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भारत की खनिज विकास नीति की व्याख्या कीजिए । (200 Words) [UPPSC 2023]
भारत की खनिज विकास नीति 1. उद्देश्य और दृष्टिकोण: भारत की खनिज विकास नीति का मुख्य उद्देश्य खनिज संसाधनों का सतत और समावेशी विकास करना है। इसके तहत, खनिज संसाधनों की खोज, विवेकपूर्ण उपयोग, और सभी क्षेत्रों में उनके लाभ को सुनिश्चित करना शामिल है। सरकार की नीति विकास और नवाचार, वित्तीय और तकनीकी समर्Read more
भारत की खनिज विकास नीति
1. उद्देश्य और दृष्टिकोण: भारत की खनिज विकास नीति का मुख्य उद्देश्य खनिज संसाधनों का सतत और समावेशी विकास करना है। इसके तहत, खनिज संसाधनों की खोज, विवेकपूर्ण उपयोग, और सभी क्षेत्रों में उनके लाभ को सुनिश्चित करना शामिल है। सरकार की नीति विकास और नवाचार, वित्तीय और तकनीकी समर्थन, और स्थानीय समुदायों की भागीदारी पर आधारित है।
2. महत्वपूर्ण नीतिगत पहल:
1. खदान और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम (1957): यह अधिनियम खनिज संसाधनों के अनुसंधान, खनन और विनियमन के लिए कानूनी ढांचा प्रदान करता है। हाल ही में माइनिंग एक्ट (2020) को लागू किया गया है, जो खनन क्षेत्र में सुधार और पारदर्शिता को बढ़ावा देता है।
2. विविधीकरण और कच्चे माल की आपूर्ति: भारत ने कच्चे माल की आपूर्ति को स्थिर करने के लिए विविधीकरण की नीति अपनाई है। भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी के तहत खनिज आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
3. स्थानीय समुदायों का सशक्तिकरण: खनन कंपनियों को स्थानीय समुदायों के विकास में सक्रिय भूमिका निभाने की सलाह दी जाती है। उदाहरण के लिए, संग्रहीत खनिज क्षेत्र में वृक्षारोपण और स्थानीय शिक्षा कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।
4. स्वच्छता और सुरक्षा: खनन कार्यों के दौरान स्वच्छता और सुरक्षा मानकों को लागू करना महत्वपूर्ण है। ई-परमिट और निगरानी प्रणाली के माध्यम से, पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
3. हालिया उदाहरण और पहल:
**1. **प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में माइनिंग क्षेत्र में सुधार के लिए उठाए गए कदम, जैसे कि ब्लॉक्स की नीलामी और पारदर्शिता को बढ़ावा देना।
**2. आधुनिक तकनीकों का उपयोग, जैसे कि स्मार्ट खनन और डेटा एनालिटिक्स, जो खनन प्रक्रियाओं को अधिक कुशल और पारदर्शी बनाते हैं।
निष्कर्ष: भारत की खनिज विकास नीति खनिज संसाधनों के सतत उपयोग, पारदर्शिता, और स्थानीय समुदायों की भागीदारी को प्राथमिकता देती है। यह नीति न केवल आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करती है, बल्कि पर्यावरण और सामाजिक जिम्मेदारियों को भी ध्यान में रखती है।
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