भारतीय संविधान के “आधारभूत ढांचा सिद्धान्त” के विकास एवं प्रभाव की विवेचना कीजिए। (200 Words) [UPPSC 2022]
भारत के संविधान में जीवन का अधिकार की समीक्षा संविधानिक प्रावधान: भारतीय संविधान के धारा 21 के तहत जीवन का अधिकार एक मौलिक अधिकार है, जो कहता है कि "किसी भी व्यक्ति को कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता से वंचित नहीं किया जा सकता।" स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता: धाRead more
भारत के संविधान में जीवन का अधिकार की समीक्षा
संविधानिक प्रावधान: भारतीय संविधान के धारा 21 के तहत जीवन का अधिकार एक मौलिक अधिकार है, जो कहता है कि “किसी भी व्यक्ति को कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता से वंचित नहीं किया जा सकता।”
स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता: धारा 21 में जीवन का अधिकार केवल शारीरिक अस्तित्व तक सीमित नहीं है। इसमें स्वास्थ्य, स्वच्छता, और जीवन की गुणवत्ता शामिल हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने इसे “जीवन की गुणवत्ता” के हिस्से के रूप में मान्यता दी है, जिसमें आवास, शिक्षा, और काम के उचित हालात भी शामिल हैं।
हालिया उदाहरण:
- COVID-19 महामारी (2020): महामारी के दौरान, सर्वोच्च न्यायालय ने स्वास्थ्य सुविधाओं और टीकाकरण अभियान के लिए दिशा-निर्देश दिए, यह सुनिश्चित करने के लिए कि प्रत्येक व्यक्ति का जीवन अधिकार सुरक्षित रहे।
- पेट्रोलियम और गैस की कीमतों में वृद्धि (2022): सर्वोच्च न्यायालय ने आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि को जीवन की गुणवत्ता पर प्रभाव डालने वाला माना और इसके सुलझाने के लिए कदम उठाने का निर्देश दिया।
निष्कर्ष: धारा 21 का अधिकार संविधान के मौलिक अधिकारों में प्रमुख है और इसे केवल शारीरिक अस्तित्व तक सीमित नहीं माना जा सकता। यह आर्थिक, सामाजिक और स्वास्थ्य से जुड़े पहलुओं के समग्र दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है।
See less
भारतीय संविधान के "आधारभूत ढांचा सिद्धान्त" के विकास एवं प्रभाव की विवेचना विकास: प्रस्तावना: "आधारभूत ढांचा सिद्धान्त" (Basic Structure Doctrine) की शुरुआत केसवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973) मामले से हुई। सुप्रीम कोर्ट ने इस सिद्धान्त को स्थापित किया कि संसद संविधान को संशोधित कर सकती है, लेकिनRead more
भारतीय संविधान के “आधारभूत ढांचा सिद्धान्त” के विकास एवं प्रभाव की विवेचना
विकास:
प्रभाव:
निष्कर्ष: “आधारभूत ढांचा सिद्धान्त” ने भारतीय संविधान की मूल संरचना को संरक्षण प्रदान किया है, जिससे संविधान की स्थिरता और न्यायिक समीक्षा की भूमिका को सुनिश्चित किया गया है। यह सिद्धान्त संविधान की अनिवार्यता और संवैधानिक लोकतंत्र को बनाए रखने में महत्वपूर्ण है।
See less