राष्ट्रीय भू-स्थानिक नीति के तहत प्रस्तावित संस्थागत ढांचे को रेखांकित करते हुए, विश्लेषण कीजिए कि यह भारत में भू- स्थानिक अवसंरचना को कैसे सुदृढ़ करेगा। (250 शब्दों में उत्तर दीजिए)
अतिसूक्ष्म प्रौद्योगिकी (नैनोटेक्नोलॉजी) का महत्व 1. 21वीं शताब्दी की प्रमुख प्रौद्योगिकी: अतिसूक्ष्म प्रौद्योगिकी, जिसमें 1 से 100 नैनोमीटर के बीच के आयामों पर सामग्री और उपकरणों की निर्मिति होती है, वास्तव में क्रांतिकारी है। इसके कारण, नैनोटेक्नोलॉजी में निम्नलिखित विशेषताएँ हैं: सटीकता और दक्षताRead more
अतिसूक्ष्म प्रौद्योगिकी (नैनोटेक्नोलॉजी) का महत्व
1. 21वीं शताब्दी की प्रमुख प्रौद्योगिकी:
अतिसूक्ष्म प्रौद्योगिकी, जिसमें 1 से 100 नैनोमीटर के बीच के आयामों पर सामग्री और उपकरणों की निर्मिति होती है, वास्तव में क्रांतिकारी है। इसके कारण, नैनोटेक्नोलॉजी में निम्नलिखित विशेषताएँ हैं:
- सटीकता और दक्षता: यह अत्यधिक सटीकता से सामग्री को संशोधित कर सकती है, जिससे नई भौतिक और रासायनिक विशेषताएँ उत्पन्न होती हैं।
- विविध अनुप्रयोग: चिकित्सा, इलेक्ट्रॉनिक्स, ऊर्जा, और पर्यावरण में नैनोटेक्नोलॉजी का उपयोग नवीन समाधान प्रदान करता है। उदाहरण के लिए, नैनो-ड्रग डिलीवरी सिस्टम रोगों के इलाज को अधिक प्रभावी और सटीक बनाते हैं।
2. भारत सरकार के मिशन की प्रमुख विशेषताएँ:
- नैशनल मिशन ऑन नैनोसाइंसेज एंड नैनोटेक्नोलॉजी (NMNN): भारत सरकार का यह मिशन अनुसंधान और विकास को प्रोत्साहित करता है और सुपरकम्प्यूटिंग जैसी सुविधाओं की स्थापना करता है।
- वित्तीय सहायता: अनुसंधान परियोजनाओं और प्रौद्योगिकी विकास के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
- शिक्षा और प्रशिक्षण: विशेषज्ञों और अनुसंधानकर्ताओं को प्रशिक्षण और शिक्षा प्रदान की जाती है।
3. विकास में अनुप्रयोग:
- स्वास्थ्य: नैनो-चिकित्सा और डायग्नोस्टिक टूल्स के माध्यम से स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार।
- कृषि: नैनो-पेस्टिसाइड्स और नैनो-फर्टिलाइज़र्स से फसल उत्पादकता और वृक्षारोपण में सहायता।
- ऊर्जा: सोलर पैनल और एनर्जी स्टोरेज में नैनो-मैटेरियल्स का उपयोग ऊर्जा दक्षता को बढ़ाता है।
- पर्यावरण: जल और वायु प्रदूषण के नियंत्रण में नैनो-टेक्नोलॉजी का योगदान।
इस प्रकार, नैनोटेक्नोलॉजी ने भारत के विकास को प्रौद्योगिकी और नवाचार के माध्यम से संजीवनी दी है।
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राष्ट्रीय भू-स्थानिक नीति (NSP) के तहत प्रस्तावित संस्थागत ढांचा भारत में भू-स्थानिक अवसंरचना को सुदृढ़ करने के लिए निम्नलिखित प्रमुख तत्वों पर आधारित है: भू-स्थानिक डेटा इन्फ्रास्ट्रक्चर: नीति के तहत एक व्यापक डेटा इन्फ्रास्ट्रक्चर की स्थापना की जाएगी, जिसमें भू-स्थानिक डेटा को एकत्रित करने, प्रबंधRead more
राष्ट्रीय भू-स्थानिक नीति (NSP) के तहत प्रस्तावित संस्थागत ढांचा भारत में भू-स्थानिक अवसंरचना को सुदृढ़ करने के लिए निम्नलिखित प्रमुख तत्वों पर आधारित है:
यह संस्थागत ढांचा भारत में भू-स्थानिक अवसंरचना को सुदृढ़ करने में मदद करेगा क्योंकि यह डेटा के एकत्रण, प्रबंधन, और उपयोग की प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करेगा। इससे सरकारी योजनाओं, विकास परियोजनाओं और आपदा प्रबंधन में अधिक सटीकता और प्रभावशीलता बढ़ेगी। इसके अलावा, यह शोध और नवाचार को प्रोत्साहित करेगा, जिससे समग्र रूप से भू-स्थानिक क्षेत्र में प्रगति होगी।
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