प्रश्न का उत्तर अधिकतम 200 शब्दों में दीजिए। यह प्रश्न 11 अंक का है। [MPPSC 2023] एक राष्ट्र एक कर’ व्यवस्था के संदर्भ में केन्द्र-राज्य संबंधों के वित्तीय पहलू पर चर्चा करें।
नीति आयोग और योजना आयोग के सिद्धांतों में अंतर परिचय भारत सरकार ने 2015 में नीति आयोग की स्थापना की, जो योजना आयोग का स्थान लेता है। जबकि दोनों संस्थाएं आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से काम करती हैं, उनके अनुसरण किए जाने वाले सिद्धांत और दृष्टिकोण में महत्वपूर्ण अंतर हैं। नीति आयोग द्Read more
नीति आयोग और योजना आयोग के सिद्धांतों में अंतर
परिचय
भारत सरकार ने 2015 में नीति आयोग की स्थापना की, जो योजना आयोग का स्थान लेता है। जबकि दोनों संस्थाएं आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से काम करती हैं, उनके अनुसरण किए जाने वाले सिद्धांत और दृष्टिकोण में महत्वपूर्ण अंतर हैं।
नीति आयोग द्वारा अनुसरण किए गए सिद्धांत
- सहकारी संघवाद
नीति आयोग ने सहकारी संघवाद को प्रमुखता दी है, जिसमें केंद्र और राज्यों के बीच सहयोग को बढ़ावा दिया जाता है। उदाहरण के लिए, राज्य क्रियान्वयन योजना के तहत राज्यों को अपनी विकास योजनाओं पर अधिक नियंत्रण दिया गया है, जिससे उनकी स्वायत्तता में वृद्धि हुई है। - थिंक टैंक की भूमिका
नीति आयोग मुख्य रूप से एक थिंक टैंक के रूप में कार्य करता है, जो नीति सलाह और रणनीतिक मार्गदर्शन प्रदान करता है, न कि सीधे योजनाओं को लागू करता है। अप्रेशियल जिलों का कार्यक्रम इसके अंतर्गत आता है, जो पिछड़े जिलों में सुधार के लिए नीति सलाह और सहायता प्रदान करता है। - परिणाम आधारित दृष्टिकोण
नीति आयोग परिणाम आधारित दृष्टिकोण को अपनाता है, जिसमें परिणामों और जवाबदेही पर जोर दिया जाता है। प्रदर्शन ग्रेडिंग इंडेक्स (PGI) राज्यों की प्रदर्शन की माप करता है, जो पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देता है। - नवाचार और प्रौद्योगिकी
यह नवाचार और प्रौद्योगिकी को प्रोत्साहित करता है, जैसे कि डिजिटल इंडिया पहल, जिसका उद्देश्य डिजिटल अवसंरचना और सेवाओं को सुधारना है।
योजना आयोग द्वारा अनुसरण किए गए सिद्धांत
- केंद्रित योजना
योजना आयोग ने केंद्रित योजना की पद्धति अपनाई, जिसमें केंद्र सरकार ने पांच वर्षीय योजनाओं के माध्यम से राज्यों पर योजनाएँ लागू कीं। यह दृष्टिकोण शीर्ष-नीचे था और राज्यों के लिए सीमित लचीलापन था। - संसाधन आवंटन
यह संसाधन आवंटन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता था, जिसमें केंद्रीय निधियों का वितरण राज्यों के बीच योजनाओं के लक्ष्यों के आधार पर किया जाता था। यह अक्सर एक जैसा समाधान लागू करने की स्थिति में होता था। - लक्ष्यों पर ध्यान
योजना आयोग ने पूर्व-निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने पर जोर दिया, जिसमें परिणाम और स्थानीय संदर्भ पर कम ध्यान दिया गया। - सीमित राज्य स्वायत्तता
राज्यों को सीमित स्वायत्तता प्राप्त थी और वे केंद्रीय निर्देशों पर अधिक निर्भर थे, जिससे स्थानीय आवश्यकताओं और केंद्रीय योजनाओं के बीच असंतुलन उत्पन्न हुआ।
हालिया उदाहरण
- नीति आयोग का दृष्टिकोण में अटल नवाचार मिशन के तहत राज्यों को नवाचार केंद्र विकसित करने के लिए प्रोत्साहित किया गया है।
- योजना आयोग के मॉडल के तहत समान योजनाओं का लागू किया गया, जो अक्सर राज्यों की विशेष जरूरतों को पूरा नहीं करती थीं।
निष्कर्ष
नीति आयोग के सिद्धांतों में सहकारी संघवाद, परिणाम पर ध्यान और नवाचार की ओर झुकाव, योजना आयोग के केंद्रीकृत और लक्षित दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण अंतर है। यह परिवर्तन भारत की विकास रणनीतियों को अधिक लचीला और प्रभावी बनाने का प्रयास करता है।
"एक राष्ट्र एक कर" (One Nation One Tax) व्यवस्था, जिसे भारत में वस्तु एवं सेवा कर (GST) के रूप में लागू किया गया है, केन्द्र-राज्य संबंधों के वित्तीय पहलुओं पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालती है। इस व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य एक समान अप्रत्यक्ष कर ढांचे का निर्माण करना था, जिससे विभिन्न राज्यों और केन्द्र कRead more
“एक राष्ट्र एक कर” (One Nation One Tax) व्यवस्था, जिसे भारत में वस्तु एवं सेवा कर (GST) के रूप में लागू किया गया है, केन्द्र-राज्य संबंधों के वित्तीय पहलुओं पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालती है। इस व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य एक समान अप्रत्यक्ष कर ढांचे का निर्माण करना था, जिससे विभिन्न राज्यों और केन्द्र के बीच कर एकरूपता और न्यायसंगतता सुनिश्चित की जा सके। इस व्यवस्था के वित्तीय पहलू निम्नलिखित हैं:
1. राजस्व साझेदारी और वितरण
राजस्व पूलिंग: GST के अंतर्गत तीन प्रमुख कर घटक होते हैं:
राजस्व साझेदारी तंत्र: IGST से प्राप्त राजस्व को केंद्र और राज्यों के बीच साझा किया जाता है। इस साझेदारी की व्यवस्था यह सुनिश्चित करती है कि राज्य अंतराज्यीय लेन-देन से राजस्व की हानि न उठाएं और वित्तीय स्थिरता बनाए रखें।
2. राजस्व हानि के मुआवजे की व्यवस्था
GST मुआवजा उपकर: राज्यों की GST प्रणाली के कार्यान्वयन के कारण संभावित राजस्व हानि को संबोधित करने के लिए GST मुआवजा उपकर लागू किया गया। यह उपकर कुछ विशेष विलासिता और पापी वस्तुओं पर लगाया जाता है, और इससे प्राप्त राजस्व राज्यों को उनके राजस्व नुकसान की भरपाई के लिए प्रयोग किया जाता है।
मुआवजा तंत्र: केंद्रीय सरकार इस उपकर के माध्यम से राज्यों को मुआवजा प्रदान करने की जिम्मेदारी निभाती है। यह तंत्र सुनिश्चित करता है कि राज्यों के पास स्थिर राजस्व स्रोत हो, जिससे वित्तीय स्थिरता बनी रहे।
3. राज्य वित्तों पर प्रभाव
राजस्व तटस्थता: GST का उद्देश्य एक ऐसा कर प्रणाली बनाना था जो वस्तुओं और सेवाओं पर कुल कर भार को महत्वपूर्ण रूप से न बढ़ाए और न ही घटाए। हालांकि, वास्तविक प्रभाव अलग-अलग राज्यों में भिन्न हो सकता है। कुछ राज्यों को राजस्व वृद्धि का लाभ मिला, जबकि अन्य राज्यों को राजस्व की कमी का सामना करना पड़ा।
केंद्रीय सरकार पर निर्भरता: राज्य अब IGST राजस्व और मुआवजा भुगतान के लिए केंद्रीय सरकार पर अधिक निर्भर हो गए हैं। इस बदलाव का वित्तीय संघवाद और केंद्र-राज्य के बीच शक्ति संतुलन पर प्रभाव पड़ा है।
4. आर्थिक और वित्तीय एकीकरण
कर प्रणाली को सरल बनाना: “एक राष्ट्र एक कर” व्यवस्था का उद्देश्य कर प्रणाली को सरल बनाना, कर की जटिलताओं को कम करना और एक एकीकृत राष्ट्रीय बाजार का निर्माण करना था। इस एकीकरण से व्यापारों के लिए कर अनुपालन लागत में कमी आई है और आर्थिक दक्षता में सुधार हुआ है।
वित्तीय एकीकरण: GST प्रणाली राज्यों के बीच कर दरों और नियमों को समन्वित करती है, जिससे राज्यों के विभिन्न कर नीतियों के कारण होने वाली आर्थिक विसंगतियों को कम किया जाता है और राज्य सीमाओं के पार वस्तुओं और सेवाओं के प्रवाह को सुगम बनाया जाता है।
5. चुनौतियाँ और समायोजन
राजस्व में उतार-चढ़ाव: GST राजस्व में उतार-चढ़ाव की चुनौतियाँ उत्पन्न होती हैं, जो आर्थिक परिस्थितियों और अनुपालन दरों में बदलाव से प्रभावित होती हैं। कुछ राज्यों को राजस्व की कमी का सामना करना पड़ा, जिससे उनके बजट की योजना और खर्चे प्रभावित हुए।
मुआवजा उपकर संग्रह: मुआवजा तंत्र की प्रभावशीलता पर विवाद उठे हैं, जिसमें मुआवजे की राशि और समय पर भुगतान के मुद्दे शामिल हैं। मुआवजे की राशि और भुगतान में देरी ने कभी-कभी केंद्र-राज्य संबंधों को तनावपूर्ण बना दिया है।
सारांश में, “एक राष्ट्र एक कर” व्यवस्था के अंतर्गत GST प्रणाली केंद्र-राज्य संबंधों के वित्तीय पहलुओं में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन को दर्शाती है। जबकि यह कर प्रणाली को सरल बनाने और आर्थिक एकीकरण को बढ़ावा देने का प्रयास करती है, इसके प्रभावी प्रबंधन के लिए राजस्व साझेदारी, मुआवजा तंत्र, और वित्तीय प्रभावों को ध्यान में रखना आवश्यक है।
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