नई तकनीकों को अपनाने में मदद की है। उदाहरण के लिए, डिजिटल इंडिया पहल ने डिजिटल सेवाओं की पहुँच को बढ़ाया और संसाधनों के प्रबंधन में सुधार किया। ब्लॉकचेन जैसी तकनीकों का उपयोग सब्सिडी और संसाधनों के वितरण में पारदर्शिता और कुशलता लाने के लिए किया जा रहा है।
निष्कर्ष
See lessअपर्याप्त संसाधनों की दुनिया में भूमंडलीकरण और नई तकनीक के बीच का संबंध महत्वपूर्ण है। भारत के संदर्भ में, नई तकनीकों को अपनाना और भूमंडलीकरण का लाभ उठाना सतत विकास की दिशा में सहायक है। हालांकि, दीर्घकालिक समृद्धि के लिए विकास और संसाधन संरक्षण के बीच संतुलन बनाए रखना आवश्यक है।