मैंग्रोवों के रिक्तीकरण के कारणों पर चर्चा कीजिए और तटीय पारिस्थितिकी का अनुरक्षण करने में इनके महत्त्व को स्पष्ट कीजिए । (250 words) [UPSC 2019]
भारत में प्राकृतिक वनस्पति की विविधता के लिए उत्तरदायी कारक: जलवायु: भारत में वनस्पति की विविधता मुख्यतः जलवायु पर निर्भर करती है। उपोष्णकटिबंधीय और उष्णकटिबंधीय जलवायु के कारण विभिन्न प्रकार के वनस्पति पनपते हैं। जैसे कि, गहरे और लगातार वर्षा वाले क्षेत्रों में वर्षा वन होते हैं, जबकि सूखा और ठंडीRead more
भारत में प्राकृतिक वनस्पति की विविधता के लिए उत्तरदायी कारक:
- जलवायु: भारत में वनस्पति की विविधता मुख्यतः जलवायु पर निर्भर करती है। उपोष्णकटिबंधीय और उष्णकटिबंधीय जलवायु के कारण विभिन्न प्रकार के वनस्पति पनपते हैं। जैसे कि, गहरे और लगातार वर्षा वाले क्षेत्रों में वर्षा वन होते हैं, जबकि सूखा और ठंडी जलवायु में शुष्क वन और पाइन वन पाए जाते हैं।
- मृदा प्रकार: मृदा की गुणवत्ता और प्रकार भी वनस्पति की विविधता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। लाल मृदा, काली मृदा, और जलोढ़ मृदा विभिन्न प्रकार की वनस्पतियों के लिए उपयुक्त होती हैं।
- ऊचाई: भारतीय पर्वतीय क्षेत्रों में ऊचाई के अनुसार वनस्पति बदलती है। हिमालय में ऊँचाई पर शंकुधारी वृक्ष, मध्यवर्ती क्षेत्रों में सदाबहार वन और तलहटी क्षेत्रों में समशीतोष्ण वन पाए जाते हैं।
- जैव विविधता: भारत की जैव विविधता, जिसमें पौधों की विभिन्न प्रजातियाँ शामिल हैं, विभिन्न प्रकार की वनस्पतियों का विकास करती है। इससे वनस्पति की विविधता और समृद्धि में योगदान मिलता है।
वर्षा-वन क्षेत्रों में वन्यजीव अभयारण्यों का महत्त्व:
- प्राकृतिक आवास की सुरक्षा: वर्षा-वन क्षेत्र वन्यजीवों के लिए प्राकृतिक आवास प्रदान करते हैं। अभयारण्यों के निर्माण से इन प्राकृतिक आवासों की रक्षा होती है, जो वन्यजीवों के जीवन के लिए अनिवार्य है।
- जैव विविधता का संरक्षण: वर्षा-वन क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार की वनस्पतियाँ और जीव-जंतु पाए जाते हैं। वन्यजीव अभयारण्यों के माध्यम से इन जीवों की प्रजातियों का संरक्षण होता है, जिससे जैव विविधता बनी रहती है।
- प्राकृतिक संतुलन बनाए रखना: वन्यजीव अभयारण्यों में प्राणियों की प्रजातियाँ पारिस्थितिक तंत्र में संतुलन बनाए रखने में मदद करती हैं। यह परागण, बीज वितरण, और पोषक तत्वों के पुनर्चक्रण जैसे पारिस्थितिकीय कार्यों में योगदान करती हैं।
- पर्यावरणीय शिक्षा और पर्यटन: ये अभयारण्यों पर्यावरणीय शिक्षा और सतत पर्यटन के अवसर प्रदान करते हैं। इससे लोगों को वन्यजीव संरक्षण के महत्व का एहसास होता है और स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलता है।
इन कारणों से, वर्षा-वन क्षेत्रों में वन्यजीव अभयारण्यों की स्थापना और संरक्षण अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह न केवल वन्यजीवों के जीवन के लिए आवश्यक है, बल्कि पारिस्थितिक तंत्र और जैव विविधता के संरक्षण में भी योगदान करता है।
See less
मैंग्रोवों के रिक्तीकरण के कारण और तटीय पारिस्थितिकी में उनका महत्त्व मैंग्रोवों के रिक्तीकरण के कारण: भूमि उपयोग परिवर्तन: विकासात्मक परियोजनाएँ जैसे कि मरीन पोट्स और वास्तविक संपत्तियों का निर्माण मैंग्रोवों की भूमि को समाप्त कर देती हैं। उदाहरण स्वरूप, भारत के गोवा और कर्नाटक में पर्यटन और बुनियाRead more
मैंग्रोवों के रिक्तीकरण के कारण और तटीय पारिस्थितिकी में उनका महत्त्व
मैंग्रोवों के रिक्तीकरण के कारण:
तटीय पारिस्थितिकी में मैंग्रोवों का महत्त्व:
निष्कर्ष: मैंग्रोवों का रिक्तीकरण केवल उनके पर्यावरणीय महत्व को ही नहीं, बल्कि तटीय पारिस्थितिकी की समग्र स्थिरता को भी प्रभावित करता है। इनकी सुरक्षा और संरक्षण के लिए नीति सुधार, स्थानीय समुदायों की जागरूकता और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग आवश्यक हैं। आधुनिक संरक्षण परियोजनाएँ और सतत विकास की नीतियाँ इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती हैं।
See less