भारत में ऊर्जा संकट के कारणों की विवेचना कीजिये। (125 Words) [UPPSC 2019]
भारत में सौर ऊर्जा परियोजनाओं की वित्तीय और तकनीकी व्यवहारिकता वित्तीय व्यवहारिकता: लागत में कमी: सौर पैनल और अन्य उपकरणों की लागत में लगातार कमी आई है, जिससे सौर ऊर्जा अब पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों की तुलना में अधिक किफायती हो गई है। सौर ऊर्जा की लागत प्रति किलोवाट घंटा (kWh) गिरकर कम हो गई है, जिससे पRead more
भारत में सौर ऊर्जा परियोजनाओं की वित्तीय और तकनीकी व्यवहारिकता
वित्तीय व्यवहारिकता:
- लागत में कमी: सौर पैनल और अन्य उपकरणों की लागत में लगातार कमी आई है, जिससे सौर ऊर्जा अब पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों की तुलना में अधिक किफायती हो गई है। सौर ऊर्जा की लागत प्रति किलोवाट घंटा (kWh) गिरकर कम हो गई है, जिससे परियोजनाएँ अधिक आर्थिक रूप से व्यवहार्य हो गई हैं।
- सरकारी प्रोत्साहन: भारत सरकार ने सौर परियोजनाओं को वित्तीय सहायता देने के लिए विभिन्न योजनाएँ शुरू की हैं, जैसे सीमा वित्तीय सहायता, टैक्स लाभ, और उपकर छूट।
- वित्तीय लाभ: सौर परियोजनाओं के निवेश पर लंबी अवधि में ऊर्जा लागत की बचत होती है और पुनरावृत्ति (ROI) में सुधार होता है।
तकनीकी व्यवहारिकता:
- संसाधन उपलब्धता: भारत में उच्च सौर किरणें, विशेषकर राजस्थान, गुजरात, और मध्य प्रदेश में, सौर ऊर्जा को प्रभावी ढंग से harness करने में सहायक हैं।
- तकनीकी प्रगति: नई तकनीकों, जैसे सौर ट्रैकर्स और बैक-सिटी सौर पैनल ने सौर ऊर्जा की दक्षता बढ़ा दी है।
सरकारी योजनाएँ:
- राष्ट्रीय सौर मिशन: 2010 में शुरू की गई योजना का उद्देश्य 2022 तक 100 GW सौर ऊर्जा की क्षमता प्राप्त करना है। इस मिशन के तहत सौर पार्क और सौर छत योजनाएँ लागू की गई हैं।
- प्रधानमंत्री किसान उर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (PM-KUSUM): यह योजना किसानों को सौर पंप और ग्रिड-कनेक्टेड सौर पावर प्लांट्स स्थापित करने में सहायता प्रदान करती है।
- सौर छत योजना: नागरिकों और संस्थानों को सौर छत प्रणालियाँ स्थापित करने के लिए वित्तीय सब्सिडी और लाभकारी ऋण प्रदान की जाती है।
निष्कर्ष:
सौर ऊर्जा परियोजनाएँ भारत में वित्तीय और तकनीकी दृष्टिकोण से व्यवहारिक हैं। सरकारी योजनाओं द्वारा प्रदान की गई वित्तीय सहायता और प्रोत्साहन ने इस क्षेत्र में निवेश और विकास को प्रोत्साहित किया है। इन पहलों से भारत के ऊर्जा भविष्य में सौर ऊर्जा की भूमिका महत्वपूर्ण बनी हुई है।
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भारत में ऊर्जा संकट के कारण 1. जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता: सीमित संसाधन: भारत की ऊर्जा जरूरतों का बड़ा हिस्सा कोयला, तेल, और प्राकृतिक गैस पर निर्भर है। कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) कोयला उत्पादन में बढ़ोतरी की चुनौतियों का सामना कर रहा है, जिससे आपूर्ति में कमी आती है। आयात पर निर्भरता: तेल और गैस का अधिRead more
भारत में ऊर्जा संकट के कारण
1. जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता:
2. अवसंरचना की कमी:
3. ऊर्जा का अव्यवस्थित उपयोग:
4. पर्यावरणीय चिंताएँ:
निष्कर्ष: भारत में ऊर्जा संकट का मुख्य कारण जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता, अवसंरचना की कमी, ऊर्जा उपयोग की अक्षमता, और पर्यावरणीय चिंताएँ हैं। इन समस्याओं के समाधान के लिए नवीकरणीय ऊर्जा में निवेश और अवसंरचना उन्नयन आवश्यक है।
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