महात्मा गाँधी के मत के अनुसार वे कौन-से आवश्यक सद्गुण हैं जो एक आदर्श मानवीय नैतिक व्यवहार हेतु उत्तरदायी होते हैं? विवेचना कीजिये। (125 Words) [UPPSC 2021]
आचरण की शुद्धि के लिए बुद्ध द्वारा बताए गए अष्टांगिक मार्ग की व्याख्या 1. सही समझ (सम्मा-दिट्ठि): परिभाषा: वास्तविकता और चार आर्य सत्य को समझना। उदाहरण: बुद्ध के प्रवचन में चार आर्य सत्य का ज्ञान प्राप्त करना, जैसे कि जीवन में दुख का कारण और उसे समाप्त करने का मार्ग। 2. सही इरादा (सम्मा-संकप्पा): परRead more
आचरण की शुद्धि के लिए बुद्ध द्वारा बताए गए अष्टांगिक मार्ग की व्याख्या
1. सही समझ (सम्मा-दिट्ठि):
- परिभाषा: वास्तविकता और चार आर्य सत्य को समझना।
- उदाहरण: बुद्ध के प्रवचन में चार आर्य सत्य का ज्ञान प्राप्त करना, जैसे कि जीवन में दुख का कारण और उसे समाप्त करने का मार्ग।
2. सही इरादा (सम्मा-संकप्पा):
- परिभाषा: वैराग्य, दया और अहिंसा के इरादों का विकास करना।
- उदाहरण: नागरिकों का मानसिक स्वास्थ्य सुधार के लिए करुणा और दया को प्रोत्साहित करने वाले कार्यक्रम।
3. सही भाषण (सम्मा-वाचा):
- परिभाषा: सत्य बोलना, निंदा, कठोर भाषण और अफवाह से बचना।
- उदाहरण: शांति पुरस्कार की स्वीकृति भाषणों में सत्य और दया पर जोर दिया जाता है।
4. सही क्रिया (सम्मा-कम्मन्ता):
- परिभाषा: नैतिक आचरण में संलग्न रहना, जैसे कि हत्या, चोरी और यौन दुराचार से बचना।
- उदाहरण: अर्थशास्त्रियों द्वारा नैतिक उपभोक्ता आंदोलन जो नैतिक और स्वच्छ व्यापार प्रथाओं को बढ़ावा देते हैं।
5. सही जीविका (सम्मा-आजीवा):
- परिभाषा: ऐसी जीविका अपनाना जो दूसरों को नुकसान न पहुंचाए।
- उदाहरण: फेयर ट्रेड आंदोलन जो व्यापार में नैतिकता और उचित वेतन को सुनिश्चित करता है।
6. सही प्रयास (सम्मा-वायामा):
- परिभाषा: नकारात्मक मानसिक अवस्थाओं को दूर करने और सकारात्मक गुणों का विकास करने के लिए सतत प्रयास करना।
- उदाहरण: योग और ध्यान अभ्यास जो मानसिक अनुशासन और आत्मविकास को प्रोत्साहित करते हैं।
7. सही सतर्कता (सम्मा-सति):
- परिभाषा: विचारों, भावनाओं और क्रियाओं के प्रति जागरूक रहना।
- उदाहरण: माइंडफुलनेस मेडिटेशन जो वर्तमान क्षण में ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है।
8. सही ध्यान (सम्मा-समाधि):
- परिभाषा: गहन ध्यान की स्थिति को प्राप्त करना जो मानसिक स्पष्टता और शांति को विकसित करता है।
- उदाहरण: विपश्यना ध्यान कोर्स जो ध्यान और अंतर्दृष्टि को विकसित करने में मदद करता है।
इन आठ तत्वों का अनुसरण करके व्यक्ति आचरण की शुद्धि और मानसिक स्पष्टता प्राप्त कर सकता है, जो अंततः आध्यात्मिक मुक्ति की ओर ले जाता है।
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महात्मा गांधी के अनुसार आदर्श मानवीय नैतिक व्यवहार के आवश्यक सद्गुण 1. सत्य (Satya): गांधीजी ने सत्य को नैतिकता का आधार मानते हुए सत्यवादिता और ईमानदारी को महत्वपूर्ण बताया। उदाहरण: उनके सत्याग्रह आंदोलन में सत्य की शक्ति का उपयोग सामाजिक न्याय के लिए किया गया। 2. अहिंसा (Ahimsa): अहिंसा, अर्थात् हिRead more
महात्मा गांधी के अनुसार आदर्श मानवीय नैतिक व्यवहार के आवश्यक सद्गुण
1. सत्य (Satya): गांधीजी ने सत्य को नैतिकता का आधार मानते हुए सत्यवादिता और ईमानदारी को महत्वपूर्ण बताया। उदाहरण: उनके सत्याग्रह आंदोलन में सत्य की शक्ति का उपयोग सामाजिक न्याय के लिए किया गया।
2. अहिंसा (Ahimsa): अहिंसा, अर्थात् हिंसा से परहेज, गांधीजी के नैतिक सिद्धांतों का केंद्रीय हिस्सा था। उदाहरण: भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई में अहिंसात्मक प्रतिरोध ने व्यापक समर्थन प्राप्त किया।
3. आत्म-निर्भरता (Swaraj): गांधीजी ने व्यक्तिगत आत्म-निर्भरता और स्वावलंबन को नैतिक उत्कृष्टता के तत्व के रूप में देखा। उदाहरण: खादी आंदोलन के माध्यम से स्वदेशी वस्त्रों का प्रचार किया।
4. करुणा (Karuna): दूसरों के प्रति दया और सहानुभूति रखना भी गांधीजी के सिद्धांतों में शामिल था। उदाहरण: उन्होंने अछूतों के उत्थान के लिए विशेष प्रयास किए।
निष्कर्ष: महात्मा गांधी के अनुसार, सत्य, अहिंसा, आत्म-निर्भरता, और करुणा ये सद्गुण आदर्श मानवीय नैतिक व्यवहार के लिए अनिवार्य हैं।
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