भारतीय ग्रामीण जीवन पर स्वयं सहायता समूहों का क्या प्रभाव पड़ा है? वर्णन कीजिये।(125 Words) [UPPSC 2018]
स्वयं सहायता समूह की संरचना और कार्यों पर विश्लेषणात्मक टिप्पणी संरचना: स्वयं सहायता समूह (SHGs) आमतौर पर 5 से 20 महिलाओं या व्यक्तियों का एक समूह होता है, जो स्वैच्छिक आधार पर गठित होता है। प्रत्येक समूह के पास एक सादे अध्यक्ष और लेखाकार होते हैं जो समूह की गतिविधियों और वित्तीय लेन-देन को प्रबंधितRead more
स्वयं सहायता समूह की संरचना और कार्यों पर विश्लेषणात्मक टिप्पणी
संरचना: स्वयं सहायता समूह (SHGs) आमतौर पर 5 से 20 महिलाओं या व्यक्तियों का एक समूह होता है, जो स्वैच्छिक आधार पर गठित होता है। प्रत्येक समूह के पास एक सादे अध्यक्ष और लेखाकार होते हैं जो समूह की गतिविधियों और वित्तीय लेन-देन को प्रबंधित करते हैं। यह समूह साप्ताहिक या मासिक बैठकें आयोजित करता है, जिसमें सदस्य वित्तीय योगदान करते हैं और सामूहिक निर्णय लेते हैं।
कार्य:
- आर्थिक सहयोग: SHGs संचित धन के माध्यम से सदस्यों को सूक्ष्म ऋण प्रदान करते हैं, जो छोटे व्यापार या व्यक्तिगत आवश्यकताओं के लिए उपयोगी होता है। उदाहरण के लिए, स्वयं सहायता समूहों ने ग्रामीण भारत में उद्यमिता को बढ़ावा दिया है, जैसे दुग्ध उत्पादन या हस्तशिल्प व्यवसाय।
- सामाजिक सशक्तिकरण: ये समूह सामाजिक मुद्दों पर चर्चा करते हैं और स्वास्थ्य, शिक्षा, और महिला अधिकार जैसे क्षेत्रों में जागरूकता फैलाते हैं। नरेगा और स्वास्थ्य योजनाओं का लाभ उठाने में भी सहायक होते हैं।
निष्कर्ष: स्वयं सहायता समूह एक सशक्त सामाजिक और आर्थिक संरचना प्रदान करते हैं, जो सामुदायिक सहभागिता और स्वावलंबन को बढ़ावा देते हैं। उनकी प्रभावशीलता और पहुंच ने ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में विकास को संभव बनाया है।
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भारतीय ग्रामीण जीवन पर स्वयं सहायता समूहों (SHGs) का प्रभाव 1. आर्थिक सशक्तिकरण: SHGs ने ग्रामीण जीवन में आर्थिक सशक्तिकरण को बढ़ावा दिया है। सदस्य सूक्ष्म वित्त के माध्यम से अपनी आय में वृद्धि कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, नरेगा के तहत SHGs ने कृषि और छोटे व्यवसाय में योगदान दिया है। 2. महिला सशक्तिकरRead more
भारतीय ग्रामीण जीवन पर स्वयं सहायता समूहों (SHGs) का प्रभाव
1. आर्थिक सशक्तिकरण: SHGs ने ग्रामीण जीवन में आर्थिक सशक्तिकरण को बढ़ावा दिया है। सदस्य सूक्ष्म वित्त के माध्यम से अपनी आय में वृद्धि कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, नरेगा के तहत SHGs ने कृषि और छोटे व्यवसाय में योगदान दिया है।
2. महिला सशक्तिकरण: SHGs ने महिलाओं को आर्थिक और सामाजिक सशक्तिकरण प्रदान किया है। दीक्षा की योजना (DAY-NRLM) के अंतर्गत, SHGs ने महिलाओं की आर्थिक स्थिति और फैसला लेने की क्षमता को बढ़ाया है।
3. सामाजिक विकास: SHGs ने समुदायिक एकता और सामाजिक विकास को प्रोत्साहित किया है। उदाहरण के लिए, तमिलनाडु में SHGs ने स्वच्छता और शिक्षा से संबंधित परियोजनाएँ सफलतापूर्वक चलायी हैं।
निष्कर्ष: SHGs ने भारतीय ग्रामीण जीवन में आर्थिक अवसर, महिला सशक्तिकरण, और सामाजिक विकास को सशक्त किया है।
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