सामाजिक सशक्तिकरण में सूचना प्रौद्योगिकी एवं अन्तरजाल (इंटरनेट) की भूमिका का मूल्यांकन कीजिए। (125 Words) [UPPSC 2022]
1. आर्थिक पिछड़ापन: जनजातियों का आर्थिक पिछड़ापन उनकी विकास में सबसे बड़ी बाधा है। परंपरागत जीवनशैली और अवसंरचना की कमी के कारण वे अक्सर निम्न आय और सीमित रोजगार अवसर का सामना करते हैं। उदाहरणस्वरूप, छत्तीसगढ़ की आदिवासी बस्तियाँ बुनियादी सुविधाओं की कमी से जूझ रही हैं। 2. शैक्षिक चुनौतियाँ: जनजातियRead more
1. आर्थिक पिछड़ापन: जनजातियों का आर्थिक पिछड़ापन उनकी विकास में सबसे बड़ी बाधा है। परंपरागत जीवनशैली और अवसंरचना की कमी के कारण वे अक्सर निम्न आय और सीमित रोजगार अवसर का सामना करते हैं। उदाहरणस्वरूप, छत्तीसगढ़ की आदिवासी बस्तियाँ बुनियादी सुविधाओं की कमी से जूझ रही हैं।
2. शैक्षिक चुनौतियाँ: जनजातियों में शिक्षा की पहुँच सीमित है, जिसके परिणामस्वरूप उच्च शिक्षा और साक्षरता दर में कमी है। आंध्र प्रदेश के कोंडागांव जैसे क्षेत्रों में विद्यालयों की कमी और शिक्षण संसाधनों की कमी ने शिक्षा में बाधाएँ उत्पन्न की हैं।
3. स्वास्थ्य असमानता: स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी और मूलभूत स्वास्थ्य सेवाओं की अनुपलब्धता जनजातीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य असमानता को बढ़ावा देती है। मध्य प्रदेश के बांसवाड़ा जिले में स्वास्थ्य सेवाओं की कमी एक प्रमुख समस्या है।
**4. सामाजिक बहिष्कार: जनजातियों का सामाजिक बहिष्कार और विभाजन भी उनके सशक्तिकरण में रुकावट डालता है। संस्कृतिक भिन्नताएँ और भेदभाव उनकी सामाजिक समावेशिता में बाधा उत्पन्न करते हैं।
निष्कर्ष: भारत में जनजातियों के सशक्तिकरण में आर्थिक पिछड़ापन, शैक्षिक चुनौतियाँ, स्वास्थ्य असमानता, और सामाजिक बहिष्कार जैसी मूल बाधाएँ हैं, जिनका समाधान समग्र विकास योजनाओं और संवेदनशील नीतियों के माध्यम से किया जा सकता है।
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सूचना प्रौद्योगिकी और इंटरनेट का सामाजिक सशक्तिकरण में मूल्यांकन 1. सूचना की उपलब्धता: ज्ञान की पहुँच: इंटरनेट ने ज्ञान और सूचना की उपलब्धता को आसान बनाया है। लोग अब विभिन्न विषयों पर जानकारी प्राप्त कर सकते हैं, जिससे शिक्षा और जागरूकता में वृद्धि हुई है। 2. डिजिटल समावेशन: संघटन और संपर्क: सूचना पRead more
सूचना प्रौद्योगिकी और इंटरनेट का सामाजिक सशक्तिकरण में मूल्यांकन
1. सूचना की उपलब्धता:
2. डिजिटल समावेशन:
3. सामाजिक जागरूकता:
4. आर्थिक अवसर:
निष्कर्ष: सूचना प्रौद्योगिकी और इंटरनेट सामाजिक सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, ज्ञान की पहुँच बढ़ाते हैं, डिजिटल समावेशन को बढ़ावा देते हैं, सामाजिक जागरूकता को प्रोत्साहित करते हैं, और आर्थिक अवसर प्रदान करते हैं।
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