भारत में औपनिवेशिक शासन ने आदिवासियों को कैसे प्रभावित किया और औपनिवेशिक उत्पीड़न के प्रति आदिवासी प्रतिक्रिया क्या थी? (250 words) [UPSC 2023]
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भारत में औपनिवेशिक शासन ने आदिवासियों पर गहरा प्रभाव डाला और उनकी सामाजिक, आर्थिक, और सांस्कृतिक जीवनशैली को काफी प्रभावित किया। ब्रिटिश शासन के दौरान, आदिवासी क्षेत्रों में औपनिवेशिक नीतियों और भूमि अधिग्रहण ने उनकी पारंपरिक जमीनों और संसाधनों को छीन लिया। वन नीति, जैसे कि "वन अधिनियम" ने आदिवासियोRead more
भारत में औपनिवेशिक शासन ने आदिवासियों पर गहरा प्रभाव डाला और उनकी सामाजिक, आर्थिक, और सांस्कृतिक जीवनशैली को काफी प्रभावित किया। ब्रिटिश शासन के दौरान, आदिवासी क्षेत्रों में औपनिवेशिक नीतियों और भूमि अधिग्रहण ने उनकी पारंपरिक जमीनों और संसाधनों को छीन लिया। वन नीति, जैसे कि “वन अधिनियम” ने आदिवासियों की पारंपरिक वन संपत्ति पर नियंत्रण कर लिया और उनके जंगलों का व्यापारिक उपयोग बढ़ा दिया। इससे आदिवासियों की आजीविका पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा और उनकी पारंपरिक कृषि और शिकार की प्रथाओं में बाधा आई।
औपनिवेशिक प्रशासन ने आदिवासियों के सामाजिक ढांचे को भी बाधित किया। उन्हें शोषण और भेदभाव का सामना करना पड़ा, जो उनकी पहचान और सांस्कृतिक मूल्यों के खिलाफ था। उपनिवेशिक शासन ने स्थानीय स्वशासन और परंपरागत नेतृत्व प्रणालियों को कमजोर किया, जिससे आदिवासियों की राजनीतिक शक्ति भी घट गई।
इन उत्पीड़नों के प्रति आदिवासियों ने विभिन्न प्रतिक्रियाएँ दी। कई आदिवासी समुदायों ने सशस्त्र संघर्ष और विद्रोह के माध्यम से प्रतिरोध किया। ‘संताली विद्रोह’ (1855-1856) और ‘मौंडा विद्रोह’ (1899-1900) जैसे आंदोलनों ने औपनिवेशिक शासन के खिलाफ सक्रिय प्रतिरोध व्यक्त किया। इन विद्रोहों ने आदिवासियों की सामाजिक और आर्थिक समानता की पुनर्निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इन प्रतिक्रियाओं ने अंततः औपनिवेशिक नीति में सुधार के लिए एक सामाजिक जागरूकता पैदा की और आदिवासी अधिकारों के प्रति सरकार की संवेदनशीलता को बढ़ाया।
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