लोकसेवा का परंपरागत गुण तटस्थता रहा है” व्याख्या करें। (125 Words) [UPPSC 2019]
जनतांत्रिक व्यवस्था में लोक सेवाओं की भूमिका: भारत के विशेष संदर्भ में 1. प्रशासनिक आधारस्तंभ के रूप में (Administrative Backbone): नीतियों का कार्यान्वयन: लोक सेवाएँ सरकारी नीतियों और योजनाओं को कार्यान्वित करती हैं, जिससे लोकतांत्रिक निर्णय व्यवहार में लाए जाते हैं। उदाहरण के लिए, कोविड-19 महामारीRead more
जनतांत्रिक व्यवस्था में लोक सेवाओं की भूमिका: भारत के विशेष संदर्भ में
1. प्रशासनिक आधारस्तंभ के रूप में (Administrative Backbone):
- नीतियों का कार्यान्वयन: लोक सेवाएँ सरकारी नीतियों और योजनाओं को कार्यान्वित करती हैं, जिससे लोकतांत्रिक निर्णय व्यवहार में लाए जाते हैं। उदाहरण के लिए, कोविड-19 महामारी के दौरान, लोक सेवाओं ने स्वास्थ्य सेवाओं और टीकाकरण अभियानों का कुशल प्रबंधन किया।
- उदाहरण: प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना (PMAY) का कार्यान्वयन लोक सेवाओं के माध्यम से किया गया, जो ग्रामीण क्षेत्रों में किफायती आवास प्रदान करती है।
2. कानून और व्यवस्था बनाए रखना (Maintaining Law and Order):
- शांति बनाए रखना: पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी कानून और व्यवस्था बनाए रखते हैं, जो लोकतंत्र के लिए आवश्यक है।
- उदाहरण: किसानों के विरोध के दौरान, लोक सेवाओं ने प्रदर्शनों का प्रबंधन और सरकार और किसानों के बीच संवाद की सुविधा प्रदान की।
3. शासन और विकास का समर्थन (Supporting Governance and Development):
- सेवा वितरण: लोक सेवक शिक्षा, स्वास्थ्य, और अवसंरचना जैसे आवश्यक सेवाओं के कुशल वितरण को सुनिश्चित करते हैं, जिससे विकास और अच्छा शासन बढ़ावा मिलता है।
- उदाहरण: स्वच्छ भारत मिशन के तहत स्वच्छता और सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार के लिए लोक सेवाओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
4. जवाबदेही और पारदर्शिता को बढ़ावा देना (Promoting Accountability and Transparency):
- अच्छे शासन को सुनिश्चित करना: लोक सेवाएँ अपनी कार्रवाई के लिए उत्तरदायी होती हैं और पारदर्शिता से काम करती हैं, जिससे जनता का विश्वास और लोकतांत्रिक अखंडता बनाए रहती है।
- उदाहरण: सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI) ने नागरिकों को सार्वजनिक अधिकारियों से जानकारी प्राप्त करने का अधिकार दिया है, जिससे पारदर्शिता सुनिश्चित होती है।
निष्कर्ष: भारत में जनतांत्रिक व्यवस्था में लोक सेवाएँ नीतियों का कार्यान्वयन, कानून और व्यवस्था बनाए रखने, शासन और विकास का समर्थन, और जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। ये सेवाएँ लोकतंत्र की प्रभावशीलता और जनकल्याण के लिए आधारभूत हैं।
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लोकसेवा का परंपरागत गुण तटस्थता **1. परिभाषा और महत्व तटस्थता से तात्पर्य है निष्पक्षता और अराजनीतिकता जो लोक सेवकों को अपनानी चाहिए। यह सुनिश्चित करता है कि उनके निर्णय और क्रियाएँ केवल कानून और नीति पर आधारित हों, न कि राजनीतिक प्रभाव या व्यक्तिगत पूर्वाग्रह पर। **2. ऐतिहासिक संदर्भ भारत में ऐतिहाRead more
लोकसेवा का परंपरागत गुण तटस्थता
**1. परिभाषा और महत्व
तटस्थता से तात्पर्य है निष्पक्षता और अराजनीतिकता जो लोक सेवकों को अपनानी चाहिए। यह सुनिश्चित करता है कि उनके निर्णय और क्रियाएँ केवल कानून और नीति पर आधारित हों, न कि राजनीतिक प्रभाव या व्यक्तिगत पूर्वाग्रह पर।
**2. ऐतिहासिक संदर्भ
भारत में ऐतिहासिक रूप से, लोक सेवाओं ने तटस्थता को प्रशासनिक ईमानदारी और जन विश्वास बनाए रखने के लिए अपनाया है। आपातकाल (1975-77) के दौरान, लोक सेवकों को राजनीतिक उथल-पुथल के बावजूद निष्पक्ष रूप से अपने कर्तव्यों का पालन करना पड़ा।
**3. हालिया उदाहरण
हाल के समय में, निर्वाचन आयोग ने निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने में तटस्थता का उदाहरण प्रस्तुत किया। 2019 के आम चुनाव के दौरान, लोक सेवकों ने चुनावी सत्यता और अनियमितताओं को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
**4. चुनौतियाँ
तटस्थता बनाए रखना राजनीतिक दबाव और जन सार्वजनिक ध्यान के बावजूद चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
सारांश में, तटस्थता लोक सेवाओं के लिए एक बुनियादी गुण है जो निष्पक्षता और प्रभावी प्रशासन सुनिश्चित करता है।
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