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भारतीय हिमालयी क्षेत्र (IHR) पर जलवायु परिवर्तन के संभावित प्रभाव का विश्लेषण कीजिए। इसके शमन के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं?(250 शब्दों में उत्तर दें)
भारतीय हिमालयी क्षेत्र (IHR) पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव गंभीर और बहुआयामी हैं। इस क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन के संभावित प्रभाव निम्नलिखित हैं: 1. ग्लेशियरों की पिघलन: IHR में ग्लेशियरों के तेजी से पिघलने से जल स्तर में वृद्धि होती है, जिससे नदी प्रणालियों में बदलाव आता है। यह बाढ़ की घटनाओं को बढRead more
भारतीय हिमालयी क्षेत्र (IHR) पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव गंभीर और बहुआयामी हैं। इस क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन के संभावित प्रभाव निम्नलिखित हैं:
1. ग्लेशियरों की पिघलन: IHR में ग्लेशियरों के तेजी से पिघलने से जल स्तर में वृद्धि होती है, जिससे नदी प्रणालियों में बदलाव आता है। यह बाढ़ की घटनाओं को बढ़ा सकता है और जलस्रोतों की स्थिरता को प्रभावित कर सकता है।
2. अत्यधिक मौसम परिवर्तन: बढ़ती तापमान और बदलते मौसम पैटर्न से अनियमित वर्षा, सूखा और अत्यधिक मौसम की घटनाएँ होती हैं, जो कृषि और जल संसाधनों पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं।
3. पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रभाव: वनस्पति और जीवों की प्रजातियाँ जलवायु परिवर्तन के प्रति संवेदनशील होती हैं। उच्च तापमान और बदलती जलवायु इन पारिस्थितिक तंत्रों को बाधित कर सकती है, जिससे जैव विविधता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
4. मानव जीवन और बुनियादी ढांचा: बाढ़, भूस्खलन और जलवायु परिवर्तन के अन्य प्रभाव स्थानीय समुदायों की आजीविका और बुनियादी ढांचे को खतरे में डाल सकते हैं, जिससे सामाजिक और आर्थिक समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।
शमन के उपाय:
1. ग्लेशियर और जल संसाधन प्रबंधन: ग्लेशियरों की निगरानी और संरक्षण के साथ जल संसाधनों के सतत प्रबंधन के लिए उपाय किए जाने चाहिए।
2. जलवायु अनुकूलन योजनाएँ: स्थानीय समुदायों के लिए जलवायु अनुकूलन योजनाओं और आपातकालीन प्रतिक्रिया योजनाओं का विकास आवश्यक है, जिसमें सूखा और बाढ़ के लिए तैयारी शामिल है।
3. सतत कृषि प्रथाएँ: जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए, सतत कृषि प्रथाओं को अपनाना चाहिए, जैसे कि सूखा-सहिष्णु फसलों का चयन और जल संरक्षण तकनीकों का उपयोग।
4. वन संरक्षण और पुनरावृत्ति: वनों के संरक्षण और वृक्षारोपण कार्यक्रमों के माध्यम से, कार्बन स्राव को कम किया जा सकता है और पारिस्थितिक तंत्र की स्थिरता को बनाए रखा जा सकता है।
5. शिक्षा और जागरूकता: स्थानीय समुदायों और नीति निर्माताओं के बीच जलवायु परिवर्तन और इसके प्रभावों के बारे में जागरूकता और शिक्षा बढ़ाना महत्वपूर्ण है, ताकि वे जलवायु अनुकूलन और शमन उपायों को बेहतर ढंग से समझ सकें और लागू कर सकें।
इन उपायों के माध्यम से, भारतीय हिमालयी क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम किया जा सकता है और क्षेत्रीय स्थिरता को सुनिश्चित किया जा सकता है।
See lessभारत के तटीय क्षेत्रों में द्वीपों के डूबने की परिघटना के लिए उत्तरदायी कारणों की व्याख्या कीजिए। साथ ही, संपूर्ण राष्ट्र और विशेष रूप से द्वीपीय समुदाय के लिए इसके संभावित प्रभावों का मूल्यांकन कीजिए। (250 शब्दों में उत्तर दीजिए)
भारत के तटीय क्षेत्रों में द्वीपों के डूबने की परिघटना की प्रमुख वजहें जलवायु परिवर्तन और समुद्र स्तर में वृद्धि से जुड़ी हैं। कारण: जलवायु परिवर्तन: वैश्विक तापमान में वृद्धि के कारण ध्रुवीय बर्फ और ग्लेशियरों का पिघलना समुद्र स्तर को बढ़ाता है। यह उच्च समुद्री स्तर की स्थिति को जन्म देता है, जो द्Read more
भारत के तटीय क्षेत्रों में द्वीपों के डूबने की परिघटना की प्रमुख वजहें जलवायु परिवर्तन और समुद्र स्तर में वृद्धि से जुड़ी हैं।
कारण:
संभावित प्रभाव:
राष्ट्र पर प्रभाव:
विशेषकर द्वीपीय समुदाय पर प्रभाव:
इन सभी कारणों और प्रभावों के कारण, द्वीपों के संरक्षण के लिए प्रभावी जलवायु नीतियाँ और तटीय प्रबंधन आवश्यक हैं, ताकि इन समस्याओं को न्यूनतम किया जा सके और द्वीपीय समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
See lessपश्चिमी घाट में होने वाले भूस्खलन हिमालय में होने वाले भूस्खलनों से किस प्रकार भिन्न हैं?(उत्तर 200 शब्दों में दें)
पश्चिमी घाट और हिमालय में होने वाले भूस्खलन के भिन्नताएँ पश्चिमी घाट और हिमालय में होने वाले भूस्खलन दोनों ही क्षेत्रों में पृथ्वी की तंत्रिका क्षमता के परिणाम स्वरूप होते हैं, लेकिन इनमें कुछ महत्वपूर्ण भिन्नताएँ होती हैं। क्षेत्र: पश्चिमी घाट: यह भारत के दक्षिणी भाग में स्थित है और यहाँ का भूस्खलनRead more
पश्चिमी घाट और हिमालय में होने वाले भूस्खलन के भिन्नताएँ
पश्चिमी घाट और हिमालय में होने वाले भूस्खलन दोनों ही क्षेत्रों में पृथ्वी की तंत्रिका क्षमता के परिणाम स्वरूप होते हैं, लेकिन इनमें कुछ महत्वपूर्ण भिन्नताएँ होती हैं।
इन भिन्नताओं के बावजूद, भूस्खलन दोनों क्षेत्रों में जीवन के लिए महत्वपूर्ण हैं और सावधानी बरतनी चाहिए।
See lessहिमालय क्षेत्र तथा पश्चिमी घाटों में भू-स्खलनों के विभिन्न कारणों का अंतर स्पष्ट कीजिए । (150 words)[UPSC 2021]
हिमालय क्षेत्र तथा पश्चिमी घाटों में भू-स्खलनों के विभिन्न कारणों का अंतर हिमालय क्षेत्र में भू-स्खलनों के कारण: भौगोलिक विशेषताएँ: हिमालय क्षेत्र में तीव्र ढलान और युवा पर्वत निर्माण के कारण भूमि अस्थिर रहती है। उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में कई भूस्खलन हाल ही में देखे गए हैं, जो इन विशेषताओं का परRead more
हिमालय क्षेत्र तथा पश्चिमी घाटों में भू-स्खलनों के विभिन्न कारणों का अंतर
हिमालय क्षेत्र में भू-स्खलनों के कारण:
पश्चिमी घाटों में भू-स्खलनों के कारण:
इन दोनों क्षेत्रों में भू-स्खलनों के कारण भौगोलिक, जलवायु, और मानवजनित कारकों में स्पष्ट अंतर हैं, जो उनकी भूस्खलन की प्रकृति को प्रभावित करते हैं।
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