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नैतिक मूल्यों के सुदृढ़ीकरण की क्या प्रक्रिया है? क्या नैतिक मूल्यों के सुदृढ़ीकरण से चरित्र निर्माण में सहायता प्राप्त होती हैं? विवेचना करें। (125 Words) [UPPSC 2019]
आत्म तनावाकारク यन Nir आप के अंदर नैतिक मूल्यों का समृद्ध करना और मजबूत बनाना होता है। यह प्रक्रिया परिवार, स्कूल, समाज और व्यक्तिगत अनुभवों के माध्यम से होती है। नैतिक मूल्यों के सुदृढ़ीकरण की प्रक्रिया: - शिक्षा: स्कूल में नैतिक शिक्षा के माध्यम से बच्चों में नैतिक मूल्यों का विकास किया जाता है। इतRead more
आत्म तनावाकारク यन Nir आप के अंदर नैतिक मूल्यों का समृद्ध करना और मजबूत बनाना होता है। यह प्रक्रिया परिवार, स्कूल, समाज और व्यक्तिगत अनुभवों के माध्यम से होती है।
नैतिक मूल्यों के सुदृढ़ीकरण की प्रक्रिया:
– शिक्षा: स्कूल में नैतिक शिक्षा के माध्यम से बच्चों में नैतिक मूल्यों का विकास किया जाता है। इतिहास, साहित्य और अन्य विषयों के माध्यम से बच्चों को नैतिक मूल्यों के महत्व को समझाया जाता है।
-परिवार: परिवार में बच्चे अपने माता-पिता और अन्य सदस्यों से बैठकर नैतिक मूल्य सीखते हैं। माता-पिता का व्यवहार और मूल्य बच्चे के व्यक्तित्व के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका बजते हैं।
-सociety: जीवन में वह विभिन्न प्रकार के लोगों से जाकर और उनके व्यवहार देखता है। समाज की मूल्य, रीति-रिवाज और परंपराएं उसके व्यक्तिगत मूल्य को निर्मित करती हैं।
-प्रत्यक्ष अनुभव: जीवन में प्रत्यक्ष अनुभव भी नैतिक मूल्य के विकास में बहुत महत्वपूर्ण कार्य करता है। व्यक्ति जीवन में जो संकट का सामना करता है उस समय वह व्यक्तिगत विचार और प्रवृत्ति से खुद को मेल दिलाता है और उसमें अपने नैतिक मूल्य का परीक्षण कर करके मजबूती की ओर आगे बढ़ता है।
नैतिक मूल्यों के सुदृढ़ीकरण से चरित्र निर्माण में सहायता:
नैतिक मूल्य व्यक्ति के चरित्र का आधार होते हैं। जब व्यक्ति में नैतिक मूल्य मजबूत होते हैं, तो वह सही और गलत के बीच अंतर करने में सक्षम होता है। वह अपने निर्णयों के लिए जिम्मेदार होता है और समाज के लिए एक अच्छा नागरिक बनता है। नैतिक मूल्य व्यक्ति को ईमानदार, सच्चा, दयालु और सहयोगी बनाते हैं।
निष्कर्ष:
नैतिक मूल्यों का सुदृढ़ीकरण व्यक्ति के समग्र विकास के लिए आवश्यक है। यह व्यक्ति को एक अच्छा इंसान और एक जिम्मेदार नागरिक बनने में मदद करता है।
See lessसार्वभौम धर्म क्या हैं? इसके प्रमुख तत्त्वों की विवेचना कीजिये। (125 Words) [UPPSC 2019]
सार्वभौम धर्म: अवधारणा और प्रमुख तत्त्व **1. सार्वभौम धर्म की अवधारणा: सार्वभौम धर्म का उद्देश्य सांस्कृतिक, जातीय, और भौगोलिक सीमाओं को पार कर एक साझा आध्यात्मिक समझ को बढ़ावा देना है। यह विभिन्न जातियों के बीच एकता को प्रोत्साहित करता है। **2. प्रमुख तत्त्व: सामान्य नैतिक सिद्धांत: दयालुता, न्याय,Read more
सार्वभौम धर्म: अवधारणा और प्रमुख तत्त्व
**1. सार्वभौम धर्म की अवधारणा: सार्वभौम धर्म का उद्देश्य सांस्कृतिक, जातीय, और भौगोलिक सीमाओं को पार कर एक साझा आध्यात्मिक समझ को बढ़ावा देना है। यह विभिन्न जातियों के बीच एकता को प्रोत्साहित करता है।
**2. प्रमुख तत्त्व:
निष्कर्ष: सार्वभौम धर्म भिन्नताओं को दूर करके एक एकीकृत आध्यात्मिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देता है, सामान्य नैतिक मानदंड और समावेशिता पर केंद्रित होता है।
See lessजनसमूह की अभिवृत्ति परिवर्तन में विश्वासोत्पादक संवाद के महत्त्व की विवेचना कीजिये। (200 Words) [UPPSC 2018]
जनसमूह की अभिवृत्ति परिवर्तन में विश्वासोत्पादक संवाद का महत्त्व 1. जनमत पर प्रभाव विश्वासोत्पादक संवाद जनसमूह की अभिवृत्तियों और व्यवहारों में महत्वपूर्ण परिवर्तन ला सकता है। यह संवाद सटीक जानकारी, तर्कसंगत तर्क, और भावनात्मक अपील का उपयोग करता है ताकि लोगों के मन में विश्वास उत्पन्न हो सके। जैसे कRead more
जनसमूह की अभिवृत्ति परिवर्तन में विश्वासोत्पादक संवाद का महत्त्व
1. जनमत पर प्रभाव
विश्वासोत्पादक संवाद जनसमूह की अभिवृत्तियों और व्यवहारों में महत्वपूर्ण परिवर्तन ला सकता है। यह संवाद सटीक जानकारी, तर्कसंगत तर्क, और भावनात्मक अपील का उपयोग करता है ताकि लोगों के मन में विश्वास उत्पन्न हो सके। जैसे कि COVID-19 टीकाकरण अभियान में सरकारी और स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने विश्वासोत्पादक संवाद का इस्तेमाल कर लोगों को टीकाकरण के लाभ समझाए, जिससे टीकाकरण दर में वृद्धि हुई।
2. जन जागरूकता
विश्वासोत्पादक संवाद जन जागरूकता बढ़ाने में सहायक होता है। स्वच्छ भारत मिशन ने जनसमूह को स्वच्छता के महत्व के प्रति जागरूक करने के लिए प्रभावशाली संचार का उपयोग किया, जिससे लोगों ने स्वच्छता अभियानों में सक्रिय भाग लिया और स्वच्छता के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाया।
3. सामाजिक बदलाव
सामाजिक बदलाव को प्रेरित करने के लिए विश्वासोत्पादक संवाद आवश्यक है। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान ने जेंडर समानता और महिला शिक्षा के प्रति जनसमूह की सोच में बदलाव लाने के लिए प्रभावी संचार रणनीतियाँ अपनाई। इसने महिला शिक्षा के महत्व को उजागर किया और सामाजिक दृष्टिकोण में सकारात्मक परिवर्तन किया।
4. संकट प्रबंधन
संकट की स्थितियों में, विश्वासोत्पादक संवाद असंतोष और गलतफहमियों को कम कर सकता है। जैसे कि कृषि कानून विरोधी आंदोलन के दौरान सरकार ने संवाद और बातचीत के माध्यम से किसानों की चिंताओं को समझने और हल करने की कोशिश की, जिससे स्थिति को बेहतर ढंग से प्रबंधित किया जा सका।
इन उदाहरणों से स्पष्ट होता है कि विश्वासोत्पादक संवाद जनसमूह की अभिवृत्तियों को बदलने, जागरूकता बढ़ाने, और सामाजिक बदलाव लाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
See less"लोक सेवा की पहचान समाज के कमजोर वर्गों के प्रति सहिष्णुता एवं करुणा पर आधारित होती है।" इस संदर्भ में सहिष्णुता एवं करुणा के मूल्यों की व्याख्या कीजिये। (125 Words) [UPPSC 2018]
सहिष्णुता और करुणा के मूल्य लोक सेवा में 1. सहिष्णुता: सहिष्णुता लोक सेवा में विविध दृष्टिकोणों और सांस्कृतिक भिन्नताओं का सम्मान करने की क्षमता है। यह सुनिश्चित करता है कि नीतियाँ और सेवाएँ समावेशी और समान हों। उदाहरण के लिए, राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 ने विभिन्न भाषाओं और सीखने की आवश्यकताओंRead more
सहिष्णुता और करुणा के मूल्य लोक सेवा में
1. सहिष्णुता: सहिष्णुता लोक सेवा में विविध दृष्टिकोणों और सांस्कृतिक भिन्नताओं का सम्मान करने की क्षमता है। यह सुनिश्चित करता है कि नीतियाँ और सेवाएँ समावेशी और समान हों। उदाहरण के लिए, राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 ने विभिन्न भाषाओं और सीखने की आवश्यकताओं के अनुसार समावेशी शिक्षा को बढ़ावा दिया, जो समाज में सहिष्णुता की दिशा में एक कदम है।
2. करुणा: करुणा का तात्पर्य है समाज के कमजोर वर्गों के प्रति संवेदनशीलता और सहानुभूति। यह सार्वजनिक सेवकों को ऐसे नीतियाँ और योजनाएँ तैयार करने के लिए प्रेरित करती है जो कमजोर वर्गों के जीवन को सुधार सकें। प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए सस्ते आवास की सुविधा प्रदान की, जो करुणा का एक उदाहरण है।
निष्कर्ष: लोक सेवा में सहिष्णुता और करुणा महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि ये समानता और समर्थन सुनिश्चित करती हैं, विशेष रूप से कमजोर वर्गों के लिए।
See lessमूल्य क्या हैं? इनके केंद्रीय तत्त्वों पर प्रकाश डालिये। (125 Words) [UPPSC 2018]
मूल्य क्या हैं? केंद्रीय तत्त्वों पर प्रकाश डालिये परिचय: मूल्य वे मौलिक मान्यताएँ और मानक होते हैं जो व्यक्तियों और समाजों के व्यवहार और निर्णय-निर्माण को मार्गदर्शित करते हैं। ये व्यक्तित्व और सामाजिक पहचान के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। 1. परिभाषा और महत्व: मूल्य वे गहरे विश्वास होतRead more
मूल्य क्या हैं? केंद्रीय तत्त्वों पर प्रकाश डालिये
परिचय: मूल्य वे मौलिक मान्यताएँ और मानक होते हैं जो व्यक्तियों और समाजों के व्यवहार और निर्णय-निर्माण को मार्गदर्शित करते हैं। ये व्यक्तित्व और सामाजिक पहचान के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
1. परिभाषा और महत्व: मूल्य वे गहरे विश्वास होते हैं जो दृष्टिकोण, क्रियाएँ, और निर्णयों को प्रभावित करते हैं। ये व्यक्तिगत और सामूहिक नैतिकता को आकार देते हैं।
2. केंद्रीय तत्त्व:
निष्कर्ष: मूल्य व्यक्तियों और समाजों की क्रियावली को दिशा देते हैं और सामाजिक समरसता को बढ़ावा देते हैं।
See lessनैतिक मूल्यों के सुदृढ़ीकरण की क्या प्रक्रिया है? क्या नैतिक मूल्यों के सुदृढ़ीकरण से चरित्र निर्माण में सहायता प्राप्त होती हैं? विवेचना करें। (125 Words) [UPPSC 2019]
नैतिक मूल्यों के सुदृढ़ीकरण की प्रक्रिया 1. शिक्षा और जागरूकता: मूल्य शिक्षा: विद्यालयों और संगठनों में नैतिक शिक्षा का समावेश, जैसे कि सीबीएसई की मूल्य शिक्षा पाठ्यक्रम और विप्रो के नैतिक प्रशिक्षण कार्यक्रम, बच्चों और कर्मियों में नैतिक मूल्यों को सुदृढ़ करता है। 2. आदर्श उदाहरण: नेतृत्व का प्रभावRead more
नैतिक मूल्यों के सुदृढ़ीकरण की प्रक्रिया
1. शिक्षा और जागरूकता:
2. आदर्श उदाहरण:
3. आत्म-परिक्षण और आत्म-मूल्यांकन:
चरित्र निर्माण पर प्रभाव:
निष्कर्ष: नैतिक मूल्यों के सुदृढ़ीकरण के माध्यम से शिक्षा, आदर्श उदाहरण, और आत्म-परिक्षण से चरित्र निर्माण में महत्वपूर्ण सहायता मिलती है, जो नैतिक व्यवहार और व्यक्तिगत ईमानदारी को प्रोत्साहित करती है।
See lessभारतीय समाज में परंपरागत मूल्य क्या हैं? आधुनिक मूल्यों से इसकी क्या भिन्नता है? व्याख्या कीजिये। (200 Words) [UPPSC 2021]
भारतीय समाज में परंपरागत मूल्य 1. परिवार की केंद्रीयता: भारतीय परंपरागत समाज में परिवार को सामाजिक जीवन का केंद्र माना जाता है। विस्तारित परिवार, जिसमें कई पीढ़ियाँ एक साथ रहती हैं, पारंपरिक सामाजिक संरचना का हिस्सा है। यह आधुनिक समय के न्यूक्लियर परिवार से भिन्न है। 2. बुजुर्गों का सम्मान: परंपरागतRead more
भारतीय समाज में परंपरागत मूल्य
1. परिवार की केंद्रीयता: भारतीय परंपरागत समाज में परिवार को सामाजिक जीवन का केंद्र माना जाता है। विस्तारित परिवार, जिसमें कई पीढ़ियाँ एक साथ रहती हैं, पारंपरिक सामाजिक संरचना का हिस्सा है। यह आधुनिक समय के न्यूक्लियर परिवार से भिन्न है।
2. बुजुर्गों का सम्मान: परंपरागत मूल्यों में बुजुर्गों के प्रति आदर और उनके अनुभव का सम्मान महत्वपूर्ण होता है। उदाहरण के तौर पर, दिवाली जैसे त्योहारों पर बुजुर्गों का आशीर्वाद लेना इस मूल्य को दर्शाता है।
3. जाति व्यवस्था: ऐतिहासिक रूप से, जाति व्यवस्था भारतीय समाज की सामाजिक संरचना में गहरी पैठ बनाये हुए थी। हालांकि, आधुनिक भारत में जातिवाद को समाप्त करने की कोशिश की जा रही है, फिर भी कुछ स्थानों पर इसके प्रभाव देखे जाते हैं।
आधुनिक मूल्य
1. व्यक्तिवाद: आधुनिक मूल्य व्यक्तिगत स्वतंत्रता और अधिकारों पर जोर देते हैं। न्यूक्लियर परिवार और कैरियर-उन्मुख जीवनशैली इसका उदाहरण हैं।
2. लिंग समानता: लिंग समानता पर बढ़ते फोकस के साथ महिलाओं के अधिकार और अवसरों में सुधार हो रहा है। समान वेतन और कार्यस्थल पर प्रतिनिधित्व का बढ़ावा इस बदलाव को दर्शाता है।
3. धर्मनिरपेक्षता: आधुनिक भारत में धर्मनिरपेक्षता को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिससे धर्म आधारित भेदभाव कम हो रहा है। उदाहरणस्वरूप, ट्रांसजेंडर पर्सन्स (प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स) एक्ट, 2019 इस मूल्य की ओर एक कदम है।
भिन्नताएँ: परंपरागत मूल्य सामूहिक जीवन और पदानुक्रम का सम्मान करते हैं, जबकि आधुनिक मूल्य व्यक्तिवादी स्वातंत्र्य और समान अधिकारों पर जोर देते हैं। यह बदलाव पारिवारिक संरचनाओं, कार्यस्थल की संस्कृति और सामाजिक नीतियों में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।
See lessसहानुभूति को परिभाषित कीजिये और कमजोर वर्ग की समस्याओं के समाधान में सहानुभूति की भूमिका का विवेचना कीजिये। (125 Words) [UPPSC 2021]
सहानुभूति की परिभाषा और कमजोर वर्ग की समस्याओं के समाधान में सहानुभूति की भूमिका 1. सहानुभूति की परिभाषा (Definition of Empathy): सहानुभूति किसी व्यक्ति की भावनाओं और अनुभवों को समझने और साझा करने की क्षमता है। इसमें किसी दूसरे के दृष्टिकोण को अपनाना और उनके भावनात्मक अनुभवों को महसूस करना शामिल होतRead more
सहानुभूति की परिभाषा और कमजोर वर्ग की समस्याओं के समाधान में सहानुभूति की भूमिका
1. सहानुभूति की परिभाषा (Definition of Empathy):
2. कमजोर वर्ग की समस्याओं के समाधान में सहानुभूति की भूमिका (Role of Empathy in Solving Problems of Weaker Sections):
निष्कर्ष: सहानुभूति कमजोर वर्ग की समस्याओं को प्रभावी ढंग से सुलझाने के लिए आवश्यक है, क्योंकि यह समाधान को उनकी वास्तविक जरूरतों के अनुसार अनुकूलित करती है और सहायक वातावरण बनाती है।
See lessकरुणा की आधारभूत आवश्यकताएँ क्या हैं? लोक सेवा में कमज़ोर वर्ग के प्रति करुणा की क्या आवश्यकता है ? (200 Words) [UPPSC 2022]
करुणा की आधारभूत आवश्यकताएँ 1. सहानुभूति (Empathy): करुणा की पहली आवश्यकता दूसरों की भावनाओं और परिस्थितियों को समझने की है। सहानुभूति के बिना करुणा असंभव है। उदाहरण के लिए, कोविड-19 महामारी के दौरान, स्वास्थ्यकर्मियों ने मरीजों के प्रति सहानुभूति दिखाते हुए उनकी देखभाल की। 2. सक्रिय सुनना (Active LRead more
करुणा की आधारभूत आवश्यकताएँ
1. सहानुभूति (Empathy):
2. सक्रिय सुनना (Active Listening):
3. सहायक कार्य (Supportive Actions):
लोक सेवा में कमज़ोर वर्ग के प्रति करुणा की आवश्यकता
1. समावेशी सेवा वितरण (Equitable Service Delivery):
2. विश्वास निर्माण (Building Trust):
3. असमानता घटाना (Reducing Inequality):
4. नीति प्रभावी कार्यान्वयन (Effective Policy Implementation):
मनोवृत्ति परिवर्तन में विश्वासोत्पादक संचार के महत्त्व की व्याख्या कीजिये। (125 Words) [UPPSC 2020]
मनोवृत्ति परिवर्तन में विश्वासोत्पादक संचार का महत्त्व 1. विश्वासोत्पादक संचार: विश्वासोत्पादक संचार वह प्रक्रिया है जिसमें सच्चाई, स्पष्टता, और सहानुभूति के साथ विचार व्यक्त किए जाते हैं। इसका लक्ष्य संबंधित व्यक्तियों या समूहों को विश्वास और सकारात्मक दृष्टिकोण प्रदान करना है। 2. महत्त्व: विवेकपूरRead more
मनोवृत्ति परिवर्तन में विश्वासोत्पादक संचार का महत्त्व
1. विश्वासोत्पादक संचार: विश्वासोत्पादक संचार वह प्रक्रिया है जिसमें सच्चाई, स्पष्टता, और सहानुभूति के साथ विचार व्यक्त किए जाते हैं। इसका लक्ष्य संबंधित व्यक्तियों या समूहों को विश्वास और सकारात्मक दृष्टिकोण प्रदान करना है।
2. महत्त्व:
3. समाजिक बदलाव: विश्वासोत्पादक संचार सामाजिक व्यवहार और मानसिकता में बदलाव को बढ़ावा देता है, जिससे कि नए विचार और नीतियाँ स्वीकार की जाती हैं और अधिक प्रभावी होती हैं।
इस प्रकार, विश्वासोत्पादक संचार मानसिकता परिवर्तन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जिससे कि लोगों को सकारात्मक दृष्टिकोण और आत्मसात करने में सहायता मिलती है।
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