ग्लूकोज की संरचना तथा इसके परीक्षण की विधि समझाइए । [उत्तर सीमा: 125 शब्द] [UKPSC 2023]
विगत पाँच वर्षों में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने मुद्रा स्फीति को नियंत्रित करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं: 1. न्यूनतम समर्थन दर (Repo Rate): RBI ने बार-बार रेपो दर को संशोधित किया है। उदाहरण के लिए, 2020 में COVID-19 महामारी के दौरान, RBI ने दरों में कटौती की थी, लेकिन बाद में स्फीति बढ़नेRead more
विगत पाँच वर्षों में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने मुद्रा स्फीति को नियंत्रित करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं:
1. न्यूनतम समर्थन दर (Repo Rate): RBI ने बार-बार रेपो दर को संशोधित किया है। उदाहरण के लिए, 2020 में COVID-19 महामारी के दौरान, RBI ने दरों में कटौती की थी, लेकिन बाद में स्फीति बढ़ने पर इसे पुनः बढ़ाया। इससे बाजार में तरलता का प्रबंधन हुआ।
2. तरलता प्रबंधन: RBI ने ओपन मार्केट ऑपरेशंस (OMOs) के माध्यम से सरकारी बांड खरीदने और बेचने की गतिविधियों को संचालित किया, जिससे बाजार में धन की आपूर्ति को नियंत्रित किया जा सके।
3. संपत्ति गुणवत्ता निगरानी: बैंकों को उनके ऋणों की गुणवत्ता और जोखिम प्रबंधन में सुधार के लिए निर्देशित किया गया, जिससे वित्तीय प्रणाली की स्थिरता बढ़ी।
4. संपूर्ण नीति: RBI ने महंगाई लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए मौद्रिक नीति की रूपरेखा को स्थापित किया, जिससे 4% की महंगाई दर को बनाए रखने का प्रयास किया गया।
इन पहलों के परिणामस्वरूप, RBI ने पिछले कुछ वर्षों में स्फीति को नियंत्रित करने में सफलता प्राप्त की है। हालांकि, 2022 में वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला संकट और उच्च कच्चे तेल की कीमतों के कारण स्फीति फिर से बढ़ गई। इसके बावजूद, RBI की नीति और उपायों ने वित्तीय स्थिरता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
हालांकि चुनौतियाँ अभी भी बनी हुई हैं, RBI की कार्रवाइयाँ भारत की अर्थव्यवस्था में स्फीति के प्रभाव को सीमित करने में प्रभावी साबित हुई हैं।
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Computers take it as input, process it, and give us output. Users input data using devices such as keyboards and then the software algorithms run through the CPU to process the data and can then be output on displays or printers or saved for future use.
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