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"सांप्रदायिक हिंसा धार्मिक कटटरपंथियों द्वारा भडकायी जाती है. असामाजिक तत्वों द्वारा प्रारंभ की जाती है, राजनैतिक कार्यकर्ताओं द्वारा प्रोत्साहित की जाती है, निहित स्वार्थों द्वारा वित्तपाषित होती है।" टिप्पणी कीजिये। (125 Words) [UPPSC 2018]
सांप्रदायिक हिंसा और इसके कारक सांप्रदायिक हिंसा एक जटिल सामाजिक समस्या है, जिसे कई कारक प्रभावित करते हैं: धार्मिक कट्टरपंथी: धार्मिक कट्टरपंथी समाज में तनाव और हिंसा को बढ़ावा देते हैं। हाल ही में, भारत के विभिन्न हिस्सों में कट्टरपंथी समूहों द्वारा आयोजित विरोध प्रदर्शनों ने सांप्रदायिक तनाव को जRead more
सांप्रदायिक हिंसा और इसके कारक
सांप्रदायिक हिंसा एक जटिल सामाजिक समस्या है, जिसे कई कारक प्रभावित करते हैं:
धार्मिक कट्टरपंथी: धार्मिक कट्टरपंथी समाज में तनाव और हिंसा को बढ़ावा देते हैं। हाल ही में, भारत के विभिन्न हिस्सों में कट्टरपंथी समूहों द्वारा आयोजित विरोध प्रदर्शनों ने सांप्रदायिक तनाव को जन्म दिया है।
असामाजिक तत्व: असामाजिक तत्व हिंसा को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न प्रकार के हिंसात्मक गतिविधियों में शामिल होते हैं। उदाहरणस्वरूप, 2020 के दिल्ली दंगों में असामाजिक तत्वों की भूमिका प्रमुख रही।
राजनीतिक प्रोत्साहन: कुछ राजनीतिक कार्यकर्ता अपनी चुनावी रणनीति के तहत सांप्रदायिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा देते हैं। इससे सांप्रदायिक हिंसा को बढ़ावा मिलता है।
निहित स्वार्थ: हिंसा को वित्तीय संसाधन प्राप्त करने के लिए भी प्रोत्साहित किया जा सकता है। यह हिंसा समाज में अस्थिरता को बढ़ावा देती है और विभिन्न समूहों के बीच तनाव को बढ़ा देती है।
See lessसांप्रदायिकता के संदर्भ में राष्ट्र और नागरिकता के प्रत्यय का समालोचनात्मक परीक्षण कीजिये। (200 Words) [UPPSC 2020]
सांप्रदायिकता के संदर्भ में राष्ट्र और नागरिकता के प्रत्यय का समालोचनात्मक परीक्षण राष्ट्र और सांप्रदायिकता: राष्ट्र एक सामाजिक और राजनीतिक इकाई है जिसमें विभिन्न सांस्कृतिक, धार्मिक और जातीय समूह मिलकर एकता का अनुभव करते हैं। लेकिन सांप्रदायिकता इसे चुनौती देती है, जिससे एक ही राष्ट्र में अलग-अलग धRead more
सांप्रदायिकता के संदर्भ में राष्ट्र और नागरिकता के प्रत्यय का समालोचनात्मक परीक्षण
राष्ट्र और सांप्रदायिकता:
राष्ट्र एक सामाजिक और राजनीतिक इकाई है जिसमें विभिन्न सांस्कृतिक, धार्मिक और जातीय समूह मिलकर एकता का अनुभव करते हैं। लेकिन सांप्रदायिकता इसे चुनौती देती है, जिससे एक ही राष्ट्र में अलग-अलग धार्मिक समूहों के बीच तनाव उत्पन्न हो सकता है। भारत में, सांप्रदायिकता का तात्पर्य विशेष रूप से हिंदू-मुस्लिम विभाजन से है, जो अक्सर राष्ट्र की एकता और समानता को प्रभावित करता है।
नागरिकता और सांप्रदायिकता:
नागरिकता एक व्यक्ति की कानूनी पहचान होती है जो उसे राष्ट्र के अधिकार और कर्तव्यों का हिस्सा बनाती है। सांप्रदायिकता इस अवधारणा को तब चुनौती देती है जब धार्मिक आधार पर नागरिकों को भेदभाव का सामना करना पड़ता है। सीएए (सिटिज़नशिप अमेंडमेंट एक्ट) 2019 के हालिया विवाद ने इस मुद्दे को प्रमुखता से उभारा है। इस कानून ने धार्मिक आधार पर नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान किया, जिससे सांप्रदायिक असंतुलन और भेदभाव की आशंका बढ़ गई।
समालोचनात्मक दृष्टिकोण:
See lessराष्ट्र की संप्रभुता और एकता को बनाए रखने के लिए आवश्यक है कि सांप्रदायिकता से दूर रहा जाए। नागरिकता की अवधारणा को धार्मिक विभाजन से अलग रखना चाहिए, ताकि सभी नागरिक समान अधिकार और सम्मान प्राप्त कर सकें। सांप्रदायिकता के प्रभाव को रोकने के लिए समाजिक और कानूनी उपायों की आवश्यकता है, ताकि एक सशक्त और समान राष्ट्र का निर्माण किया जा सके।