“उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की उत्पत्ति सागरीय भागों पर होती है एवं स्थलीय भागों पर पहुँचते ही ये तूफान धीरे-धीरे क्षीण होकर खत्म हो जाते हैं।” कारण सहित स्पष्ट करें। (125 Words) [UPPSC 2019]
चक्रवात: परिभाषा और शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवातों के उत्पत्ति के कारण चक्रवात एक वायुमंडलीय प्रणाली है जिसमें लो प्रेशर के चारों ओर हवा घूमती है, जिससे विवर्तन और वायु की गति बढ़ जाती है। यह वायुमंडलीय दबाव के निम्न स्तर पर केंद्रित होता है और इसमें मूसलधार बारिश, उच्च हवाएं, और सूनामी जैसी खतरनाक स्थिRead more
चक्रवात: परिभाषा और शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवातों के उत्पत्ति के कारण
चक्रवात एक वायुमंडलीय प्रणाली है जिसमें लो प्रेशर के चारों ओर हवा घूमती है, जिससे विवर्तन और वायु की गति बढ़ जाती है। यह वायुमंडलीय दबाव के निम्न स्तर पर केंद्रित होता है और इसमें मूसलधार बारिश, उच्च हवाएं, और सूनामी जैसी खतरनाक स्थितियाँ उत्पन्न होती हैं।
शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवातों का उदय मुख्यतः निम्नलिखित कारणों से होता है:
- तापीय असंतुलन: शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात आमतौर पर उन क्षेत्रों में उत्पन्न होते हैं जहां सर्द और गर्म वायु के बीच एक स्पष्ट तापीय असंतुलन होता है। यह असंतुलन ठंडी आर्कटिक हवा और गर्म उप-उष्णकटिबंधीय हवा के बीच के संपर्क से उत्पन्न होता है।
- फ्रंटल गतिविधियाँ: इन चक्रवातों की उत्पत्ति में फ्रंटल सिस्टम महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जब गर्म और ठंडी वायु के फ्रंट्स मिलते हैं, तो वायुमंडलीय अस्थिरता उत्पन्न होती है, जो चक्रवात के निर्माण के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ प्रदान करती है।
- जेट स्ट्रीम: जेट स्ट्रीम, जो उच्च ऊंचाई पर तेज़ हवाओं की धाराएँ होती हैं, चक्रवात के विकास में सहायक होती हैं। ये जेट स्ट्रीम वायुमंडल में डाइवर्जेंस (वायु का फैलाव) पैदा करती हैं, जिससे लो प्रेशर सिस्टम का निर्माण होता है।
- कोरिओलिस प्रभाव: कोरिओलिस प्रभाव (Earth’s rotation) चक्रवातों के घुमाव को प्रभावित करता है। यह प्रभाव चक्रवात को पश्चिमी गोलार्ध में विकराल और पूर्वी गोलार्ध में असामान्य दिशा में घुमाता है, जिससे चक्रवात का संवेग बढ़ता है।
- सपोर्टिंग एरोसोल और नमी: शीतोष्ण चक्रवातों की उत्पत्ति के लिए वायुमंडलीय नमी और एरोसोल की उपस्थिति भी महत्वपूर्ण होती है। यह चक्रवात को मजबूती और सांसारिक वायुगतिकीय पोटेंशियल प्रदान करती है।
निष्कर्ष: शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवातों की उत्पत्ति जटिल वायुमंडलीय प्रक्रियाओं, तापीय असंतुलन, फ्रंटल गतिविधियों, जेट स्ट्रीम, और कोरिओलिस प्रभाव के संयोजन से होती है। ये चक्रवात विभिन्न जलवायु स्थितियों को प्रभावित करते हैं और अक्सर प्राकृतिक आपदाओं का कारण बनते हैं।
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1. ऊष्मा की कमी: उष्णकटिबंधीय चक्रवात समुद्र की सतह से ऊष्मा और नमी प्राप्त करते हैं। जब ये चक्रवात स्थलीय भागों पर पहुँचते हैं, तो इनका ऊष्मा और नमी का स्रोत समाप्त हो जाता है, जिससे तूफान की ऊर्जा और इंटेन्सिटी घट जाती है। 2. वृक्षों और अन्य बाधाएँ: स्थलीय भागों पर पहुंचते ही, चक्रवात धरती पर उपस्Read more
1. ऊष्मा की कमी: उष्णकटिबंधीय चक्रवात समुद्र की सतह से ऊष्मा और नमी प्राप्त करते हैं। जब ये चक्रवात स्थलीय भागों पर पहुँचते हैं, तो इनका ऊष्मा और नमी का स्रोत समाप्त हो जाता है, जिससे तूफान की ऊर्जा और इंटेन्सिटी घट जाती है।
2. वृक्षों और अन्य बाधाएँ: स्थलीय भागों पर पहुंचते ही, चक्रवात धरती पर उपस्थित वनों, भौगोलिक रुकावटों, और स्थल की ऊँचाइयों के संपर्क में आता है। ये बाधाएँ वातावरणीय प्रवाह को अस्थिर करती हैं, जिससे चक्रवात की धारा कमजोर हो जाती है।
3. नमी की कमी: स्थलीय क्षेत्रों में वातावरणीय नमी की कमी होती है, जो चक्रवात के लिए आवश्यक होती है। उदाहरण के तौर पर, चक्रवात अम्फान (2020) ने बांग्लादेश और भारत के स्थलीय हिस्सों में पहुँचने के बाद अपनी तूफानी ताकत खो दी थी।
4. विवर्तन और घर्षण: स्थलीय क्षेत्रों पर घर्षण की अधिकता के कारण, चक्रवात की वातावरणीय संरचना में अस्थिरता आती है, जिससे इसके चक्रवातीय बल कमजोर हो जाते हैं।
निष्कर्ष: उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की स्थलीय भागों पर पहुँचने के बाद ऊष्मा और नमी की कमी, भौगोलिक रुकावटें, और घर्षण के कारण ये धीरे-धीरे क्षीण हो जाते हैं।
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