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ब्रिटेन की औद्योगिक क्रांति का भारत के आर्थिक जीवन पर पड़ने वाले प्रभावों का आलोचनात्मक परीक्षण कीजये। (125 Words) [UPPSC 2019]
1. उद्योगों का पतन: ब्रिटेन की औद्योगिक क्रांति के कारण भारत के पारंपरिक उद्योगों जैसे हस्तशिल्प और कपड़ा उद्योगों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। ब्रिटिश सामान की सस्ती कीमतों ने भारतीय वस्त्र उद्योग को मंदी की ओर धकेल दिया, जैसे कि बंगाल का कपड़ा उद्योग। 2. आर्थिक शोषण: भारत को कच्चे माल और बाजार के रूपRead more
1. उद्योगों का पतन: ब्रिटेन की औद्योगिक क्रांति के कारण भारत के पारंपरिक उद्योगों जैसे हस्तशिल्प और कपड़ा उद्योगों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। ब्रिटिश सामान की सस्ती कीमतों ने भारतीय वस्त्र उद्योग को मंदी की ओर धकेल दिया, जैसे कि बंगाल का कपड़ा उद्योग।
2. आर्थिक शोषण: भारत को कच्चे माल और बाजार के रूप में उपयोग किया गया। रेलवे और इन्फ्रास्ट्रक्चर का विकास मुख्यतः ब्रिटेन के लिए संसाधनों के परिवहन हेतु था, जिससे धन का बहाव और आर्थिक शोषण हुआ। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भारत से ब्रिटेन को भेजे गए संसाधनों की मात्रा में वृद्धि हुई।
3. कृषि में परिवर्तन: कृषि क्षेत्र में नकद फसलों पर जोर देने से फसल विविधता में कमी आई, जिससे खाद्य संकट पैदा हुआ। गंगा तट पर बाढ़ और फसल असफलता ने अन्न संकट को बढ़ाया।
निष्कर्ष: ब्रिटेन की औद्योगिक क्रांति ने भारत के उद्योगों का पतन, आर्थिक शोषण, और कृषि में परिवर्तन के माध्यम से उसकी आर्थिक स्थिति को प्रभावित किया, जिसके दूरगामी परिणाम आज भी महसूस किए जाते हैं।
See lessऔद्योगिक क्रान्ति केवल तकनीकी क्रान्ति ही नहीं अपितु सामाजिक एवं आर्थिक क्रान्ति भी थी, जिसने लोगों के जीने का ढंग परिवर्तित कर दिया।' टिप्पणी कीजिये। (125 Words) [UPPSC 2021]
औद्योगिक क्रांति: एक तकनीकी, सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन औद्योगिक क्रांति न केवल तकनीकी परिवर्तन का प्रतीक थी, बल्कि यह एक सामाजिक और आर्थिक क्रांति भी थी। तकनीकी दृष्टिकोण से, इसमें यांत्रिक उपकरणों, स्टीम इंजन, और उत्पादन प्रक्रियाओं में महत्वपूर्ण उन्नति शामिल थी, जिससे उत्पादन की मात्रा और गति मेRead more
औद्योगिक क्रांति: एक तकनीकी, सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन
औद्योगिक क्रांति न केवल तकनीकी परिवर्तन का प्रतीक थी, बल्कि यह एक सामाजिक और आर्थिक क्रांति भी थी।
तकनीकी दृष्टिकोण से, इसमें यांत्रिक उपकरणों, स्टीम इंजन, और उत्पादन प्रक्रियाओं में महत्वपूर्ण उन्नति शामिल थी, जिससे उत्पादन की मात्रा और गति में तेजी आई।
सामाजिक दृष्टिकोण से, फैक्ट्रियों की स्थापना ने बड़े पैमाने पर शहरीकरण को बढ़ावा दिया। कृषि आधारित जीवनशैली से औद्योगिक जीवनशैली की ओर संक्रमण ने परिवारिक और सामाजिक संरचनाओं को बदल दिया।
आर्थिक दृष्टिकोण से, नए उद्योगों और रोजगार के अवसरों ने आर्थिक असमानता को जन्म दिया, और साथ ही वेतनमान और कार्य परिस्थितियों में भी बदलाव आया।
हाल के उदाहरण जैसे डिजिटल क्रांति और वैश्वीकरण भी इस प्रक्रिया की निरंतरता को दर्शाते हैं, जहाँ तकनीकी प्रगति के साथ-साथ सामाजिक और आर्थिक ढांचों में परिवर्तन हो रहे हैं।
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