“लोकहित का प्रत्येक मामला, लोकहित वाद का मामला नहीं होता।” मूल्यांकन कीजिये। (200 Words) [UPPSC 2020]
न्यायिक सक्रियतावाद और भारत में कार्यपालिका एवं न्यायपालिका के पारस्परिक संबंधों पर इसका प्रभाव 1. न्यायिक सक्रियतावाद की व्याख्या: न्यायिक सक्रियतावाद वह न्यायिक दृष्टिकोण है जिसमें न्यायपालिका सामाजिक और संवैधानिक मुद्दों में सक्रिय रूप से हस्तक्षेप करती है। इसका उद्देश्य मूलभूत अधिकारों की रक्षाRead more
न्यायिक सक्रियतावाद और भारत में कार्यपालिका एवं न्यायपालिका के पारस्परिक संबंधों पर इसका प्रभाव
1. न्यायिक सक्रियतावाद की व्याख्या:
न्यायिक सक्रियतावाद वह न्यायिक दृष्टिकोण है जिसमें न्यायपालिका सामाजिक और संवैधानिक मुद्दों में सक्रिय रूप से हस्तक्षेप करती है। इसका उद्देश्य मूलभूत अधिकारों की रक्षा और संविधान की व्याख्या के माध्यम से सामाजिक न्याय सुनिश्चित करना है।
2. भारत में प्रभाव:
- कार्यपालिका पर प्रभाव: न्यायिक सक्रियतावाद ने कार्यपालिका को अपने निर्णयों और कार्यप्रणाली में अधिक पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए प्रेरित किया है। उदाहरण के तौर पर, अयोध्या भूमि विवाद में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय ने कार्यपालिका की भूमिका को संवैधानिक रूप से आकर्षक और निर्णायक बना दिया।
- हालिया उदाहरण: स्वच्छ भारत मिशन और मुलायम सिंह यादव के रिश्तेदारों के केस में सुप्रीम कोर्ट ने कार्यपालिका को ध्यान देने और कार्यवाही में सुधार के निर्देश दिए, जिससे सरकारी नीतियों की प्रभावशीलता बढ़ी है।
निष्कर्ष:
न्यायिक सक्रियतावाद ने कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच संतुलन को नया रूप दिया है, जिससे न्यायपालिका को सशक्त और सक्रिय भूमिका निभाने का अवसर मिला है, और संविधानिक अधिकारों की रक्षा की जा रही है।
"लोकहित का प्रत्येक मामला, लोकहित वाद का मामला नहीं होता": मूल्यांकन 1. लोकहित वाद (Public Interest Litigation - PIL): लोकहित वाद एक कानूनी उपकरण है जो न्यायपालिका को समाज के सामान्य हित और मूलभूत अधिकारों की रक्षा के लिए सक्रिय भूमिका निभाने की अनुमति देता है। इसका उद्देश्य सामाजिक न्याय और पारदर्शRead more
“लोकहित का प्रत्येक मामला, लोकहित वाद का मामला नहीं होता”: मूल्यांकन
1. लोकहित वाद (Public Interest Litigation – PIL):
लोकहित वाद एक कानूनी उपकरण है जो न्यायपालिका को समाज के सामान्य हित और मूलभूत अधिकारों की रक्षा के लिए सक्रिय भूमिका निभाने की अनुमति देता है। इसका उद्देश्य सामाजिक न्याय और पारदर्शिता को बढ़ावा देना है।
2. लोकहित और लोकहित वाद में अंतर:
3. प्रभाव और चुनौतियाँ:
निष्कर्ष:
See lessलोकहित का हर मामला लोकहित वाद का मामला नहीं होता। PIL को सामाजिक कल्याण और मूलभूत अधिकारों की रक्षा के लिए ही सीमित करना चाहिए, ताकि इसका उचित प्रभाव और सकारात्मक उपयोग सुनिश्चित हो सके।