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एक राष्ट्र एक कर' व्यवस्था के संदर्भ में केन्द्र-राज्य संबंधों के वित्तीय पहलू पर चर्चा करें।
"एक राष्ट्र एक कर" (One Nation One Tax) व्यवस्था, जिसे भारत में वस्तु एवं सेवा कर (GST) के रूप में लागू किया गया है, केन्द्र-राज्य संबंधों के वित्तीय पहलुओं पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालती है। इस व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य एक समान अप्रत्यक्ष कर ढांचे का निर्माण करना था, जिससे विभिन्न राज्यों और केन्द्र कRead more
“एक राष्ट्र एक कर” (One Nation One Tax) व्यवस्था, जिसे भारत में वस्तु एवं सेवा कर (GST) के रूप में लागू किया गया है, केन्द्र-राज्य संबंधों के वित्तीय पहलुओं पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालती है। इस व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य एक समान अप्रत्यक्ष कर ढांचे का निर्माण करना था, जिससे विभिन्न राज्यों और केन्द्र के बीच कर एकरूपता और न्यायसंगतता सुनिश्चित की जा सके। इस व्यवस्था के वित्तीय पहलू निम्नलिखित हैं:
1. राजस्व साझेदारी और वितरण
राजस्व पूलिंग: GST के अंतर्गत तीन प्रमुख कर घटक होते हैं:
राजस्व साझेदारी तंत्र: IGST से प्राप्त राजस्व को केंद्र और राज्यों के बीच साझा किया जाता है। इस साझेदारी की व्यवस्था यह सुनिश्चित करती है कि राज्य अंतराज्यीय लेन-देन से राजस्व की हानि न उठाएं और वित्तीय स्थिरता बनाए रखें।
2. राजस्व हानि के मुआवजे की व्यवस्था
GST मुआवजा उपकर: राज्यों की GST प्रणाली के कार्यान्वयन के कारण संभावित राजस्व हानि को संबोधित करने के लिए GST मुआवजा उपकर लागू किया गया। यह उपकर कुछ विशेष विलासिता और पापी वस्तुओं पर लगाया जाता है, और इससे प्राप्त राजस्व राज्यों को उनके राजस्व नुकसान की भरपाई के लिए प्रयोग किया जाता है।
मुआवजा तंत्र: केंद्रीय सरकार इस उपकर के माध्यम से राज्यों को मुआवजा प्रदान करने की जिम्मेदारी निभाती है। यह तंत्र सुनिश्चित करता है कि राज्यों के पास स्थिर राजस्व स्रोत हो, जिससे वित्तीय स्थिरता बनी रहे।
3. राज्य वित्तों पर प्रभाव
राजस्व तटस्थता: GST का उद्देश्य एक ऐसा कर प्रणाली बनाना था जो वस्तुओं और सेवाओं पर कुल कर भार को महत्वपूर्ण रूप से न बढ़ाए और न ही घटाए। हालांकि, वास्तविक प्रभाव अलग-अलग राज्यों में भिन्न हो सकता है। कुछ राज्यों को राजस्व वृद्धि का लाभ मिला, जबकि अन्य राज्यों को राजस्व की कमी का सामना करना पड़ा।
केंद्रीय सरकार पर निर्भरता: राज्य अब IGST राजस्व और मुआवजा भुगतान के लिए केंद्रीय सरकार पर अधिक निर्भर हो गए हैं। इस बदलाव का वित्तीय संघवाद और केंद्र-राज्य के बीच शक्ति संतुलन पर प्रभाव पड़ा है।
4. आर्थिक और वित्तीय एकीकरण
कर प्रणाली को सरल बनाना: “एक राष्ट्र एक कर” व्यवस्था का उद्देश्य कर प्रणाली को सरल बनाना, कर की जटिलताओं को कम करना और एक एकीकृत राष्ट्रीय बाजार का निर्माण करना था। इस एकीकरण से व्यापारों के लिए कर अनुपालन लागत में कमी आई है और आर्थिक दक्षता में सुधार हुआ है।
वित्तीय एकीकरण: GST प्रणाली राज्यों के बीच कर दरों और नियमों को समन्वित करती है, जिससे राज्यों के विभिन्न कर नीतियों के कारण होने वाली आर्थिक विसंगतियों को कम किया जाता है और राज्य सीमाओं के पार वस्तुओं और सेवाओं के प्रवाह को सुगम बनाया जाता है।
5. चुनौतियाँ और समायोजन
राजस्व में उतार-चढ़ाव: GST राजस्व में उतार-चढ़ाव की चुनौतियाँ उत्पन्न होती हैं, जो आर्थिक परिस्थितियों और अनुपालन दरों में बदलाव से प्रभावित होती हैं। कुछ राज्यों को राजस्व की कमी का सामना करना पड़ा, जिससे उनके बजट की योजना और खर्चे प्रभावित हुए।
मुआवजा उपकर संग्रह: मुआवजा तंत्र की प्रभावशीलता पर विवाद उठे हैं, जिसमें मुआवजे की राशि और समय पर भुगतान के मुद्दे शामिल हैं। मुआवजे की राशि और भुगतान में देरी ने कभी-कभी केंद्र-राज्य संबंधों को तनावपूर्ण बना दिया है।
सारांश में, “एक राष्ट्र एक कर” व्यवस्था के अंतर्गत GST प्रणाली केंद्र-राज्य संबंधों के वित्तीय पहलुओं में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन को दर्शाती है। जबकि यह कर प्रणाली को सरल बनाने और आर्थिक एकीकरण को बढ़ावा देने का प्रयास करती है, इसके प्रभावी प्रबंधन के लिए राजस्व साझेदारी, मुआवजा तंत्र, और वित्तीय प्रभावों को ध्यान में रखना आवश्यक है।
See lessभारत में नीति आयोग द्वारा अनुसरण किए जा रहे सिद्धान्त इससे पूर्व के योजना आयोग द्वारा अनुसरित सिद्धान्तों से किस प्रकार भिन्न है? (250 words) [UPSC 2018]
नीति आयोग और योजना आयोग के सिद्धांतों में अंतर परिचय भारत सरकार ने 2015 में नीति आयोग की स्थापना की, जो योजना आयोग का स्थान लेता है। जबकि दोनों संस्थाएं आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से काम करती हैं, उनके अनुसरण किए जाने वाले सिद्धांत और दृष्टिकोण में महत्वपूर्ण अंतर हैं। नीति आयोग द्Read more
नीति आयोग और योजना आयोग के सिद्धांतों में अंतर
परिचय
भारत सरकार ने 2015 में नीति आयोग की स्थापना की, जो योजना आयोग का स्थान लेता है। जबकि दोनों संस्थाएं आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से काम करती हैं, उनके अनुसरण किए जाने वाले सिद्धांत और दृष्टिकोण में महत्वपूर्ण अंतर हैं।
नीति आयोग द्वारा अनुसरण किए गए सिद्धांत
नीति आयोग ने सहकारी संघवाद को प्रमुखता दी है, जिसमें केंद्र और राज्यों के बीच सहयोग को बढ़ावा दिया जाता है। उदाहरण के लिए, राज्य क्रियान्वयन योजना के तहत राज्यों को अपनी विकास योजनाओं पर अधिक नियंत्रण दिया गया है, जिससे उनकी स्वायत्तता में वृद्धि हुई है।
नीति आयोग मुख्य रूप से एक थिंक टैंक के रूप में कार्य करता है, जो नीति सलाह और रणनीतिक मार्गदर्शन प्रदान करता है, न कि सीधे योजनाओं को लागू करता है। अप्रेशियल जिलों का कार्यक्रम इसके अंतर्गत आता है, जो पिछड़े जिलों में सुधार के लिए नीति सलाह और सहायता प्रदान करता है।
नीति आयोग परिणाम आधारित दृष्टिकोण को अपनाता है, जिसमें परिणामों और जवाबदेही पर जोर दिया जाता है। प्रदर्शन ग्रेडिंग इंडेक्स (PGI) राज्यों की प्रदर्शन की माप करता है, जो पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देता है।
यह नवाचार और प्रौद्योगिकी को प्रोत्साहित करता है, जैसे कि डिजिटल इंडिया पहल, जिसका उद्देश्य डिजिटल अवसंरचना और सेवाओं को सुधारना है।
योजना आयोग द्वारा अनुसरण किए गए सिद्धांत
योजना आयोग ने केंद्रित योजना की पद्धति अपनाई, जिसमें केंद्र सरकार ने पांच वर्षीय योजनाओं के माध्यम से राज्यों पर योजनाएँ लागू कीं। यह दृष्टिकोण शीर्ष-नीचे था और राज्यों के लिए सीमित लचीलापन था।
यह संसाधन आवंटन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता था, जिसमें केंद्रीय निधियों का वितरण राज्यों के बीच योजनाओं के लक्ष्यों के आधार पर किया जाता था। यह अक्सर एक जैसा समाधान लागू करने की स्थिति में होता था।
योजना आयोग ने पूर्व-निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने पर जोर दिया, जिसमें परिणाम और स्थानीय संदर्भ पर कम ध्यान दिया गया।
राज्यों को सीमित स्वायत्तता प्राप्त थी और वे केंद्रीय निर्देशों पर अधिक निर्भर थे, जिससे स्थानीय आवश्यकताओं और केंद्रीय योजनाओं के बीच असंतुलन उत्पन्न हुआ।
हालिया उदाहरण
निष्कर्ष
See lessनीति आयोग के सिद्धांतों में सहकारी संघवाद, परिणाम पर ध्यान और नवाचार की ओर झुकाव, योजना आयोग के केंद्रीकृत और लक्षित दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण अंतर है। यह परिवर्तन भारत की विकास रणनीतियों को अधिक लचीला और प्रभावी बनाने का प्रयास करता है।
क्या आप इस मत से सहमत हैं कि सकल घरेलू उत्पाद (जी० डी० पी०) की स्थायी संवृद्धि तथा निम्न मुद्रास्फीति के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था अच्छी स्थिति में है? अपने तर्कों के समर्थन में कारण दीजिए। (150 words) [UPSC 2019]
भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति: स्थायी GDP संवृद्धि और निम्न मुद्रास्फीति के प्रभाव 1. स्थायी GDP संवृद्धि: आर्थिक वृद्धि: भारतीय अर्थव्यवस्था ने हाल के वर्षों में स्थायी GDP वृद्धि दर्ज की है, जो आर्थिक स्थिरता को दर्शाती है। FY 2023-24 में GDP वृद्धि लगभग 7.2% रही, जो निवेश और उपभोक्ता खर्च में वृदRead more
भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति: स्थायी GDP संवृद्धि और निम्न मुद्रास्फीति के प्रभाव
1. स्थायी GDP संवृद्धि:
2. निम्न मुद्रास्फीति:
निष्कर्ष:
उन अप्रत्यक्ष करों को गिनाइए जो भारत में वस्तु एवं सेवा कर (जी० एस० टी०) में सम्मिलित किए गए हैं। भारत में जुलाई 2017 से क्रियान्वित जी० एस० टी० के राजस्व निहितार्थों पर भी टिप्पणी कीजिए। (150 words) [UPSC 2019]
भारत में वस्तु एवं सेवा कर (GST) में सम्मिलित अप्रत्यक्ष कर 1. केंद्रीय उत्पाद शुल्क: उपभोक्ता वस्तुओं पर कर: पहले केंद्रीय उत्पाद शुल्क केवल विनिर्माण पर लागू होता था। GST के तहत इसे समाप्त कर दिया गया और अब समान कर दर लागू की जाती है। 2. सेवा कर: सेवाओं पर कर: सेवा कर, जो विभिन्न सेवाओं पर लगाया जRead more
भारत में वस्तु एवं सेवा कर (GST) में सम्मिलित अप्रत्यक्ष कर
1. केंद्रीय उत्पाद शुल्क:
2. सेवा कर:
3. वैल्यू एडे़ड टैक्स (VAT):
4. केंद्रीय बिक्री कर (CST):
5. प्रवेश कर:
जीएसटी के राजस्व निहितार्थ
1. प्रारंभिक राजस्व कमी:
2. राजस्व वृद्धि:
3. राजस्व तटस्थ दर:
4. आर्थिक स्थिरता और सुधार:
संभाव्य स० घ०उ० (जी० डी० पी०) को परिभाषित कीजिए तथा उसके निर्धारकों की व्याख्या कीजिए। वे कौन-से कारक हैं, जो भारत को अपने संभाव्य स० घ० उ० (जी० डी० पी०) को साकार करने से रोकते रहे हैं? (150 words) [UPSC 2020]
संभाव्य सकल घरेलू उत्पाद (Potential GDP) की परिभाषा संभाव्य सकल घरेलू उत्पाद (Potential GDP) उस अधिकतम उत्पादन को दर्शाता है जो एक अर्थव्यवस्था अपने संसाधनों का पूर्ण उपयोग करते हुए, बिना महंगाई को उत्तेजित किए, प्राप्त कर सकती है। यह अर्थव्यवस्था की दीर्घकालिक उत्पादक क्षमता को मापता है। संभाव्य GDRead more
संभाव्य सकल घरेलू उत्पाद (Potential GDP) की परिभाषा
संभाव्य सकल घरेलू उत्पाद (Potential GDP) उस अधिकतम उत्पादन को दर्शाता है जो एक अर्थव्यवस्था अपने संसाधनों का पूर्ण उपयोग करते हुए, बिना महंगाई को उत्तेजित किए, प्राप्त कर सकती है। यह अर्थव्यवस्था की दीर्घकालिक उत्पादक क्षमता को मापता है।
संभाव्य GDP के निर्धारक:
भारत को संभाव्य GDP को साकार करने में बाधाएँ:
इन बाधाओं को दूर कर भारत अपनी संभाव्य GDP को साकार कर सकता है।
See lessभारत की सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.) के वर्ष 2015 के पूर्व तथा वर्ष 2015 के पश्चात् परिकलन विधि में अन्तर की व्याख्या कीजिए। (150 words) [UPSC 2021]
भारत की सकल घरेलू उत्पाद (GDP) गणना में 2015 के पूर्व और 2015 के पश्चात् का अंतर **1. 2015 के पूर्व की विधि: पुराना आधार वर्ष: GDP की गणना के लिए 2004-05 को आधार वर्ष के रूप में अपनाया गया था, जो कि अब पुराना हो चुका था। सर्वेक्षण आधारित डेटा: औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) और कृषि डेटा जैसे मुख्य सRead more
भारत की सकल घरेलू उत्पाद (GDP) गणना में 2015 के पूर्व और 2015 के पश्चात् का अंतर
**1. 2015 के पूर्व की विधि:
**2. 2015 के पश्चात की विधि:
उदाहरण: GST के लागू होने के बाद, व्यापार और सेवा डेटा का डिजिटल संग्रहण GDP गणना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जिससे विवादों और त्रुटियों की संभावना कम हो गई है।
निष्कर्ष: 2015 के बाद की गणना विधि ने GDP के आकलन को अद्यतन किया है, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था की वास्तविक स्थिति को अधिक सटीक रूप से दर्शाया जा सकता है।
See less"हाल के दिनों का आर्थिक विकास श्रम उत्पादकता में वृद्धि के कारण संभव हुआ है।" इस कथन को समझाइए । ऐसे संवृद्धि प्रतिरूप को प्रस्तावित कीजिए जो श्रम उत्पादकता से समझौता किए बिना अधिक रोजगार उत्पत्ति में सहायक हो। (250 words) [UPSC 2022]
श्रम उत्पादकता और हाल के आर्थिक विकास **1. श्रम उत्पादकता की भूमिका: श्रम उत्पादकता से तात्पर्य प्रति श्रमिक उत्पादित आउटपुट से है। हाल के वर्षों में, आर्थिक विकास में श्रम उत्पादकता में वृद्धि का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उदाहरण के लिए, भारत की सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) क्षेत्र ने उच्च उत्पादकता केRead more
श्रम उत्पादकता और हाल के आर्थिक विकास
**1. श्रम उत्पादकता की भूमिका:
**2. हाल के उदाहरण:
श्रम उत्पादकता से समझौता किए बिना रोजगार सृजन के लिए संवृद्धि प्रतिरूप
**1. कौशल विकास और शिक्षा:
**2. उभरते क्षेत्रों का समर्थन:
**3. उद्यमिता और छोटे उद्यमों का समर्थन:
**4. संविधानिक अवसंरचना विकास:
इन पहलों के माध्यम से भारत उच्च श्रम उत्पादकता बनाए रखते हुए अधिक रोजगार उत्पन्न कर सकता है। यह संतुलित दृष्टिकोण स्थायी आर्थिक विकास और समान रोजगार वितरण सुनिश्चित करता है।
See less'देखभाल अर्थव्यवस्था' और 'मुद्रीकृत अर्थव्यवस्था' के बीच अंतर कीजिए। महिला सशक्तिकरण के द्वारा देखभाल अर्थव्यवस्था को मुद्रीकृत अर्थव्यवस्था में कैसे लाया जा सकता है? (250 words) [UPSC 2023]
देखभाल अर्थव्यवस्था और मुद्रीकृत अर्थव्यवस्था के बीच अंतर: देखभाल अर्थव्यवस्था: परिभाषा: देखभाल अर्थव्यवस्था में वे सेवाएँ शामिल हैं जो घर और समुदाय में देखभाल के काम को समर्पित होती हैं, जैसे कि बच्चों की देखभाल, बुजुर्गों की देखभाल, और घरेलू कामकाज। यह मुख्यतः अनौपचारिक क्षेत्र में होती है और इसमेRead more
देखभाल अर्थव्यवस्था और मुद्रीकृत अर्थव्यवस्था के बीच अंतर:
देखभाल अर्थव्यवस्था:
मुद्रीकृत अर्थव्यवस्था:
महिला सशक्तिकरण के माध्यम से देखभाल अर्थव्यवस्था को मुद्रीकृत अर्थव्यवस्था में लाना:
इस प्रकार, महिला सशक्तिकरण से देखभाल अर्थव्यवस्था को मुद्रीकृत अर्थव्यवस्था में बदलने के लिए शिक्षा, सामाजिक सुरक्षा, मान्यता और समर्थन आवश्यक हैं।
See lessमेगा फूड पार्क योजना के महत्व पर प्रकाश डालिए। साथ ही, इससे संबंधित चुनौतियों पर चर्चा कीजिए।(उत्तर 200 शब्दों में दें)
मेगा फूड पार्क योजना भारत सरकार की एक प्रमुख पहल है जिसका उद्देश्य खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को सुदृढ़ करना और ग्रामीण विकास को प्रोत्साहित करना है। इस योजना का महत्व निम्नलिखित बिंदुओं में व्यक्त किया जा सकता है: आर्थिक विकास: मेगा फूड पार्क स्थापित करने से स्थानीय आर्थिक गतिविधियाँ बढ़ती हैं, जिससेRead more
मेगा फूड पार्क योजना भारत सरकार की एक प्रमुख पहल है जिसका उद्देश्य खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को सुदृढ़ करना और ग्रामीण विकास को प्रोत्साहित करना है। इस योजना का महत्व निम्नलिखित बिंदुओं में व्यक्त किया जा सकता है:
चुनौतियाँ:
इन चुनौतियों के बावजूद, मेगा फूड पार्क योजना भारत की खाद्य प्रसंस्करण क्षमता को बढ़ाने और ग्रामीण विकास को साकार करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
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