नौ नम्बर चैनल के सामरिक महत्व पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए । (125 Words) [UPPSC 2023]
भारत में भूकम्प पेटियाँ 1. हिमालयी पेटी: हिमालयी पेटी भारत के सबसे सक्रिय भूकम्प क्षेत्रों में से एक है। यहाँ भारतीय प्लेट और एशियाई प्लेट के बीच टकराव के कारण भूकम्पीय गतिविधियाँ होती हैं। इस पेटी में जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, और उत्तराखंड शामिल हैं। उदाहरण के लिए, 2015 नेपाल भूकम्प ने उत्तर भारRead more
भारत में भूकम्प पेटियाँ
1. हिमालयी पेटी: हिमालयी पेटी भारत के सबसे सक्रिय भूकम्प क्षेत्रों में से एक है। यहाँ भारतीय प्लेट और एशियाई प्लेट के बीच टकराव के कारण भूकम्पीय गतिविधियाँ होती हैं। इस पेटी में जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, और उत्तराखंड शामिल हैं। उदाहरण के लिए, 2015 नेपाल भूकम्प ने उत्तर भारत के हिस्सों को भी प्रभावित किया और इसकी तीव्रता ने इस पेटी की भूकम्पीय संवेदनशीलता को उजागर किया।
2. उत्तर-पूर्वी पेटी: उत्तर-पूर्वी पेटी में असम, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर, और मिजोरम शामिल हैं। यह क्षेत्र भारतीय प्लेट, बर्मी प्लेट, और चाइना प्लेट के जटिल टेक्टोनिक सेटिंग्स के कारण भूकम्पीय रूप से सक्रिय है। 2004 मणिपुर भूकम्प और 2011 सिक्किम भूकम्प इस पेटी में हुए प्रमुख भूकम्प हैं।
3. कच्छ पेटी: कच्छ पेटी गुजरात में स्थित है और यहाँ भारतीय प्लेट के कच्छ रिफ्ट जोन के कारण भूकम्पीय गतिविधियाँ होती हैं। 2001 भुज भूकम्प इस पेटी का एक प्रमुख उदाहरण है, जिसने व्यापक नुकसान और जानमाल की हानि की।
4. पश्चिमी घाट और तटीय क्षेत्र: पश्चिमी घाट और तटीय क्षेत्र जैसे मुंबई और गोवा में भूकम्पीय गतिविधियाँ अपेक्षाकृत कम होती हैं, लेकिन यहाँ भी कभी-कभार भूकम्प हो सकते हैं। 1993 लातूर भूकम्प ने महाराष्ट्र में इस क्षेत्र की भूकम्पीय संवेदनशीलता को दिखाया।
5. प्रायद्वीपीय भारत: प्रायद्वीपीय भारत अपेक्षाकृत कम भूकम्पीय गतिविधि वाला क्षेत्र है, लेकिन यहाँ भी छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश जैसे क्षेत्रों में मध्यम भूकम्प हो सकते हैं। 1967 कोयनानगर भूकम्प महाराष्ट्र में हुआ एक महत्वपूर्ण उदाहरण है।
निष्कर्ष: भारत की भूकम्प पेटियाँ हिमालयी क्षेत्र, उत्तर-पूर्वी क्षेत्र, और गुजरात में प्रमुख हैं, जिनमें भूकम्पीय गतिविधियाँ विभिन्न स्तरों पर होती हैं। इन पेटियों की समझ से भूकम्पीय आपदाओं के प्रबंधन और तैयारी में मदद मिलती है।
See less
नौ नंबर चैनल, जिसे "नौसैनिक चैनल" भी कहा जाता है, भारतीय रक्षा के सामरिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह चैनल भारतीय उपमहाद्वीप के पश्चिमी तट पर स्थित है और इसे अरब सागर से जोड़ता है। इसके माध्यम से भारत की नौसैनिक गतिविधियाँ और समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित की जाती है। यह चैनल विदेशी जहाजों और उपRead more
नौ नंबर चैनल, जिसे “नौसैनिक चैनल” भी कहा जाता है, भारतीय रक्षा के सामरिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह चैनल भारतीय उपमहाद्वीप के पश्चिमी तट पर स्थित है और इसे अरब सागर से जोड़ता है। इसके माध्यम से भारत की नौसैनिक गतिविधियाँ और समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित की जाती है। यह चैनल विदेशी जहाजों और उपग्रहों की निगरानी के लिए एक महत्वपूर्ण मार्ग है, जो आतंकवाद और समुद्री अपराधों से निपटने में सहायक होता है। इसके अलावा, नौ नंबर चैनल के माध्यम से तेल और गैस के ट्रांसपोर्टेशन के मार्ग भी गुजरते हैं, जो आर्थिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं। इस प्रकार, यह चैनल भारत की सामरिक सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता के लिए केंद्रीय भूमिका निभाता है।
See less