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अपने देश का तेजी से विकास की दृष्टि से बेहतर प्रशासन के निर्माण के लिए क्या दोनों में संतुलन स्थापित करना संभव है ? (150 words) [UPSC 2015]
विकास और बेहतर प्रशासन के बीच संतुलन स्थापित करना 1. परिचय तेजी से विकास और बेहतर प्रशासन दोनों ही किसी भी देश की प्रगति के लिए महत्वपूर्ण हैं। हालांकि, इन दोनों के बीच संतुलन स्थापित करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। 2. संतुलन स्थापित करने के उपाय विकास और प्रशासन में समन्वय: निवेश और संसाधन प्रबंधन: तेRead more
विकास और बेहतर प्रशासन के बीच संतुलन स्थापित करना
1. परिचय
तेजी से विकास और बेहतर प्रशासन दोनों ही किसी भी देश की प्रगति के लिए महत्वपूर्ण हैं। हालांकि, इन दोनों के बीच संतुलन स्थापित करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
2. संतुलन स्थापित करने के उपाय
विकास और प्रशासन में समन्वय:
प्रौद्योगिकी का उपयोग:
हालिया उदाहरण:
3. निष्कर्ष
तेजी से विकास और बेहतर प्रशासन के बीच संतुलन स्थापित करना संभव है यदि दोनों को समन्वित और योजनाबद्ध तरीके से लागू किया जाए। प्रौद्योगिकी का उपयोग, संसाधन प्रबंधन, और पारदर्शिता जैसे उपाय इस संतुलन को बनाए रखने में मदद कर सकते हैं।
See lessनीतिशास्त्र
अधिकारीतंत्रीय और लोकतांत्रिक अभिवृत्तियों का विभेदन a. अधिकारीतंत्रीय और लोकतांत्रिक अभिवृत्तियों का विभेदन: अधिकारीतंत्रीय अभिवृत्ति: गुण: प्रणालीगत निर्णय क्षमता और नियमों का कठोर पालन। उदाहरण: सुप्रीम कोर्ट के कुछ निर्णय प्रशासनिक प्रक्रियाओं की मजबूती के लिए अधिकारीतंत्रीय दृष्टिकोण को दर्शातेRead more
अधिकारीतंत्रीय और लोकतांत्रिक अभिवृत्तियों का विभेदन
a. अधिकारीतंत्रीय और लोकतांत्रिक अभिवृत्तियों का विभेदन:
b. संतुलन स्थापित करना:
तेजी से विकास की दृष्टि से:
इस प्रकार, दोनों दृष्टिकोणों के बीच संतुलन से प्रशासनिक कार्यक्षमता और विकास को बढ़ावा मिल सकता है।
See lessअहिंसा मूलभूत नैतिक सद्गुणों का उच्चतम स्वरूप है। टिप्पणी कीजिए। (150 शब्दों में उत्तर दें)
अहिंसा, जिसका अर्थ है 'हिंसा से बचना', मूलभूत नैतिक सद्गुणों का उच्चतम स्वरूप माना जाता है। यह विचार बौद्ध, जैन, और हिंदू धर्मों में केंद्रीय स्थान रखता है और इसे एक आदर्श जीवन जीने के लिए आवश्यक मान्यता प्राप्त है। अहिंसा केवल शारीरिक हिंसा से परे है, बल्कि यह मानसिक और भावनात्मक हिंसा को भी रोकनेRead more
अहिंसा, जिसका अर्थ है ‘हिंसा से बचना’, मूलभूत नैतिक सद्गुणों का उच्चतम स्वरूप माना जाता है। यह विचार बौद्ध, जैन, और हिंदू धर्मों में केंद्रीय स्थान रखता है और इसे एक आदर्श जीवन जीने के लिए आवश्यक मान्यता प्राप्त है। अहिंसा केवल शारीरिक हिंसा से परे है, बल्कि यह मानसिक और भावनात्मक हिंसा को भी रोकने का प्रयास करती है।
महात्मा गांधी ने अहिंसा को समाज के हर पहलू में अपनाने की बात की, इसे सत्य और न्याय के साथ जोड़ते हुए। उनका मानना था कि अहिंसा न केवल दूसरों के प्रति सहानुभूति और सम्मान दर्शाती है, बल्कि यह आत्म-परिष्कार और समाज में स्थिरता और शांति को भी बढ़ावा देती है।
इस प्रकार, अहिंसा का पालन करने से व्यक्तियों और समाज में गहरी नैतिकता और मानवता का विकास होता है, जो कि आदर्श नैतिकता की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है।
See lessपूर्वाग्रह और भेदभाव को जब दूर नहीं किया जाता है तो इनमें संघर्षों को हिंसा में बदलने की क्षमता होती है। उदाहरण सहित चर्चा कीजिए।(150 शब्दों में उत्तर दें)
पूर्वाग्रह और भेदभाव समाज में गहरी असमानताओं को जन्म देते हैं, जो संघर्षों को हिंसा में बदलने की संभावना को बढ़ाते हैं। जब पूर्वाग्रहों और भेदभाव को दूर नहीं किया जाता, तो यह तनाव और असंतोष को जन्म देता है, जिससे हिंसक घटनाएँ उत्पन्न हो सकती हैं। उदाहरण के तौर पर, जातिगत भेदभाव के कारण भारत में कई बRead more
पूर्वाग्रह और भेदभाव समाज में गहरी असमानताओं को जन्म देते हैं, जो संघर्षों को हिंसा में बदलने की संभावना को बढ़ाते हैं। जब पूर्वाग्रहों और भेदभाव को दूर नहीं किया जाता, तो यह तनाव और असंतोष को जन्म देता है, जिससे हिंसक घटनाएँ उत्पन्न हो सकती हैं।
उदाहरण के तौर पर, जातिगत भेदभाव के कारण भारत में कई बार जातीय हिंसा का सामना करना पड़ा है। 2002 का गुजरात दंगे, जिसमें विशेष रूप से मुस्लिम समुदाय को लक्षित किया गया था, एक गंभीर उदाहरण है। यहाँ पर जातिगत पूर्वाग्रह और भेदभाव ने समाज में गहरी दरारें पैदा कीं, जिससे हिंसा और दंगे भड़क उठे।
ऐसे संघर्षों को हिंसा में बदलने से रोकने के लिए, समाज में समानता, न्याय और समावेशिता को बढ़ावा देने वाले उपायों को लागू करना आवश्यक है। इससे सामाजिक तनाव कम होगा और हिंसा की संभावना घटेगी।
See lessदेश में बदलते सामाजिक परिदृश्य के मद्देनजर, मूल्यों की शिक्षा युवाओं के लिए न केवल कुशल बल्कि नैतिक रूप से मजबूत पेशेवर बनने हेतु तकनीकी शिक्षा के समान ही महत्वपूर्ण है। चर्चा कीजिए। (150 शब्दों में उत्तर दीजिए)
बदलते सामाजिक परिदृश्य में, तकनीकी शिक्षा के साथ-साथ मूल्यों की शिक्षा युवाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। तकनीकी शिक्षा युवाओं को पेशेवर कौशल और ज्ञान प्रदान करती है, जो करियर में सफलता के लिए आवश्यक हैं। वहीं, मूल्यों की शिक्षा नैतिकता, ईमानदारी, और सामाजिक जिम्मेदारी जैसे गुणों को विकसित करती है।Read more
बदलते सामाजिक परिदृश्य में, तकनीकी शिक्षा के साथ-साथ मूल्यों की शिक्षा युवाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। तकनीकी शिक्षा युवाओं को पेशेवर कौशल और ज्ञान प्रदान करती है, जो करियर में सफलता के लिए आवश्यक हैं। वहीं, मूल्यों की शिक्षा नैतिकता, ईमानदारी, और सामाजिक जिम्मेदारी जैसे गुणों को विकसित करती है।
मूल्यों की शिक्षा युवाओं को यह सिखाती है कि वे तकनीकी दक्षता के साथ-साथ एक आदर्श नागरिक भी बनें। यह उन्हें सही और गलत के बीच अंतर समझने, समाज के प्रति संवेदनशील रहने, और नैतिक निर्णय लेने में सक्षम बनाती है।
जब युवा नैतिक मूल्यों से सुसज्जित होते हैं, तो वे न केवल अपने करियर में सफल होते हैं बल्कि समाज में सकारात्मक परिवर्तन भी ला सकते हैं। इसलिए, तकनीकी शिक्षा के समान ही मूल्यों की शिक्षा भी आवश्यक है, ताकि युवा समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझ सकें और एक सशक्त और नैतिक पेशेवर बन सकें।
See lessहालांकि, निष्पक्षता को लोक सेवा के लिए प्रमुख नैतिक मूल्यों में से एक के रूप में निर्धारित किया गया है, फिर भी इसे लोक सेवाओं में करुणा के प्रति बाधक के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। चर्चा कीजिए। (150 शब्दों में उत्तर दीजिए)
निष्पक्षता लोक सेवा के प्रमुख नैतिक मूल्यों में से एक है, जिसका अर्थ है कि सभी नागरिकों के साथ समान और उचित व्यवहार किया जाए। यह सुनिश्चित करता है कि निर्णय और सेवाएं किसी व्यक्तिगत पक्षपात या भेदभाव से मुक्त हों। हालांकि, यह करुणा के प्रति बाधक नहीं बनती। निष्पक्षता और करुणा दोनों की महत्वपूर्ण भूमRead more
निष्पक्षता लोक सेवा के प्रमुख नैतिक मूल्यों में से एक है, जिसका अर्थ है कि सभी नागरिकों के साथ समान और उचित व्यवहार किया जाए। यह सुनिश्चित करता है कि निर्णय और सेवाएं किसी व्यक्तिगत पक्षपात या भेदभाव से मुक्त हों। हालांकि, यह करुणा के प्रति बाधक नहीं बनती। निष्पक्षता और करुणा दोनों की महत्वपूर्ण भूमिकाएं होती हैं। करुणा का मतलब है सहानुभूति और दया, जो किसी की कठिनाइयों को समझने और उनकी सहायता करने की क्षमता को दर्शाती है।
लोक सेवाओं में करुणा की उपस्थिति आवश्यक है ताकि व्यक्तिगत जरूरतों और परिस्थितियों के अनुसार मदद प्रदान की जा सके। निष्पक्षता का उद्देश्य यह है कि यह करुणा किसी भी प्रकार की असमानता या भेदभाव को बढ़ावा न दे। सही संतुलन स्थापित करने पर, निष्पक्षता और करुणा एक-दूसरे को पूरा करती हैं, जिससे एक न्यायसंगत और सहानुभूतिपूर्ण सेवा सुनिश्चित होती है।
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